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सरकार ने छीन ली नौकरी लेकिन लगा दी चुनावी ड्यूटी, अतिथि शिक्षकों ने कहा- 'नहीं करेंगे कोई सरकारी काम' - Bihar Guest Teachers - BIHAR GUEST TEACHERS

Bihar Guest Teachers: 31 मार्च के बाद बिहार के 4257 अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त हो गई है, लेकिन सरकार ने उन्हें चुनावी ड्यूटी में लगाया है. इसको लेकर अतिथि शिक्षकों ने सपष्ट कर दिया है कि जब सरकार ने उन्हें सेवा से मुक्त कर दिया है, तो वह कोई सरकारी काम नहीं करेंगे.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 1, 2024, 12:29 PM IST

पटना: आज 1 अप्रैल से प्रदेश के 4257 अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं. शिक्षा विभाग के निर्देश के बाद 6 वर्षों से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 4257 अतिथि शिक्षक सेवा से मुक्त हो गए हैं, लेकिन उनकी चुनावी ड्यूटी लग गई है. जिसपर अतिथि शिक्षकों ने कह दिया है कि वह चुनावी ड्यूटी नहीं करेंगे.

अतिथि शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी: जिलों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी यानि की डीएम की ओर से अतिथि शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी में शामिल होने के लिए निर्देश पत्र जारी होने लगे हैं. ऐसे में अतिथि शिक्षकों का साफ कहना है कि सरकार ने जब उनकी सेवा समाप्त कर कार्य से मुक्त कर दिया है तो फिर उनकी चुनाव में ड्यूटी क्यों लगाई गई है. वह किसी प्रकार का कोई सरकारी काम नहीं करेंगे.

'सरकार का आश्वासन गलत': अतिथि शिक्षकों के प्रवक्ता कुमार संजीव ने कहा कि 6 वर्षों तक उन्होंने चुनावी ड्यूटी की है, जनगणना किया है और सरकार के सभी कार्यक्रमों का संचालन किया है. सरकार की ओर से बार-बार आश्वासन मिला कि उन्हें स्थाई किया जाएगा लेकिन अब उनकी नौकरी भी छीन ली गई है. उन्हें अब विधायिका के किसी बातों पर भरोसा नहीं रहा और अब वह चुनावी ड्यूटी नहीं करेंगे.

"डीएम की ओर से अतिथि शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी में योगदान करने के लिए पत्र जारी किए जा रहे हैं. शिक्षा विभाग ने 1 अप्रैल से हमें अपना कर्मी मानने से इनकार कर दिया है. हम लोग अब सरकार के किसी भी कार्य से नहीं जुड़े हैं. किस हैसियत से जाकर हम चुनावी ड्यूटी करेंगे. पहले तो कहने को अतिथि शिक्षक तो थे. मतदान केंद्र पर किसी प्रकार की घटना दुर्घटना अतिथि शिक्षक के साथ होती है तो अब इसकी जिम्मेवारी किसकी रहेगी."-कुमार संजीव, प्रवक्ता, अतिथि शिक्षक

'बेरोजगार होकर सड़क पर भटक रहे हैं': बीते दो-तीन वर्षों में सदन में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी विजय कुमार सिन्हा और कई विधायकों ने अतिथि शिक्षक को समायोजित करने के मुद्दे को उठाया. सरकार की तरफ से सकारात्मक आश्वासन दिया गया. समाधान यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते रहे कि अतिथि शिक्षक अतिथि नहीं रहेंगे और वह निश्चिंत होकर सरकारी कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने का काम करें. अतिथि शिक्षकों ने निश्चिंत होकर सब कुछ किया. मतगणना, जनगणना, कोरोना ड्यूटी, जल जीवन हरियाली से लेकर स्कूल में बच्चों के बीच शैक्षणिक कार्य और आज बेरोजगार होकर सड़क पर भटक रहे हैं.

1 अप्रैल से सभी अतिथि शिक्षक बेरोजगार: दरअसल शिक्षा विभाग की ओर से सभी जिला के शिक्षा पदाधिकारी को पत्र जारी करते हुए निर्देशित किया गया है कि अतिथि शिक्षकों का 31 मार्च के बाद के किसी अतिथि शिक्षक का कोई भुगतान नहीं होगा. 3 अप्रैल तक जिला शिक्षा पदाधिकारी को इस संबंध में शिक्षा विभाग को शपथ पत्र देना है कि उनके जिले में अब कोई अतिथि शिक्षक कार्यरत नहीं है. लेकिन इसी बीच अतिथि शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी की नोटिस आने लगी है.

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