शिमला: हिमाचल सरकार के प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को एक ही मुद्दे पर दो अलग अलग जानकारी पेश करना महंगा पड़ा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशक (प्रारंभिक) को अदालत के समक्ष पेश होने के आदेश जारी किए हैं. अदालती आदेश की अहवेलना करने से जुड़े मामले में हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने श्याम लाल की तरफ से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किए. अदालती फैसले पर अमल को लेकर इस मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक हिदायत पेश की गई थी.
इस हिदायत के अनुसार बीईईओ (ब्लॉक एलीमेंटरी एजूकेशन ऑफिसर) नालागढ़ से मिली सूचना के आधार पर अदालत को बताया गया कि प्रार्थी का अनुबंध काल वार्षिक वेतन वृद्धि और पेंशन के लिए गिन लिया गया है और सभी वित्तीय लाभों की बकाया राशि प्रार्थी को चुका दी गई है. शिक्षा विभाग का कहना था कि हाईकोर्ट के आदेशों की पूरी अनुपालना कर दी गई है. इस पर प्रार्थी के वकील ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई. प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी को अभी तक कोई पेंशन नहीं लगाई गई है. लीव-इनकैशमेंट और ग्रेट्यूटी का बकाया भी नहीं दिया गया है. जिस कारण कोर्ट ने सरकार से ताजा हिदायत के लिए शुक्रवार दोपहर बाद मामला सुनवाई के लिए तय किया था.
मामले में दोपहर बाद पेश हिदायत में बताया गया कि प्रार्थी का पेंशन से जुड़ा मामला अकाउंटेंट जनरल के कार्यालय में भेज दिया गया है. साथ ही बताया गया कि अनुबंध काल का समय गिनने के बाद संशोधित पेंशन का मामला भी अकाउंटेंट जनरल को भेज दिया जाएगा. कोर्ट ने सुबह के सत्र में दिए गए निर्देश और दोपहर बाद के सत्र में दिए गए निर्देश एक दूसरे के विपरीत पाया. अदालत ने कहा कि शिक्षा निदेशक ने दोपहर बाद की हिदायत में माना कि कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह अनुपालन नहीं हुआ है. कोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग ने अभी तक संशोधित पेंशन का मसौदा भी तैयार नहीं किया है और यह भी नहीं माना है कि प्रार्थी को लीव इनकैशमेंट का पैसा दे दिया गया है.