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कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग का बजट ध्वनिमत से पारित, खूब हुई शेरो शायरी, कृषि मंत्री के रहते प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने दिया जवाब

Jharkhand Assembly budget session. गुरुवार को झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग का बजट ध्वनिमत से पास हो गया. बजट पर चर्चा के दौरान खूब शेरो शायरी हुई. कृषि मंत्री के रहते प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सदन में सरकार की ओर से जवाब दिया.

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 29, 2024, 8:25 PM IST

Jharkhand Assembly budget session
Jharkhand Assembly budget session

रांची: बजट सत्र के पांचवें दिन कृषि एवं संबंद्ध प्रक्षेत्र के लिए 4,606.57 करोड़ का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. हालांकि सरकार के जवाब के दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायक सदन से वॉक आउट कर चुके थे. बजट पर वाद विवाद के क्रम में खूब शेरो शायरी हुई. एक दूसरे को मर्यादा का पाठ भी पढ़ाया गया. पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह इस बात पर अड़ गये कि उन्हें और दो मिनट बोलने दिया जाए.

स्पीकर ने कहा कि दूसरे दिन बोलने का मौका दिया जाएगा. इसपर नाराजगी जताते हुए वह सदन से बाहर चले गये. खास बात है कि सदन में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री के मौजूद रहने के बावजूद सरकार की ओर से प्रभारी मंत्री के तौर पर मिथिलेश ठाकुर ने जवाब दिया. दरअसल, कृषि विभाग की कार्यशैली पर जमकर सवाल खड़े किए गये थे. इस वजह से एक बार कृषि मंत्री बादल पत्रलेख सफाई देने के लिए बोलने लगे. तब उन्हें प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर को रोकना पड़ा.

चर्चा के बाद ध्वनिमत से महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पथ निर्माण विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विभाग, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, जल संसाधन विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, भवन निर्माण विभाग, पंचायती राज विभाग, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया.

सरकार की तरफ से प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भाजपा की नीयत पर सवाल खड़े किए. कुल मिलाकर कहें तो बजट पर चर्चा के बजाए ज्यादा वक्त आरोप प्रत्यारोप में गुजरा. इस दौरान कई विधायकों ने शेरो शायरी भी की. प्रभारी मंत्री ने कहा कि किसानों और पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए बजट में हर बातों के ख्याल रखा गया है. इसी का नतीजा है कि सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में 2 लाख तक का कृषि ऋण माफ करने का फैसला लिया है. इस दौरान उन्होंने राम मंदिर को लेकर हो रही राजनीति के लिए भाजपा को आड़े हाथों लिया. खास बात है कि प्रभारी मंत्री के वक्तव्य के दौरान सीएम चंपई सोरेन उन्हें घड़ी की ओर इशारा करते नजर आए. वह बताना चाह रहे थे कि वक्तव्य को समाप्त करें ताकि कैबिनेट की बैठक में जाया जा सके.

कटौती प्रस्ताव लाने वाले भाजपा विधायक नवीन जयसवाल ने कृषि विभाग को राशि खर्च करने के मामले में सबसे फिसड्डी बताया. उन्होंने कहा कि सरकार ने 2 लाख तक कृषि ऋण माफ करने का वादा किया था. लेकिन चार साल निकल गये. अब चुनावी वर्ष में इसको बजट में लाया गया है. हर साल 5 लाख नौकरी और बेरोजगारी भत्ता का वादा किया गया जो अबतक पूरा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि गृह रक्षा वाहिनी की दौड़, लिखित, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन परीक्षण में नगड़ी और इटकी के 106 बच्च मेधा सूची में आए थे लेकिन बाद में गलत प्रखंड का हवाला देकर मेधा सूची निरस्त कर दी गयी.

झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि झारखंड आंदोलन को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने समझा. उन्होंने अलग राज्य बनाना. इसके लिए उनको धन्यवाद देता हूं. उन्होंने कहा कि आज तक यह तय नहीं हो पाया कि झारखंडी कौन है. खदानों से ओवरलोड गाड़ियां बिना चालान के जा रहीं हैं. इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है. सीएनटी, एसपीटी एक्ट को धरातल पर नहीं उतारा गया तो यहां के आदिवासियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा.

