पटना:2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में सत्ता पाने के लिए संघर्ष शुरू हो गया है. राजनीतिक दलों की ओर से दावे किए जा रहे हैं. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर दल के गठन के बाद से आक्रामक है और सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में उपचुनाव हो रहे हैं, इसे पीके समेत सभी नेताओं के लिए लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है.
प्रशांत किशोर तीसरा कोण बनाने के लिए तैयार:चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2022 से पदयात्रा शुरू की थी और 18 जिलों में यात्रा कर चुके हैं. 6000 किलोमीटर की यात्रा पूरी हो चुकी है. कई जनसभाएं प्रशांत किशोर के द्वारा आयोजित की जा रही है और पंचायत में लोगों से संवाद भी किया है. ठीक 2 साल बाद 2 अक्टूबर 2024 को प्रशांत किशोर ने राजनीतिक दल का गठन कर लिया और चुनावी समर में कूद पड़े. उपचुनाव में भी प्रशांत किशोर ने चारों सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं.
बिहार के राजनीतिक दलों ने किया लंबा संघर्ष:जनता दल का गठन 1988 में हुआ और बिहार में जनता दल को सत्ता में आने में 7 साल लग गए. लालू प्रसाद यादव ने कमान संभाली और 1997 में राष्ट्रीय जनता दल का गठन हुआ. राष्ट्रीय जनता दल भी लंबे समय तक सत्ता में रही. समता पार्टी का गठन 1994 हुआ और सत्ता में आने में समता पार्टी को 11 साल लग गए. नीतीश कुमार ने अपने कई सहयोगियों के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया था. भारतीय जनता पार्टी को भी सत्ता में आने में लंबा संघर्ष करना पड़ा और 2005 में भाजपा सत्ता में आई. भारतीय जनता पार्टी का गठन 1980 में हुआ था और पार्टी को सत्ता में आने में लगभग 25 साल लग गए.
जेडीयू प्रवक्ता ने क्या कहा?: जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि नीतीश कुमार ने सत्ता में आने से पहले लंबा संघर्ष किया है. वह मोटरसाइकिल और नाव पर चलकर चुनाव प्रचार करते थे. इसके अलावे उनके संघर्ष की लंबी कहानी है. कई बार उन्होंने बस की यात्रा भी की है लेकिन जो नए-नए राजनीति में आए हैं, वह व्यवसाय करते थे और राजनीति में आए हैं. उपचुनाव में ही उन्हें झटका लगा है और प्रत्याशी बदलने की नौबत आ गई है.
आरजेडी प्रवक्ता ने पीके पर बोला हमला: वहीं, राष्ट्रीय जनता दल प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि लालू प्रसाद यादव संघर्ष की उपज हैं और उन्होंने गरीबों को आवाज दी है. उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर ने बिहार के लिए संघर्ष नहीं किया है. उपचुनाव में उन्हें आटा-दाल का भाव मालूम चल गया और प्रत्याशी बदलने की नौबत आ गई. उन्होंने बिहार के लोगों के लिए संघर्ष नहीं किया और सत्ता में आना चाहते हैं. बिहार की जनता उन्हें कबूल करने वाली नहीं है.
जन सुराज के दावे में कितना दम?: जन सुराज पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा कि विपक्ष निराधार आरोप लगा रहा है. 2011 से प्रशांत किशोर सक्रिय राजनीति में हैं और पिछले दो-तीन साल से वह बिहार के जनता के बीच हैं. लोगों से वह संवाद कर रहे हैं और बिहार को तरक्की की राह पर ले जाना चाहते हैं.
"प्रशांत किशोर ने जो वायदे किए हैं, उसे हमारी पार्टी पूरे करेगी. किसी बिहार के बच्चे को शिक्षा और रोजगार के लिए बिहार से बाहर नहीं जाना पड़ेगा. बिहार की जनता को प्रशांत किशोर जी से काफी उम्मीदें हैं. हमें भरोसा है कि आने वाले दिनों में जन सुराज की सरकार जरूर बनेगी."- डॉ. मनोज भारती, कार्यकारी अध्यक्ष, जन सुराज पार्टी