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देहरा में आपसी टकराव से हुआ बीजेपी के साथ सियासी 'खेला', चुनाव से पहले ही संगठन में मच गया था हाहाकार - BJP Loss dehra seat

BJP Loss Dehra Vidhan Sabha Seat: देहरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस को पहली बार जीत हासिल हुई है. देहरा सीट पर दो बार बीजेपी और दो बार बतौर निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने जीत हासिल की थी. साल 2017 में इस सीट पर कांग्रेस की जमानत तक जब्त हो गई थी.

BJP LOSS DEHRA SEAT
रमेश धवाला और बीजेपी प्रत्याशी होशियार सिंह (ETV Bharat फाइल फोटो)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 13, 2024, 9:00 PM IST

देहरा:हिमाचल प्रदेश की तीनों विधानसभा सीटों के चुनाव परिणाम आज सामने आ चुके हैं. देहरा, नालागढ़ का चुनाव जीतकर सीएम सुक्खू ने साख भी बचा ली और सरकार भी. तीनों सीटों पर सबसे ज्यादा चर्चा देहरा सीट की जनता के बीच थी. इस सीट से सीएम सुक्खू की पत्नी चुनाव लड़ रही थी ये एक वजह तो थी ही, लेकिन इससे भी बड़ी वजह यहां बीजेपी की आपसी नूरा कुश्ती थी. बीजेपी की खींचतान के बीच चुनाव भी चलता रहा और जनता बीजेपी की यहां हो रही सिर फुटव्वल का मजा भी लेती रही.

देहरा में बीजेपी की ये सियासी सर्कस हाल फिलहाल शुरू नहीं हुई है. 2022 से पहले सगंठन और वरिष्ठ नेताओं के बीच हुई सर्कस का नतीजा ये रहा कि बीजेपी ने अपने लिए कुआं खुद खोद लिया. नतीजा ये रहा कि देहरा में बीजेपी को 2017, 2022 और अब उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा. होशियार सिंह काफी लंबे समय से बीजेपी में एंट्री के लिए रास्ता तलाश रहे थे, लेकिन बात नहीं बनी तो 2017 और 2022 में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत गए. होशियार सिंह का बीजेपी प्रेम जगजाहिर था. 2024 में आखिरकार वो घड़ी आई जिसका इंतजार होशियार सिंह को वैसे ही था.

बीजेपी ने होशियार सिंह को उपचुनाव में टिकट दे दिया, लेकिन इसके लिए बीजेपी ने अपने दो 'असल सपूतों' रमेश धवाला और रविंद्र रवि की राजनीतिक बलि दे दी, लेकिन ना रवि और ध्वाला को बात पसंद आई. दोनों ने बीजेपी लीडरशिप की आंखों में आंखें डालकर ये कहा दिया कि उन्हें उनकी 'राजनीतिक बलि' मंजूर नहीं है.

आज के चुनाव परिणाम की बात करें तो कमलेश ठाकुर 9,399 वोटों से जीती हैं. रेंटा, धवाला, सनोट तीनों धवाला पंचायत में आते हैं. यहां कांग्रेस को 1539, जबकि बीजेपी को मात्र 300 वोट मिले. यहां रमेश ध्वाला का अच्छा प्रभुत्व माना जाता है. देहरा विधानसभा से विधायक रहे धूमल परिवार के करीबी रविंद्र रवि भी चुनाव में नदारद रहे. दोनों ने बीजेपी को ऑन कैमरा संदेश दे दिया था कि वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी भारी पड़ेगी.

उपचुनाव में होशियार सिंह की होशियारी भी काम नहीं आई. उन्होंने अपने धुर विरोधी धवाला को मतदान से पहले गले लगाया था. चुनावी बेला में शुभ मुहूर्त निकालकर होशियार सिंह धवाला के दर पर पहुंच गए. चुनाव में ऐसा मालूम हुआ कि होशियार सिंह अपनी पालकी खुद ही उठाकर चल रहे हैं. होशियार सिंह पूरा सियासी बोझ अपने सिर पर ढोते नजर आए. बीजेपी ने बिंदल को यहां प्रभारी बनाकर भेजा था, लेकिन बिंदल भी कोई खास कमाल नहीं कर पाए.

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