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बुरहानपुर में केले से महिलाओं की बंपर कमाई, बांके बिहारी मंदिर और आगरा पहुंचे केले से बने झूले - BURHANPUR WOMEN MAKE BANANA SWINGS

केले से बने झूलों ने बुरहानपुर की महिलाओं की किस्मत बदल डाली है. यह झूले मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की शोभा बढ़ा रहे हैं.

BURHANPUR WOMEN MAKE BANANA SWINGS
बुरहानपुर में केले से बंपर कमाई (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 8, 2024, 3:41 PM IST

Updated : Dec 8, 2024, 6:42 PM IST

बुरहानपुर: जिला मुख्यालय से महज 5 किमी दूर फतेहपुर गांव में ताप्ती महिमा आजीविका संगठन यानी महिला स्व सहायता समूह द्वारा बनाए गए, बनाना फाइबर के झूले मथुरा के बांके बिहारी मंदिर और आगरा के ताजमहल तक पहुंच चुके हैं. मथुरा के भक्त बुरहानपुर में बने इन झूलों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण का पूजन कर रहे हैं. यह मध्य प्रदेश के लिए भी बड़ी उपलब्धि हो सकती है. आगरा के ताजमहल के समीप लगने वाले स्टॉल पर भी झूले व अन्य प्रोडक्ट जैसे इको फ्रेंडली थैलियां, फाइबर बैग आदि पहुंचाए गए हैं.

केले से बने झूलों ने किया आकर्षित
ज्ञात हो कि, अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण में जिले के इंजीनियर और कलाकारों ने अपना योगदान दिया था. दरअसल बांके बिहारी मंदिर के पुरोहित बीते दिनों बुरहानपुर आए थे, उन्होंने उनके रिश्तेदार ताप्ती महिला आजीविका संगठन की अध्यक्ष खुशबू तिवारी के सेंटर का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने यहां केले के रेशों से तैयार होने वाले झूलों को बारीकी से देखा, इन झूलों को देख वह काफी आकर्षित हो गए. वह तुरंत समूह से 20 झूले साथ लेकर गए, इसके बाद 30 झूले भेजने का आग्रह किया था.

बांके बिहारी मंदिर और आगरा पहुंचे केले से बने झूले (ETV Bharat)

ताप्ती महिमा आजीविका संगठन की दीदियों का कमाल
समूह की महिलाओं ने ये आर्डर भी पूरा कर भेज दिया. अब यहां बने झूलों को खूब पसंद किया जा रहा है, इससे ज्यादा झूलों की मांग आई है. महिलाओं का कहना है कि जल्द ओर झूले भेजे जाएंगे. बता दें कि ताप्ती महिमा आजीविका संगठन की दीदियों ने केले के रेशों से इको फ्रेंडली झूले बनाए हैं. यहां बनाए गए झूले अब मथुरा भेजे जा चुके हैं.

आगरा पहुंचे बनाना फाइबर से बने झूले (ETV Bharat)

डिमांड पर मथुरा और आगरा पहुंचे झूले
दरअसल, भगवान बांके बिहारी मंदिर के बाहर पूजा पाठ सामग्री की दुकानों पर 50 झूले पहुंचाए हैं. इन झूलों को बनाने में जीरो इन्वेस्टमेंट आता हैं, जबकि इस एक झूले से महिलाओं को 300 रुपये का मेहनताना मिलता है. इस काम में 100 से ज्यादा महिलाएं जुटी हैं. खुशबू तिवारी के मुताबिक, ''बांके बिहारी मंदिर के पुरोहित के कहने पर झूले मथुरा पहुंचाए हैं. इसके अलावा आगरा के ताजमहल में भी इन झूलों के साथ ही इको फ्रेंडली थैलियां व अन्य वस्तुओं को पहुंचाया हैं.''

केले के रेशे से झूले बनाती महिलाएं (ETV Bharat)

पुजारियों के मुताबिक, ''भगवान श्री कृष्ण को केले के पत्तों का आसन दिया जाता है.'' खास बात यह है कि इन झूलों में केले के वृक्ष के रेशों को निकालकर उपयोग किया गया है. महिलाएं इन केले के वृक्ष से रेशों अलग करती हैं. उन रेशों को सुखाया जाता है. इसके बाद तरह तरह के आकार में कटिंग होती है. फिर उसे मूर्त रूप में तैयार किया जाता है.''

महिलाओं की हो रही अच्छी कमाई
ताप्ती महिमा आजीविका संगठन की वैशाली सिरसाट ने बताया कि, ''इस काम से न केवल बेहतरीन वस्तुओं का निर्माण हो रहा है, बल्कि महिलाओं की अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. इस काम को अपनाकर महिलाओं के जीवन में कई तरह के बदलाव आए हैं. महिलाएं आत्मनिर्भर बन गई हैं, उन्हें नई पहचान मिली है. उनकी कला को बुरहानपुर ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में भी पसंद किया जा रहा है.''

Last Updated : Dec 8, 2024, 6:42 PM IST

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