नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की बहाली को बरकरार रखने वाले आदेश के खिलाफ केंद्र की अपील खारिज कर दी है. आपको बता दें कि जीपी सिंह को भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और देशद्रोह के आरोपों के बाद अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था. न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि वह पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह से संबंधित दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं.
हाईकोर्ट ने जीपी सिंह की बहाली के दिए थे निर्देश :उच्च न्यायालय ने 23 अगस्त को 1994-बैच के आईपीएस अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा पारित आदेश के खिलाफ केंद्र की चुनौती को खारिज कर दिया. जिसने न केवल 20 जुलाई को पारित अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को रद्द कर दिया. बल्कि परिणामी लाभों के साथ उनकी बहाली का भी निर्देश दिया. केंद्र ने तर्क दिया कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश सेवा नियमों के संदर्भ में सार्वजनिक हित में विधिवत पारित किया गया था. कैट ने आपराधिक शिकायतों, वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट के डाउनग्रेडिंग के साथ-साथ अनुशासनात्मक के संबंध में साक्ष्य का मूल्यांकन करते समय अपने अधिकार क्षेत्र को छीन लिया.
याचिकाकर्ता प्रतिवादी जीपी सिंह के सेवा रिकॉर्ड में कुछ भी प्रतिकूल दिखाने में सक्षम नहीं हैं. एफआईआर दर्ज करना मणि भूषण के परिसरों पर की गई छापेमारी के बाद उनसे की गई कथित वसूली पर आधारित है. उच्च न्यायालय ने इस बारे में कहा कि 'एसबीआई अधिकारी मणि भूषण के बयान के अनुसार, जीपी सिंह के खिलाफ आरोप इतना मजबूत नहीं लगता कि प्रतिवादी नंबर 1 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का निर्देश दिया जा सके.उच्च न्यायालय ने कहा था कि बिना किसी तर्क या किसी नए आधार के उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के एक कथित मामले में कार्यवाही को फिर से शुरू करना खासकर जब सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में अन्यथा कहा गया था, और इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था, परेशान करने का एक प्रयास था.