लखनऊ: रविवार को पार्टी मुख्यालय से जारी अपने बयान में बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने बीजेपी सरकार की तरफ से संसद में लाए जाने वाले एक देश एक चुनाव बिल के कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि सभी दलों को इस पर एक मत होना चाहिए. संविधान पर चर्चा में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच तीखी नोकझोंक को उन्होंने संकीर्ण राजनीति का स्वार्थ बताया. इशारों-इशारों में कांग्रेस सांसद पर तंज कसा कि कोई राजनीतिक स्वार्थ में संविधान की प्रति माथे पर लगा रहा है और कोई इसे अपने हाथ में लेकर दिखाने में लगा है. अब तो इसकी आड़ में देश व जनहित के जरुरी मुद्दे भी दरकिनार कर दिया जा रहे हैं. संविधान का राजनीतिककरण किया जा रहा है, जो बिल्कुल भी सही नहीं है.
कांग्रेस ने किया डॉ. आंबेडकर और कांशीराम का अपमान:बीएसपी मुख्यालय की तरफ से बीएसपी अध्यक्ष का बयान जारी किया गया. बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने संविधान के मुद्दे पर कांग्रेस पर जमकर प्रहार किया. कहा कि भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर तो अपने देश में पहली बनी कांग्रेसी सरकार में ही भांप गए थे कि केंद्र व राज्यों में सत्ता, जातिवादी व संकीर्ण मानसिकता रखने वाले लोगों के हाथों में रहते हुए यहां सदियों से उपेक्षित रहे एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के लोगों को केंद्र में पहले बने कानून मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने खुद होते हुए भी यह देखा है.
इससे चिंतित होकर उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को अपने इस पद से इस्तीफा भी दे दिया था. बसपा अध्यक्ष ने कहा कि हालांकि उस समय की कांग्रेसी सरकार ने इस्तीफा देने के कारणों के बारे में इनको संसद में बोलने तक नहीं दिया था और तब फिर उनको मजबूरी में इस संदर्भ में अपनी बात मीडिया में ही रखनी पड़ी थी. संविधान पर कांग्रेस का असली चेहरा खुलकर सामने आ गया था. लगभग यही स्थिति संसद में मेरे साथ भी गुजरी है जब मुझे अपने लोगों के उत्पीड़न के विरुद्ध राज्यसभा में बोलने नहीं दिया गया था.
तब फिर मजबूरी में मुझे उस समय राज्यसभा से इस्तीफा भी देना पड़ गया था. डॉ आंबेडकर के निधन के बाद भी केंद्र में काफी वर्षों तक कांग्रेस की ही सरकार रही, लेकिन हर मामले में भारत रत्न की उपाधि के पात्र रहे डॉ. आंबेडकर को इस उपाधि से सम्मानित नहीं किया गया था. कांग्रेस के सत्ता से हटने के बाद बीएसपी ने काफी प्रयास किया और वीपी सिंह की सरकार में उन्हें भारत सम्मान दिया गया था. इतना ही नहीं बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के निधन होने पर भी केंद्र में रही इसी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने उनके सम्मान में एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया था. इससे कांग्रेस पार्टी का असली चाल, चरित्र और चेहरा सामने आ जाता है.
हमसे ज्यादा तुम दोषी जैसी संकीर्ण राजनीति कर रही कांग्रेस-बीजेपी:संसद में संविधान के 75 वर्षों की गौरव यात्रा का महत्व और उपयोगिता तभी संभव है जब खुले मन से यह स्वीकार किया जाए कि क्या शासक वर्ग मानवतावादी और कल्याणकारी संविधान की पवित्रा मंशा के हिसाब से यहां देश के करोड़ लोगों को रोजगार व न्याय और आत्म सम्मान व स्वाभिमान का जीवन दे पाया है?