लखनऊ :सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने हाईकोर्ट के आदेश पर ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debt Recovery Tribunal) यानि डीआरटी के रिटायर पीठासीन अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज की है. आरोप है कि उन्होंने बैंक से लोन लेकर भागने वाली कंपनी के पक्ष में रिटायरमेंट के बाद आदेश जारी किया था. सीबीआई अब इस मामले में विस्तृत जांच करेगी.
सीबीआई के इंस्पेक्टर अखिलेश त्रिपाठी ने यह FIR दर्ज कराई है. इसके मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बैंक ऑफ बड़ौदा की याचिका पर डीआरटी के पूर्व पीठसीन अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज कर सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.
जांच करने पर पता चला कि वर्ष 2012 में मेसेर्स सागा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड ने बैंक ऑफ बड़ौदा से टर्म लोन लिया था. इसके एवज में 2 संपत्तियों को बंधक रखा था. दिसंबर 2017 को लोन NPA (Non Performing Asset) हो गया. इस दौरान कंपनी पर एक करोड़ से अधिक की रकम बकाया थी.
बैंक की ओर से दोनों संपत्तियों को कब्जे में लेकर उनकी नीलामी कर दी गई. सीबीआई के इंस्पेक्टर के अनुसार बैंक द्वारा संपत्तियों की नीलामी करने के विरोध में लोन लेने वाली कंपनी की डायरेक्टर सुमित्रा देवी ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण, लखनऊ (डीआरटी ) के समक्ष वाद दायर किया था.