बुरहानपुर।मध्यप्रदेश के निमाड़ के बुरहानपुर में पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैं. इसमें सबसे खास मानी जाती है सास-बहू की होली. अक्सर सास-बहू के बीच कहासुनी और विवाद सामने आते रहते हैं. लेकिन बुरहानपुर के इतवारा स्थित श्री गोकुल चंद्रमाजी मंदिर में होने वाली इस परंपरा में सास-बहू के बीच प्रेम उमड़ता है. हर साल होली के उपलक्ष्य में सास-बहू की विशेष होली होती है. यह मथुरा-वृंदावन की परंपरा जैसी है, जिसे श्री गोकुल चंद्रमाजी मंदिर में पूरे उत्साह से मनाया जाता है.
सास व बहुओं की होली देखने आते हैं सैकड़ों लोग
इस दौरान सास-बहू की इस होली को देखने के लिए सैकड़ों लोग पहुंचते हैं. जब होली की रस्में शुरू होती हैं तो एक अलग ही दृश्य बनता है. बहुएं और सास अपने मनमुटाव को भूलकर होली के रंग में डूब जाती हैं. एक-दूसरे को शुभकामनाएं देती हैं. एक-दूसरे को रंग लगाकर होली की खुशियां बांटती हैं. यह दृश्य देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है. बता दें कि इस होली में 40 से 50 नहीं, बल्कि दो सौ से अधिक सास-बहुएं शामिल होती हैं. दरअसल, यहां सास-बहू की होली की परंपरा पिछले 50 साल से निभाई जा रही है.
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