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कहीं आप भी तो नहीं खा रहे नकली दवाएं, UP में 6 महीने में पकड़ी जा चुकी 100 करोड़ की फेक मेडिसिन, ऐसे करें पहचान - UP FAKE MEDICINE SUPPLY

चिकित्सक बोले- नकली दवाओं में आर्सेनिक-लेड, कैंसर होने के अलावा खराब हो सकती है किडनी.

फेक मेडिसिन के हैं कई नुकसान.
फेक मेडिसिन के हैं कई नुकसान. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 1, 2025, 11:59 AM IST

लखनऊ : पेन किलर लेने पर दर्द ठीक न हो, नींद की दवा लेने पर नींद न आए तो सचेत हो जाने की जरूरत है. कमी आपके शरीर में नहीं बल्कि दवाओं में है. यूपी के पिछले 6 महीने में कई हिस्सों में अलग-अलग एजेंसियों की छापेमारी में सौ करोड़ से अधिक की नकली दवाएं बरामद की गईं थीं. ये दवाएं असली पैकिंग में मौजूद थीं. प्रदेशभर के मेडिसिन मार्केट में ऐसी दवाओं की सप्लाई होने की आशंका है. ऐसे हालात में कैसे करें नकली दवाओं की पहचान, कहां करें शिकायत, विस्तार से जानिए...

सहायक आयुक्त औषधि ने विस्तार से दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने आगरा में पिछले साल नवंबर-दिसंबर महीने में छापमारी कर करोड़ों की नकली दवाएं बरामद की थी. इन दवाओं की पैकिंग असली दवाओं के ही जैसी करवाई जा रही थी. नींद और दर्द की दवा की डुप्लीकेट मेडिसिन तैयार की गई थी. पेरासिटामोल की दवा को चावल के पानी से तैयार किया गया था. इन दवाओं में आर्सेनिक और लेड भारी मात्रा में मिला था. इन दवाओं की सप्लाई उत्तर प्रदेश के हर जिले में मौजूद मेडिसिन मार्केट में की गई थी.

फास्ट मूविंग दवाओं की बनाई जाती है डुप्लीकेट कॉपी : सहायक आयुक्त औषधि ब्रजेश सिंह बताते है कि फास्ट मूविंग दवाएं जैसे गैस के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पैनटॉप DSR, एलर्जी के लिए लेवोसिट्रिजिन, बुखार के लिए डोलो, कॉलपाल या अन्य किसी दर्द के लिए दवाए नकली तैयार की जाती हैं. ये वो दवाएं होती हैं, जिनकी सबसे अधिक बिक्री होती है. हर गली मोहल्ले तक स्थित मेडिकल स्टोर पर ये दवाएं सबसे ज्यादा बिकती हैं. इन कालेधंधे में लिप्त व्यापारियों को इन दवाओं की कॉपी बनाने में अधिक मुनाफा होता है.

बंद पड़ी फैक्ट्रियों में बनाते हैं फेक दवाएं : सहायक आयुक्त के अनुसार, नकली दवा हो या असली, इन्हें बनाने के लिए एक बड़े प्रोडक्शन फैक्ट्री की जरूरत होती है. ऐसे में ये लोग बंद पड़ी फैक्ट्रियों में दवा का प्रोडक्शन करते है. वहीं इनकी लेबलिंग की जाती हैं. फिर मार्केट में उतार दिया जाता है.

पहचान के लिए इन बातों का रखना होगा ध्यान : सहायक आयुक्त बताते हैं कि उपभोक्ता कोई भी दवा लेने से पहले मेडिकल स्टोर से कैश मेमो जरूर ले. नकली दवा बेचने वाला कैश मेमो देगा नहीं, और यदि देता भी है तो उपभोक्ता को कोई भी दिक्कत होने पर औषधि विभाग आसानी से कार्रवाई कर सकेगा. इसके अलावा हाल ही में केंद्र सरकार ने सभी दवा निर्माता कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि, दवा के रैपर में एक बार कोड छापना जरूरी होगा. इसे मोबाइल से स्कैन कर लोग दवा से जुड़ी हर जानकारी जैसे उसका फार्मूला, कम्पनी डिटेल, मैन्यूफैक्चरिंग डेट आदि खुद देख सकेंगे. सहायक आयुक्त के मुताबिक अभी एक दो ही कंपनी ने इसे शुरू किया है आगामी पांच माह में हर दवा में बारकोड उपलब्ध होगा.

