मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

बुरहानपुर की होली सबसे जुदा, सास व बहुओं के बीच विवाद खत्म करने का माध्यम बना फाग उत्सव - burhanpur celebrating Holi

BURHANPUR CELEBRATING HOLI: बुरहानपुर के श्री गोकुल चंद्रमाजी मंदिर में विशेष प्रकार की होली खेली जा रही है. खास बात ये है कि ये होली सास-बहुओं के बीच होती है. सास व बहुएं अपने विवाद भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाकर मनमुटाव दूर करती हैं. मथुरा-वृंदावन के बरसाने की तर्ज पर होली की परंपरा 50 साल से चली आ रही है.

Burhanpur celebrating Holi
सास व बहुओं के बीच विवाद खत्म करने का माध्यम बना फाग उत्सव

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 22, 2024, 1:08 PM IST

Updated : Mar 22, 2024, 1:19 PM IST

बुरहानपुर की होली सबसे जुदा

बुरहानपुर।मध्यप्रदेश के निमाड़ के बुरहानपुर में पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैं. इसमें सबसे खास मानी जाती है सास-बहू की होली. अक्सर सास-बहू के बीच कहासुनी और विवाद सामने आते रहते हैं. लेकिन बुरहानपुर के इतवारा स्थित श्री गोकुल चंद्रमाजी मंदिर में होने वाली इस परंपरा में सास-बहू के बीच प्रेम उमड़ता है. हर साल होली के उपलक्ष्य में सास-बहू की विशेष होली होती है. यह मथुरा-वृंदावन की परंपरा जैसी है, जिसे श्री गोकुल चंद्रमाजी मंदिर में पूरे उत्साह से मनाया जाता है.

होली पर सास व बहुओं के बीच उमड़ा प्रेम

सास व बहुओं की होली देखने आते हैं सैकड़ों लोग

इस दौरान सास-बहू की इस होली को देखने के लिए सैकड़ों लोग पहुंचते हैं. जब होली की रस्में शुरू होती हैं तो एक अलग ही दृश्य बनता है. बहुएं और सास अपने मनमुटाव को भूलकर होली के रंग में डूब जाती हैं. एक-दूसरे को शुभकामनाएं देती हैं. एक-दूसरे को रंग लगाकर होली की खुशियां बांटती हैं. यह दृश्य देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है. बता दें कि इस होली में 40 से 50 नहीं, बल्कि दो सौ से अधिक सास-बहुएं शामिल होती हैं. दरअसल, यहां सास-बहू की होली की परंपरा पिछले 50 साल से निभाई जा रही है.

ये खबरें भी पढ़ें...

होलिका दहन के समय भूल कर ना करें 5 काम, बनेंगे बिगड़े काम और शुरु होगा लाभ का काल

होली पर सेलिब्रिटीज की तरह हो जाएं तैयार, मार्केट में आ गए स्टाइलिश कपड़े, भीड़ से बनाएंगे आपको अलग

सास व बहुओं के बीच छोटे-मोटे मनमुटाव दूर होते हैं

इस होली को मनाने का उद्देश्य भी यही है कि छोटी-मोटी बातों पर हुए मनमुटाव को दूर किया जाए. होली पर्व मनाने के बाद कीर्तन होती है. इन कीर्तनों पर सास-बहुएं नृत्य करती हैं, इसे फाग उत्सव भी कहा जाता है. होली के दौरान सिर्फ यही एक आयोजन नहीं, पूरे सप्ताहभर अलग-अलग तरह के आकर्षक कार्यक्रम किए जाते हैं. ये सभी कार्यक्रम बरसाना के तर्ज पर होते हैं. इसमें विशेष रूप से लट्ठमार होली, फूलफाग होली खेली जाती है. इसमें ग्वाल-बाल बने भक्तों पर गोपियां लट्ठ बरसाती है. इस दौरान कीर्तनकार संगीतमयी कीर्तन करते हुए श्री राधाकृष्ण की होली के फाग गीत सुनाते हैं.

Last Updated : Mar 22, 2024, 1:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details