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शिमला-मटौर फोरलेन की एलाइनमेंट बदलने का मामला, HC ने राज्य सरकार से जवाब किया तलब

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला-मटौर फोरलेन पर सड़क की एलाइनमेंट बदलने को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. डिटेल में पढ़ें खबर...

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला से शालाघाट तक शिमला-मटौर फोरलेन सड़क की एलाइनमेंट में परिवर्तन करने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने इस बारे में राज्य सरकार को शपथ पत्र दायर कर कुछ अहम जानकारियां कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि शिमला-मटौर फोरलेन परियोजना के पुराने एलाइनमेंट पर निर्माण के लिए अस्थायी लागत के साथ-साथ परिवर्तित एलाइनमेंट पर निर्माण को लेकर एक विशिष्ट हलफनामा दायर करे.

इसमें वर्तमान सर्किल दरों के आधार पर भूमि मालिकों को भुगतान किए जाने वाले मुआवजे की गणना की जाए और साथ ही विस्थापित किए जाने वाले ढांचों की संख्या और उन ढांचों की अस्थायी लागत के मुआवजे के बारे में भी विस्तार से बताया जाए. कोर्ट ने एनएचएआई द्वारा दायर जवाब का अवलोकन कर पाया कि शिमला शालाघाट खंड पर 02 अगस्त 2022 को आयोजित दूसरी प्रस्तुति की चर्चा का अवलोकन करने से पता चलता है कि सड़क के इस खंड पर एलाइनमेंट बदलने का एक कारण यह था कि नई एलाइनमेंट में कुल लंबाई 2.5 किलोमीटर कम करने का प्रस्ताव है और परियोजना लागत भी पिछले प्रस्ताव की तुलना में कम होगी.

यह भी देखा गया है कि प्रस्तावित एलाइनमेंट में सड़क की ज्योमेट्री बेहतर होगी और कम संख्या में पेड़ गिरेंगे. इसके अलावा विस्थापन के मामले में कम व्यवधान पैदा होगा. कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अब अधिक निजी भूमि का अधिग्रहण करना होगा. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि एक बार ऐसा हो जाने पर वह यह समझने में विफल हो जाते हैं कि परियोजना लागत में समग्र कमी कैसे होगी, विशेष रूप से भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के तहत मुआवजा देने के लिए निर्धारित प्रक्रिया के मद्देनजर कोर्ट ने कहा कि एलाइनमेंट परिवर्तित करने का दूसरा कारण यह बताया गया है कि सड़क सूर्य की ओर होगी, लेकिन इसे भी एलाइनमेंट बदलने के लिए पर्याप्त कारण नहीं माना जा सकता है, क्योंकि जिस सड़क का निर्माण किया जाना है, वह शिमला की तुलना में बहुत गर्म है और इस तरह इसे एलाइनमेंट बदलने के लिए विचार नहीं किया जा सकता है.

ऐसी परिस्थितियों में हाईकोर्ट ने सड़क की एलाइनमेंट चेंज करने पर राज्य सरकार से शपथ पत्र दायर करने को कहा है. जनहित से जुड़ी इस याचिका में कोर्ट को बताया गया था कि कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए शिमला से शालाघाट तक की सड़क की एलाइनमेंट में परिवर्तन किया गया है.

ये भी पढ़ें: CPS मामला: सुखविंदर सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश पर की स्टे की मांग, कहा- सही नहीं था फैसला

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला से शालाघाट तक शिमला-मटौर फोरलेन सड़क की एलाइनमेंट में परिवर्तन करने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने इस बारे में राज्य सरकार को शपथ पत्र दायर कर कुछ अहम जानकारियां कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि शिमला-मटौर फोरलेन परियोजना के पुराने एलाइनमेंट पर निर्माण के लिए अस्थायी लागत के साथ-साथ परिवर्तित एलाइनमेंट पर निर्माण को लेकर एक विशिष्ट हलफनामा दायर करे.

इसमें वर्तमान सर्किल दरों के आधार पर भूमि मालिकों को भुगतान किए जाने वाले मुआवजे की गणना की जाए और साथ ही विस्थापित किए जाने वाले ढांचों की संख्या और उन ढांचों की अस्थायी लागत के मुआवजे के बारे में भी विस्तार से बताया जाए. कोर्ट ने एनएचएआई द्वारा दायर जवाब का अवलोकन कर पाया कि शिमला शालाघाट खंड पर 02 अगस्त 2022 को आयोजित दूसरी प्रस्तुति की चर्चा का अवलोकन करने से पता चलता है कि सड़क के इस खंड पर एलाइनमेंट बदलने का एक कारण यह था कि नई एलाइनमेंट में कुल लंबाई 2.5 किलोमीटर कम करने का प्रस्ताव है और परियोजना लागत भी पिछले प्रस्ताव की तुलना में कम होगी.

यह भी देखा गया है कि प्रस्तावित एलाइनमेंट में सड़क की ज्योमेट्री बेहतर होगी और कम संख्या में पेड़ गिरेंगे. इसके अलावा विस्थापन के मामले में कम व्यवधान पैदा होगा. कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अब अधिक निजी भूमि का अधिग्रहण करना होगा. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि एक बार ऐसा हो जाने पर वह यह समझने में विफल हो जाते हैं कि परियोजना लागत में समग्र कमी कैसे होगी, विशेष रूप से भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के तहत मुआवजा देने के लिए निर्धारित प्रक्रिया के मद्देनजर कोर्ट ने कहा कि एलाइनमेंट परिवर्तित करने का दूसरा कारण यह बताया गया है कि सड़क सूर्य की ओर होगी, लेकिन इसे भी एलाइनमेंट बदलने के लिए पर्याप्त कारण नहीं माना जा सकता है, क्योंकि जिस सड़क का निर्माण किया जाना है, वह शिमला की तुलना में बहुत गर्म है और इस तरह इसे एलाइनमेंट बदलने के लिए विचार नहीं किया जा सकता है.

ऐसी परिस्थितियों में हाईकोर्ट ने सड़क की एलाइनमेंट चेंज करने पर राज्य सरकार से शपथ पत्र दायर करने को कहा है. जनहित से जुड़ी इस याचिका में कोर्ट को बताया गया था कि कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए शिमला से शालाघाट तक की सड़क की एलाइनमेंट में परिवर्तन किया गया है.

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