सहायक आयुक्त बताते हैं कि किसी भी दवा का लगातार इस्तेमाल करने वाले लोग रैपर को अच्छी तरह पहचानते हैं. नकली दवाओं को जब भी हमने पकड़ा है, तब उसकी पैकिंग और प्रिंटिंग असली से थोड़ी अलग होती है. प्रिंटिंग हल्की भी होती है. इसके अलावा बुखार की दवा डोलो खाने पर बुखार नहीं उतरता जबकि पेरासिटामोल खाने पर उतर जाता है तो समझ लीजिए कि आपने डोलो नकली वाला खाया था.

सहायक आयुक्त औषधि ने बताया कि नकली दवाओं को काफी गंदे तरीके से और केमिकल से बनाया जाता है. इसके अलावा इन दवाओं में आर्सेनिक और लेड भी रहता है. इससे कैंसर हो सकता है. किडनी और लीवर भी खराब हो सकते है. ये दवाएं सिर्फ पैसा ही नही आपका शरीर भी बर्बाद करते हैं.

डॉ. अंकित शुक्ला फिजिशियन ने बताया लगातार नकली दवाओं के सेवन से पेट में अल्सर जैसी समस्या हो सकती है. दवाएं खाने से बीमारी ठीक नहीं होती तो मरीज मानसिक तनाव का भी शिकार हो सकता है. कैंसर भी हो सकता है. इसके अलावा नकली दवाएं कई अन्य रूपों में भी शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं.

यहां करें शिकायत : यदि आपको शक है कि आपके द्वारा खरीदी गई दवा नकली है तो सहायक आयुक्त के मोबाइल नंबर 9454468761 पर शिकायत कर सकते हैं. upfoodlicensecomplaint@gmail.com पर मेल सकते हैं. Toll Free नंबर 18001805533 पर भी शिकायत कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी के सरकारी अस्पतालों की विटामिन बी की गोली फेल, 9 नमूनों में सभी बेदम, कंपनी पर जुर्माना

लखनऊ : पेन किलर लेने पर दर्द ठीक न हो, नींद की दवा लेने पर नींद न आए तो सचेत हो जाने की जरूरत है. कमी आपके शरीर में नहीं बल्कि दवाओं में है. यूपी के पिछले 6 महीने में कई हिस्सों में अलग-अलग एजेंसियों की छापेमारी में सौ करोड़ से अधिक की नकली दवाएं बरामद की गईं थीं. ये दवाएं असली पैकिंग में मौजूद थीं. प्रदेशभर के मेडिसिन मार्केट में ऐसी दवाओं की सप्लाई होने की आशंका है. ऐसे हालात में कैसे करें नकली दवाओं की पहचान, कहां करें शिकायत, विस्तार से जानिए...

सहायक आयुक्त औषधि ने विस्तार से दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने आगरा में पिछले साल नवंबर-दिसंबर महीने में छापमारी कर करोड़ों की नकली दवाएं बरामद की थी. इन दवाओं की पैकिंग असली दवाओं के ही जैसी करवाई जा रही थी. नींद और दर्द की दवा की डुप्लीकेट मेडिसिन तैयार की गई थी. पेरासिटामोल की दवा को चावल के पानी से तैयार किया गया था. इन दवाओं में आर्सेनिक और लेड भारी मात्रा में मिला था. इन दवाओं की सप्लाई उत्तर प्रदेश के हर जिले में मौजूद मेडिसिन मार्केट में की गई थी.

