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दुर्गा और सावित्री का छूटेगा साथ, जू में बढ़ेगा सफेद बाघों का कुनबा

कानपुर जू में सफेद बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए (White female tiger in Kanpur Zoo) बाघिनों को अलग कर वन्यजीवों की अदला-बदली नियमों के तहत किसी दूसरे जू में भेजा जाएगा. जू के प्रशासनिक अफसरों ने इसको लेकर प्लानिंग की है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 7, 2024, 7:36 PM IST

Updated : Feb 8, 2024, 9:00 AM IST

कानपुर जू में सफेद बाघों का बढ़ेगा कुनबा

कानपुर: भले ही अभी कानपुर जू में दर्शकों को सफेद बाघिन दुर्गा और सावित्री अपनी चहलकदमी से आकर्षित करती हों. लेकिन, बहुत जल्द दुर्गा और सावित्री का साथ छूट जाएगा. वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक पल के लिए यह बात दुखभरी है. लेकिन, आने वाले समय में अगर सब कुछ ठीक रहा तो कानपुर जू के अंदर सफेद बाघों का कुनबा बढ़ेगा.

दरअसल, कानपुर जू में दो सफेद मादा बाघ हैं. निदेशक केके सिंह ने प्रशासनिक अफसरों संग मिलकर जो कार्ययोजना बनाई है. उसके तहत इनमें से एक बाघिन को वन्यजीवों की अदला-बदली नियमों के तहत किसी दूसरे जू में भेजा जाएगा. वहां से एक सफेद बाघ (नर) कानपुर लाया जाएगा. इसके बाद सफेद बाघों की ब्रीडिंग कराई जाएगी. जिससे उम्मीद है, कि चिड़ियाघर को नए शावक मिल सकते हैं. सफेद बाघिन को भेजने के लिए देशभर के कई जू से निदेशक ने संपर्क कर लिया है. मौसम को देखते हुए, जल्द ही दुर्गा और सावित्री में से किसी एक को यहां से भेजने की तैयारी है.

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अगस्त में गौर तो अक्टूबर में गैंडा जन्मा था:अगर आप कानपुर जू को देखेंगे, तो यहां की हरियाली हर किसी का दिल जीत लेती है. फिर वो यहां रहने वाले वन्यजीव ही क्यों न हो. वहीं, अगर वन्यजीवों की ब्रीडिंग को लेकर देखें, तो 2023 अगस्त में जहां गौर ने बछड़े को जन्म दिया था. वहीं, अक्टूबर में ही मादा गैंडा मानू ने भी गैंडा को जन्म दिया. इसी तरह पिछले सालों में शेरों के शावकों ने भी यहां जन्म लिया. और वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं. यही नहीं, हिरण, बंदरों की कई प्रजातियों समेत पक्षियों ने भी समय-समय पर प्रजनन किया और इनकी संख्या बढ़ी ही है. ऐसे में अफसरों का दावा है, कि अगर सफेद बाघों की ब्रीडिंग कराई गई, तो उन्हें सार्थक परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

चार वर्षों में बाघों की आबादी में 18.49 प्रतिशत की वृद्धि: उप्र वन विभाग के आंकड़ों को देखें, तो पिछले चार सालों में यूपी के अंदर बाघों की संख्या में 18.49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उप्र में साल 2018 में जब बाघों की गणना हुई थी, तो उनकी संख्या 173 थी. जबकि साल 2022 में यह आंकड़ा 205 तक पहुंच गया. वहीं, साल 2006 में बाघों की संख्या यूपी के अंदर केवल 109 थी. वन विभाग के अफसरों का दावा है, कि बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि सफेद बाघों की स्थिति दुर्लभ वन्यजीवों में शुमार है.

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Last Updated : Feb 8, 2024, 9:00 AM IST

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