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विकास के नाम पर विनाश! बद्दी-बरोटीवाला औद्योगिक क्षेत्र के भूजल में पाए गए कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषक तत्व - polluted groundwater

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 13, 2024, 7:50 PM IST

Updated : Jun 13, 2024, 7:59 PM IST

आईआईटी मंडी और आईआईटी जम्मू के शोधकर्ताओं ने उत्तरी भारत के भूजल में कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषक तत्वों का पता लगाया है. हिमाचल प्रदेश के बद्दी-बरोटीवाला औद्योगिक क्षेत्र के भूजल में कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषक तत्वों की स्थिति बेहद ही चिंताजनक है. यहां कारखानों की वजह से जमीन के नीचे के पानी में जहरीले पदार्थ मिल गए हैं. ये तय मापदंडों से कहीं अधिक हैं. ऐसे गंदे पानी को पीने से लोगों को कई बीमारियां हो रही हैं.शोध में यह भी पता चला कि दूषित भूजल पीने से वयस्कों और बच्चों दोनों को स्वास्थ्य संबंधी खतरे हो सकते हैं. यह खतरा मुख्य रूप से प्राकृतिक यूरेनियम के कारण है, लेकिन साथ ही जस्ता, सीसा, कोबाल्ट और बेरियम जैसी धातुओं की मौजूदगी भी खतरनाक है.

polluted groundwater
बद्दी-बरोटीवाला औद्योगिक क्षेत्र के भूजल में पाए गए कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषक (ईटीवी भारत)

मंडी: गर्मियों में अक्सर पानी की किल्लत बढ़ जाती है और ऐसे में लोग पानी की बूंद बूंद का सही इस्तेमाल करते हुए भी नजर आते हैं, लेकिन कैसा लगेगा जब आपको पता चलेगा यह पानी जो आप इस्तेमाल कर रहे हैं. यह उपयोग करने वाला नहीं बल्कि कैंसर जैसी बीमारी पैदा करने वाला है. यह हम नहीं बल्कि आईआईटी मंडी व शोधकर्ताओं की एक शोध रिपोर्ट कह रही है.

दरअसल आईआईटी मंडी और आईआईटी जम्मू के शोधकर्ताओं ने उत्तरी भारत के भूजल में कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषक तत्वों का पता लगाया है. हिमाचल प्रदेश के बद्दी-बरोटीवाला औद्योगिक क्षेत्र के भूजल में कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषक तत्वों की स्थिति बेहद ही चिंताजनक है. विश्लेषण में पाया गया है कि इस इलाके के भूजल में ऐसे प्रदूषित रसायन हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार भारत में खेती और पीने के लिए ज्यादातर जमीन के नीचे के पानी (भूजल) का इस्तेमाल होता है, लेकिन तेजी से शहर बढ़ने, कारखानों लगने और आबादी बढ़ने की वजह से भूजल का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो गया है, जिससे पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है. खासकर उत्तर भारत में पानी की बहुत खराब स्थिति है.

जमीन के पानी में घुले जहरीले पदार्थ

कुछ ऐसा ही हाल हिमाचल प्रदेश के बद्दी-बरोटीवाला इंडस्ट्रियल एरिया का है. यहां कारखानों की वजह से जमीन के नीचे के पानी में जहरीले पदार्थ मिल गए हैं. ये तय मापदंडों से कहीं अधिक हैं. ऐसे गंदे पानी को पीने से लोगों को कई बीमारियां हो रही हैं, जिनमें 2013 से 2018 के बीच कैंसर और किडनी की बीमारी के भी बहुत मामले सामने आए हैं. आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपक स्वामी और उनके शोध छात्र उत्सव राजपूत ने आईआईटी जम्मू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नितिन जोशी के साथ मिलकर एक शोध पत्र प्रकाशित किया है.

'द टोटल एनवायरमेंट' में प्रकाशित हुआ शोध पत्र

यह शोध पत्र प्रतिष्ठित जर्नल साइंस ऑफ 'द टोटल एनवायरमेंट' में प्रकाशित हुआ है. शोध दल ने बद्दी-बरोटवाला के औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति का पता लगाने के लिए एक जमीनी-अध्ययन किया. इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य आसपास के समुदायों द्वारा पीने योग्य माने जाने वाले भूजल के रासायनिक तत्वों का विश्लेषण करना था. जांच से पता चला है कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो निचला हिमालयी क्षेत्र कुछ समय में चिंताजनक स्थिति में पहुंच सकता है, जहां भूजल प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या होगी. इस शोध में भूजल के रासायनिक गुणों की जांच की है, साथ ही यह भी पता लगाया है कि जमीन में पाए जाने वाले हानिकारक धातुओं की मात्रा में भौगोलिक रूप से क्या अंतर होता है.

बच्चों-वयस्कों दोनों को खतरा

वहीं, आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपक स्वामी ने इस शोध के बारे में बताते हुए कहा कि शोध में उन्होंने पाया कि इस क्षेत्र का भूजल चट्टानों से प्रभावित है, खासकर कैल्शियम कार्बोनेट वाली चट्टानों से. पानी के सभी नमूनों में यूरेनियम की मात्रा एक समान पाई गई. वहीं, ज़्यादातर धातुओं के स्रोत औद्योगिक इकाइयां थीं, जबकि यूरेनियम और मोलिब्डेनम प्राकृतिक रूप से पाए गए. शोध में यह भी पता चला कि दूषित भूजल पीने से वयस्कों और बच्चों दोनों को स्वास्थ्य संबंधी खतरे हो सकते हैं. यह खतरा मुख्य रूप से प्राकृतिक यूरेनियम के कारण है, लेकिन साथ ही जस्ता, सीसा, कोबाल्ट और बेरियम जैसी धातुओं की मौजूदगी भी खतरनाक है, जो औद्योगिक स्रोतों से आती हैं. वयस्कों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाला) पाया गया, जो मुख्य रूप से निकेल और क्रोमियम जैसी औद्योगिक धातुओं की वजह से पैदा होता है.

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Last Updated : Jun 13, 2024, 7:59 PM IST

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