फास्ट मूविंग दवाओं की बनाई जाती है डुप्लीकेट कॉपी : सहायक आयुक्त औषधि ब्रजेश सिंह बताते है कि फास्ट मूविंग दवाएं जैसे गैस के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पैनटॉप DSR, एलर्जी के लिए लेवोसिट्रिजिन, बुखार के लिए डोलो, कॉलपाल या अन्य किसी दर्द के लिए दवाए नकली तैयार की जाती हैं. ये वो दवाएं होती हैं, जिनकी सबसे अधिक बिक्री होती है. हर गली मोहल्ले तक स्थित मेडिकल स्टोर पर ये दवाएं सबसे ज्यादा बिकती हैं. इन कालेधंधे में लिप्त व्यापारियों को इन दवाओं की कॉपी बनाने में अधिक मुनाफा होता है.

बंद पड़ी फैक्ट्रियों में बनाते हैं फेक दवाएं : सहायक आयुक्त के अनुसार, नकली दवा हो या असली, इन्हें बनाने के लिए एक बड़े प्रोडक्शन फैक्ट्री की जरूरत होती है. ऐसे में ये लोग बंद पड़ी फैक्ट्रियों में दवा का प्रोडक्शन करते है. वहीं इनकी लेबलिंग की जाती हैं. फिर मार्केट में उतार दिया जाता है.

पहचान के लिए इन बातों का रखना होगा ध्यान : सहायक आयुक्त बताते हैं कि उपभोक्ता कोई भी दवा लेने से पहले मेडिकल स्टोर से कैश मेमो जरूर ले. नकली दवा बेचने वाला कैश मेमो देगा नहीं, और यदि देता भी है तो उपभोक्ता को कोई भी दिक्कत होने पर औषधि विभाग आसानी से कार्रवाई कर सकेगा. इसके अलावा हाल ही में केंद्र सरकार ने सभी दवा निर्माता कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि, दवा के रैपर में एक बार कोड छापना जरूरी होगा. इसे मोबाइल से स्कैन कर लोग दवा से जुड़ी हर जानकारी जैसे उसका फार्मूला, कम्पनी डिटेल, मैन्यूफैक्चरिंग डेट आदि खुद देख सकेंगे. सहायक आयुक्त के मुताबिक अभी एक दो ही कंपनी ने इसे शुरू किया है आगामी पांच माह में हर दवा में बारकोड उपलब्ध होगा.

सहायक आयुक्त बताते हैं कि किसी भी दवा का लगातार इस्तेमाल करने वाले लोग रैपर को अच्छी तरह पहचानते हैं. नकली दवाओं को जब भी हमने पकड़ा है, तब उसकी पैकिंग और प्रिंटिंग असली से थोड़ी अलग होती है. प्रिंटिंग हल्की भी होती है. इसके अलावा बुखार की दवा डोलो खाने पर बुखार नहीं उतरता जबकि पेरासिटामोल खाने पर उतर जाता है तो समझ लीजिए कि आपने डोलो नकली वाला खाया था.

सहायक आयुक्त औषधि ने बताया कि नकली दवाओं को काफी गंदे तरीके से और केमिकल से बनाया जाता है. इसके अलावा इन दवाओं में आर्सेनिक और लेड भी रहता है. इससे कैंसर हो सकता है. किडनी और लीवर भी खराब हो सकते है. ये दवाएं सिर्फ पैसा ही नही आपका शरीर भी बर्बाद करते हैं.

डॉ. अंकित शुक्ला फिजिशियन ने बताया लगातार नकली दवाओं के सेवन से पेट में अल्सर जैसी समस्या हो सकती है. दवाएं खाने से बीमारी ठीक नहीं होती तो मरीज मानसिक तनाव का भी शिकार हो सकता है. कैंसर भी हो सकता है. इसके अलावा नकली दवाएं कई अन्य रूपों में भी शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं.

यहां करें शिकायत : यदि आपको शक है कि आपके द्वारा खरीदी गई दवा नकली है तो सहायक आयुक्त के मोबाइल नंबर 9454468761 पर शिकायत कर सकते हैं. upfoodlicensecomplaint@gmail.com पर मेल सकते हैं. Toll Free नंबर 18001805533 पर भी शिकायत कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी के सरकारी अस्पतालों की विटामिन बी की गोली फेल, 9 नमूनों में सभी बेदम, कंपनी पर जुर्माना

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