भाजपा विधायक मनीष जयसवाल ने कहा कि हत्या और दहेज प्रताड़ना के मामले में झारखंड पूरे देश में टॉप पर है. इस राज्य से आतंकियों का कनेक्शन मिलता रहता है. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि भाजपा वाले राम के पुजारी नहीं बल्कि राम के व्यापारी बने हुए हैं. उन्होंने चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार को डॉन-2 सरकार बताया. इस दौरान कई विधायक मुस्कुराते नजर आए. इरफान अंसारी के वक्तव्य के दौरान खूब हंसी ठिठोली चली.

वहीं, आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि 2019 के चुनाव के वक्त जारी मेनिफेस्टो के तमाम वाले अधूरे हैं. उन्होंने इसका उदाहरण भी पेश किया. ना युवाओं को नौकरी दी, ना ओबीसी को आरक्षण दिया, ना भूमिहीनों को भूमि मिली, पहले साल में 5 लाख नौकरी नहीं मिली, बेरोजगारों को भत्ता नहीं मिला, हर प्रखंड में नशा मुक्ति केंद्र खोलने का वादा कहां गया, चूल्हा खर्च का वादा कहां गया, सभी गरीब परिवारों को हर साल 72000 रु देने का वादा कहां गया, हर प्रखंड में मॉडल किसान स्कूल खोलने का वादा क्या हुआ, कितने खेतीहर मजदूर को अनुदान मिला, पुनर्वास आयोग का क्या हुआ, गरीब बेटी की शादी पर सोने का सिक्का देने का वादा क्या हुआ?

चर्चा में झामुमो विधायक मंगल कालिंदी और निर्दलीय विधायक अमित यादव ने भी भाग लिया. एक वक्त ऐसा आया जब व्यवस्था के तहत झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के छोटी-छोटी बात के लिए दखल देने से बचना चाहिए. जवाब में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि चार साल तक हमारे नेता को बोलने नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि अगर विपक्ष के वक्तव्य के दौरान बाधा उत्पन्न की जाएगी तो वह जरुर बोलेंगे. उन्होंने सुदिव्य सोनू को नसीहत दी कि वह उनके अधिकार क्षेत्र के नियंत्रित करने की कोशिश ना करें.

बजट पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का लक्ष्य 62 लाख घरों तक पेयजल पहुंचाना है. इसकी तुलना में 31 लाख से ज्यादा घरों तक पेयजल पहुंचा दिया गया है. जहां-जहां शौचालय का निर्माण नहीं हुआ था, वहां निर्माण कार्य चल रहा है. हमारी सरकार ने 2 लाख रुपए तक का कृषि ऋण माफ करने का फैसला लिया है. किसानों को यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं. केंद्र सरकार बार-बार जल जीवन मिशन की बात करती है. ऐसा बताती है कि इसपर सिर्फ केंद्र के पैसे खर्च हो रहे हैं. लेकिन सच्चाई ये है कि इस योजना पर 50% राशि केंद्र सरकार और 50% राशि राज्य सरकार खर्च करती है.

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि आठ लाख किसानों की जगह सिर्फ 57000 किसानों को फसल बीमा की राशि दी गई. जबकि इसकी तुलना में सैकड़ों करोड़ रुपए प्रीमियम वसूला गया. इस मामले से केंद्र सरकार को अवगत कराया गया तो पता चला कि किसानों को सिर्फ 92 करोड़ रुपए मिले हैं. इसके बाद बीमा कंपनियों से एफिडेविट लिया गया. उस आधार पर 7 लाख किसानों के खाते में करीब 500 करोड़ रूपया पहुंच पाया. इसी वजह से फसल बीमा योजना को बंद किया गया था.

प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि इनके मुंह में राम जरूर हैं लेकिन बगल में छुरी है. यह कहते हैं कि हम भगवान राम को लाए हैं. इनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं. ये लोग कहते हैं कि 500 साल इंतजार हुआ था. कहते हैं मोदी जी रामलला को लेकर आए. ऐसा क्यों हुआ कि कोई भी शंकराचार्य नहीं आए. अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा क्यों किया. दो साल और इंतजार क्यों नहीं किया गया.‌ राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को क्यों नहीं बुलाया गया. भाजपा की नींव रखने वाले लालकृष्ण आडवाणी को क्यों नहीं बुलाया गया?

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