पटनाःतीसरे चरण में शिक्षक बहाली में पेपर लीक का मामला तूल पकड़ते जा रहा है. आर्थिक अपराध इकाई ने 270 से अधिक अभियुक्तों को बीती रात पटना एमपी एमएलए कोर्ट में पेशी कराई. ईओयू ने इस संबंध में बताया है कि शुरुआती जांच में पता चला है कि तीसरे चरण की परीक्षा में पूछे गए प्रश्न एक दिन पहले ही तमाम अभियुक्तों के पास उपलब्ध हो गए थे.
'15 मार्च तक का समय': ऐसे में अब शिक्षक अभ्यर्थी भी इस परीक्षा को रद्द करने की डिमांड करने लगे हैं. शिक्षक अभ्यर्थियों के समर्थन में छात्र नेता दिलीप ने भी कहा है कि 15 मार्च को आयोजित हुई दोनों शिफ्ट की परीक्षा रद्द होनी चाहिए. ईटीवी से बातचीत करते हुए छात्र नेता दिलीप ने कहा कि आर्थिक अपराध इकाई ने स्पष्ट कहा है कि विभिन्न पालियों के क्वेश्चन पेपर हूबहू गिरफ्तार अभ्यर्थियों के पास से मिले हैं. ऐसे में यह अभ्यर्थी अपने मित्र मंडली में और अन्य साथियों में भी इसे साझा कर चुके हैं.
'अविलंब परीक्षा रद्द होनी चाहिए': पटना और हजारीबाग में ही यह गिरफ्तारी हुई है. लेकिन यूपी और झारखंड से सटे सीमावर्ती जिले में बड़े पैमाने पर शिक्षक अभ्यर्थियों ने परीक्षा में धांधली होने की बात कही है. अब आयोग इस मामले पर लीपापोती करके परीक्षा रद्द होने से बचना चाह रहा है. आर्थिक अपराध इकाई ने जब स्पष्ट कर दिया है कि जांच में क्वेश्चन पेपर पूर्व से लीक मिले हैं. बिहार के लाखों नौजवानों बेरोजगारों के हित में अविलंब इस परीक्षा को रद्द की जानी चाहिए.
"बिहार लोक सेवा आयोग को सोमवार तक का समय देंगे कि इस परीक्षा को रद्द करें. दोनों शिफ्ट की परीक्षा रद्द होनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो मंगलवार से पटना की सड़कों पर लाखों शिक्षक अभ्यर्थी उतरकर आंदोलन करेंगे."-दिलीप कुमार, छात्र नेता
बड़े अधिकारी पर हो कार्रवाईः छात्र नेता ने कहा कि पेपर लीक की घटना पहली नहीं है. सही से कार्रवाई भी नहीं हुई. अक्सर पेपर लीक की घटना में छोटे अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होती है. लेकिन पेपर लिख की घटना आयोग के सदस्यों के मिली भगत के बिना नहीं हो सकती. इस मामले की गहनता से जांच होनी चाहिए और बीपीएससी कार्यालय की जो अधिकारी और कर्मचारी इसमें संलिप्त हैं उन पर कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए. पकड़े गए अभ्यर्थियों को आजीवन प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित कर देना चाहिए.