लातेहार:कहा जाता है कि प्रेम न किसी बंधन का मोहताज होता है और न इसकी कोई सीमा होती है. ना ये गरीबी देखता है और ना अमीरी, ना रंग ना जात, बस ये हो जाता है. और एक बार जिसे सच्चा प्रेम हो गया तो वह फिर अपने प्यार के लिए कुछ भी कर गुजरता है. उसके लिए फिर कोई सीमा नहीं होती. झारखंड के लातेहार में मैगनोलिया की एक ऐसी ही प्रेम कहानी है, जो अमर हो चुकी है.
इस प्यार का जन्म नेतरहाट की हसीन वादियों में हुआ. हालांकि, हर चर्चित प्रेम कहानी की तरह ही इस प्यार का अंत भी काफी दुखद हुआ, दोनों प्रेमियों को जान देनी पड़ी. लेकिन मौत के बाद भी प्रेमी-प्रेमिका अमर हो गए. दरअसल यह बात उन दिनों की है जब भारत में अंग्रेजों का शासन हुआ करता था. नेतरहाट अंग्रेजों के प्रिय स्थलों में से एक था. अंग्रेज गवर्नर भी यहां आकर रहा करते थे. ऐसे ही एक अंग्रेज गवर्नर की बेटी मैगनोलिया भी अपने पिता के साथ नेतरहाट में प्रवास करने आई थी.
अंग्रेज गवर्नर की बेटी रोज अपने घोड़े पर सवार होकर नेतरहाट की हसीन वादियों में भ्रमण करने निकल जाती थी. एक दिन उसे नेतरहाट की वादियों में बांसुरी की मधुर धुन सुनाई पड़ी. बांसुरी की धुन इतनी प्यारी थी कि मैगनोलिया उसकी ओर बढ़ती चली गई. मैगनोलिया ने देखा कि एक चरवाहा अपने मवेशियों को चरा रहा था और पास में ही बैठकर बांसुरी भी बजा रहा था. चरवाहे का नाम बटुक था.
इसके बाद अक्सर मैगनोलिया बांसुरी की धुन को सुनने के लिए चरवाहे के पास जाने लगी. धीरे-धीरे दोनों में प्रेम हो गया और वक्त के साथ यह प्रमे बढ़ने लगा. दोनों में गहरा प्रेम हो गया. अक्सर मैगनोलिया घंटो बैठकर नेतरहाट की हसीन वादियों में चरवाहा बटुक की बांसुरी की मधुर धुन को सुना करती थी.
अंग्रेज गवर्नर ने करवा दी चरवाहे की हत्या तो बेटी ने भी दे दी जान
आखिरकार अंग्रेज गवर्नर को इस प्रेम कहानी का पता चल गया. जिससे वह आग बबूला हो गया. इसके बाद गवर्नर के सैनिकों ने चरवाहे को नेतरहाट की पहाड़ियों की सैकड़ों फीट गहरी खाई में फेंक दिया. उधर मैगनोलिया जब घोड़े पर सवार होकर चरवाहे को ढूंढने निकली, तो कुछ लोगों ने उसे बताया कि चरवाहे की हत्या कर इसी गहरी खाई में फेंक दिया गया है.
चरवाहे की हत्या की खबर सुन मैगनोलिया बुरी तरह टूट गई. वह अपने प्रेमी की हत्या की खबर बर्दाश्त न कर सकी और आखिरकार उसने ऐसा कदम उठा लिया, जिसकी कल्पना भी उस अंग्रेज गवर्नर ने नहीं की थी. मैगनोलिया अपने घोड़े के साथ उसी खाई के पास पहुंची, जहां से बटुक को फेंका गया था. फिर उसने अपने घोड़े के साथ ही उस गहरी खाई में छलांग लगा दी. इस प्रकार एक सच्चे निस्वार्थ और अमर प्रेम का अंत हो गया. हालांकि चरवाहे और मैगनोलिया के शरीर का अंत तो हो गया, लेकिन मैगनोलिया ने अपने प्रेमी के वियोग में अपनी जान देकर अपने प्रेम को अमर कर दिया.
इतिहास के पन्नों में दबा है मैगनोलिया और बटुक की प्रेम कहानी