पटना: बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद 20 सूत्री कमिटी का गठन हो चुका है. अब कार्यकर्ताओं की नजर आयोग, बोर्ड और निगम पर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सभी सहयोगी दलों को सूची भेजने के लिए कहा है. 2025 विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार जदयू भाजपा और अन्य सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं का पॉलिटिकल सेटलमेंट करना चाहते हैं, जिससे चुनाव में उन्हें लाभ मिल सके.
कैसे होगा बंटवाराः भाजपा और जदयू के बीच बराबर बराबर आयोग और अन्य बोर्ड का बंटवारा होगा. अन्य सहयोगियों को भी कुछ आयोग में जगह दी जाएगी. जो जानकारी मिल रही है 200 से अधिक नेताओं और कार्यकर्ताओं के एडजस्टमेंट करने की कोशिश होगी. जदयू एमएलसी संजय गांधी का कहना है कि मुख्यमंत्री को इसकी घोषणा करनी है. सहयोगी दलों की सूची का इंतजार हो रहा है. कुछ आयोग और बोर्ड पर सहमति नहीं बनी तो उसे फिलहाल खाली रखा जा सकता है, जिसे बाद में भरा जाएगा.
20 आयोग में मिलेगी जगहः बिहार के सरकारी आयोगों की संख्या 20 के करीब है.चर्चा यह भी है कि दो नया आयोग युवा और व्यापार आयोग का भी गठन किया जा रहा है . भाजपा की तरफ से इसके गठन करने की मांग मुख्यमंत्री से हुई है . भाजपा शासित राज्यों में ये दोनों आयोग पहले से काम कर रहे हैं. जो जानकारी मिल रही है एनडीए के दोनों महत्वपूर्ण घटक दल भाजपा और जदयू के बीच बोर्ड-आयोग के अध्यक्ष पद बराबर बराबर बटेगा.
सहयोगी दल से नाम आने का इंतजारः एक आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों सहित कुल पांच नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगह मिलेगी. इस हिसाब से 20 आयोग में 100 नेताओं कार्यकर्ताओं को जगह मिलना तय है. इसके अलावा बोर्ड व निगम की बात करें तो वह भी 100 के करीब है. इसमें से भी कई का गठन मुख्यमंत्री करने वाले हैं जिसमें कई नेताओं कार्यकर्ताओं को सेट किया जाएगा. नीतीश कुमार के नजदीकी एमएलसी संजय गांधी का कहना है कि बोर्ड व आयोग का पुनर्गठन होने वाला है.
"कार्यकर्ताओं को जगह दी जाएगी बीजेपी सभी सहयोगी दलों के साथ बातचीत कर सूची सौपेंगी. बीजेपी की सूची का इंतजार हो रहा है सूची मिलने के बाद मुख्यमंत्री फैसला लेंगे. सभी सहयोगी दलों का समायोजन किया जाएगा. संजय गांधी ने कहा कि जो भी बोर्ड निगम आयोग खाली होंगे मुख्यमंत्री उसका पुनर्गठन करेंगे."- संजय गांधी, जदयू एमएलसी
एनडीए सरकार बनने के बाद हुआ था भंगः बिहार में महागठबंधन की सरकार में कई बोर्ड आयोग का गठन किया गया था, लेकिन इस साल जनवरी में नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और इसके कारण कुछ संवैधानिक आयोग को छोड़कर अन्य सभी आयोग बोर्ड को भंग कर दिया गया था. जनवरी में एनडीए की सरकार बनने के बाद से बीजेपी और जदयू के कार्यकर्ता फिर से इस उम्मीद में हैं कि उन्हें आयोग बोर्ड में जगह दी जाएगी.