शहडोल: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व यूं तो बाघों के दहाड़ लिए अपनी खास पहचान रखता है. दूर-दूर से पर्यटक यहां सिर्फ बाघ दर्शन के लिए पहुंचते हैं. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कई ऐसी पुरातात्विक महत्व की चीजें पाई जाती हैं. जिसके बाद इसे अब वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने की चर्चा शुरू हो गई है.
बांधवगढ़ को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने मांग
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में शामिल करने की चर्चा शुरू हो चुकी है. जिसे लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई की ओर से केंद्र सरकार को एक चिट्ठी लिखी गई है. जिसमें मांग की गई है कि यहां हेरिटेज सफारी भी प्रारंभ कराई जाए. जिससे लोगों को यहां के पुरातत्व की संपूर्ण जानकारी मिल सके. जिसमें वन राजस्व और पुरातत्व विभाग के बीच बैलेंस बनाकर योजना तैयार करने के बारे में कहा गया है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जबलपुर रीजन के अधीक्षक डॉक्टर शिवाकांत बाजपेयी का कहना है कि "बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पुरातात्विक महत्व की कई सामग्रियां पाई जाती हैं. जिसे देखकर कोई भी हतप्रभ रह जाएगा." शिवाकांत बाजपेयी ने बताया कि "जबलपुर रीजन की ओर से जो सर्वे किए गए हैं. 2022-23 के लिए टॉप 10 खोज में स्थान मिला है, जो इस क्षेत्र के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण है.
बांधवगढ़ में पुरात्तव का भंडार
पुरातत्वविद रामनाथ परमार बताते हैं, "बांधवगढ़ में पुरातत्व का भंडार है. यहां कई ऐसी अद्भुत पुरातात्विक महत्व की चीजें हैं, जो दर्शनीय हैं. बांधवगढ़ प्राकृतिक दुर्ग है, इसमें कलचुरी कालीन से पहले से भी सेकंड सेंचुरी तक की गुफाएं मौजूद हैं. यहां विशेष रूप से जो प्रतिमा हैं, वे दशावतार की अलग-अलग प्रतिमा बनाई गई हैं. छोटी शेष सैया में लेटे हुए विष्णु की प्रतिमा है. इसके अलावा कल्कि, नरसिंह, राम और दशावतार की मूर्ति बनी है.
बांधवगढ़ क्षेत्र में कबीर पंथ का कार्यक्रम होता है. इसके अलावा यहां पर कृष्ण जन्माष्टमी और रामनवमी के अवसर पर मेला भी लगता है. जहां हर साल आसपास सहित दूर दराज से लोग पहुंचते हैं. यहां पर जो अभिलेख और देवी देवताओं की प्रतिमाएं है, वह अद्वितीय है. बता दें कि प्राचीन काल में बांधवगढ़ क्षेत्र मिडिल पीरियड और स्टेट पीरियड की बघेल वंश की राजधानी भी रही है. यहां कि प्राकृतिक सुंदरता पहाड़ियों की है. इसके अलावा यहां बौद्ध कालीन गुफाओं की एक सीरीज पर मिलती हैं. यहां विशेष रूप से वाइल्डलाइफ का दृश्य अद्भुत है.
कई सर्वे किये गए
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पुरातत्व की सर्वेक्षण टीम ने गहराई से अध्ययन कर इसे समझने का प्रयास किया है. इस क्षेत्र का डिटेल डॉक्यूमेंटेशन 2022-2024 के बीच जबलपुर रीजन की 13 सदस्यीय टीम द्वारा किया गया है. इस दौरान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व स्थित ताला, मगधी, खेतौली, पनपथा और पचमठा के दुर्गम वन अंचलों में सर्वे किया गया. इस सर्वे टीम के प्रयासों को दुनिया भर में मान्यता भी मिली.
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बाघों के लिए खास बांधवगढ़
देखा जाए तो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अपनी एक खास पहचान रखता है. खासकर बाघों के लिए इसकी विशेष पहचान है. अक्सर यहां पर बाघों के दीदार के लिए पहुंचते हैं, इसके अलावा यहां हाथी, तेंदुआ और भालू समेत कई तरह के अद्भुत चमत्कारी पक्षियां पाए जाते हैं. कई तरह के वन्य प्राणी पाए जाते हैं. जिनकी एक झलक पाने के लिए दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं.