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एक ही मामले में दी थी दो अलग-अलग जानकारियां, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को HC में पेश होने के आदेश, अवमानना से जुड़ा है केस - contempt of the court

हिमाचल सरकार के प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को एक ही मुद्दे पर दो अलग अलग जानकारी पेश करना महंगा पड़ा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशक (प्रारंभिक) को अदालत के समक्ष पेश होने के आदेश जारी किए हैं. अदालत ने कहा कि शिक्षा निदेशक ने दोपहर बाद की हिदायत में माना कि कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह अनुपालन नहीं हुआ है. कोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग ने अभी तक संशोधित पेंशन का मसौदा भी तैयार नहीं किया है और यह भी नहीं माना है कि प्रार्थी को लीव इनकैशमेंट का पैसा दे दिया गया है.पढ़िए क्या है मामला.

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 28, 2024, 8:57 PM IST

Updated : Jun 28, 2024, 9:19 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार के प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को एक ही मुद्दे पर दो अलग अलग जानकारी पेश करना महंगा पड़ा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशक (प्रारंभिक) को अदालत के समक्ष पेश होने के आदेश जारी किए हैं. अदालती आदेश की अहवेलना करने से जुड़े मामले में हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने श्याम लाल की तरफ से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किए. अदालती फैसले पर अमल को लेकर इस मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक हिदायत पेश की गई थी.

इस हिदायत के अनुसार बीईईओ (ब्लॉक एलीमेंटरी एजूकेशन ऑफिसर) नालागढ़ से मिली सूचना के आधार पर अदालत को बताया गया कि प्रार्थी का अनुबंध काल वार्षिक वेतन वृद्धि और पेंशन के लिए गिन लिया गया है और सभी वित्तीय लाभों की बकाया राशि प्रार्थी को चुका दी गई है. शिक्षा विभाग का कहना था कि हाईकोर्ट के आदेशों की पूरी अनुपालना कर दी गई है. इस पर प्रार्थी के वकील ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई. प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी को अभी तक कोई पेंशन नहीं लगाई गई है. लीव-इनकैशमेंट और ग्रेट्यूटी का बकाया भी नहीं दिया गया है. जिस कारण कोर्ट ने सरकार से ताजा हिदायत के लिए शुक्रवार दोपहर बाद मामला सुनवाई के लिए तय किया था.

मामले में दोपहर बाद पेश हिदायत में बताया गया कि प्रार्थी का पेंशन से जुड़ा मामला अकाउंटेंट जनरल के कार्यालय में भेज दिया गया है. साथ ही बताया गया कि अनुबंध काल का समय गिनने के बाद संशोधित पेंशन का मामला भी अकाउंटेंट जनरल को भेज दिया जाएगा. कोर्ट ने सुबह के सत्र में दिए गए निर्देश और दोपहर बाद के सत्र में दिए गए निर्देश एक दूसरे के विपरीत पाया. अदालत ने कहा कि शिक्षा निदेशक ने दोपहर बाद की हिदायत में माना कि कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह अनुपालन नहीं हुआ है. कोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग ने अभी तक संशोधित पेंशन का मसौदा भी तैयार नहीं किया है और यह भी नहीं माना है कि प्रार्थी को लीव इनकैशमेंट का पैसा दे दिया गया है.

इन दो अलग अलग हिदायतों पर स्पष्टीकरण के लिए कोर्ट ने प्रारंभिक शिक्षा को तलब करने के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता के अनुसार कोर्ट ने उसकी जूनियर बेसिक टीचर (जेबीटी) के रूप में प्रदान की गई अनुबंध वाली सेवाओं को पेंशन व वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए गिने जाने के आदेश दिए थे. बावजूद इसके हाईकोर्ट के आदेशों को लागू नहीं किया गया है. पिछली सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया था कि कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में पहले ही राज्य सरकार के प्रधान सचिव वित्त ने अधिसूचना जारी कर दी है.

हिमाचल प्रदेश सरकार बनाम शीला देवी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित विभिन्न निर्देशों को प्रभावी बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए 16 मार्च 2024 को एक समिति का गठन किया गया है. हाईकोर्ट ने कहा था कि अदालत के निर्देश की अनुपालना के लिए किसी समिति का गठन करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों की व्याख्या सामान्य ज्ञान वाला कोई भी व्यक्ति कर सकता है. प्रतिवादी विभाग में सामान्य ज्ञान की कमी है, जो न्यायालय द्वारा जारी एक सरल निर्देश को समझने में सक्षम नहीं हैं. कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि वास्तव में न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों की जानबूझकर अवज्ञा की गई है. मामले पर सुनवाई 18 जुलाई को निर्धारित की गई है.

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Last Updated : Jun 28, 2024, 9:19 PM IST

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