लखनऊ:देशभर के विश्वविद्यालयों, डिग्री कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों के क्वालिटी ऑफ एजुकेशन को सुधारने के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) मूल्यांकन को बढ़ावा देने के लिए अब इसके नियम में व्यापक बदलाव किया गया है. नैक के तहत ग्रेडिंग करने वाले विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थानों को अब ए, बी, सी और डी कैटेगरी में न रखकर, उन्हें बाइनरी कैटेगरी में रखा जाएगा. उन्हें अब केवल नैक से एक्रीडिटेशन या नाॅक एक्रीडिटेशन की ही कैटेगरी में रखा जाएगा. इससे कॉलेज के भीतर नैक को लेकर जो एक डर है वह बाहर आ जाएगा.
यह बात नैक के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे कही. उन्होंने कहा कि यह संस्थाओं के क्वालिटी को सुधारने का तरीका है. प्रो. सहस्रबुद्धे शुक्रवार को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की क्षेत्रीय कार्यशाला में बोल रहे थे. कार्यशाला में 9 राज्यों से कुलपति, आईक्यूएसी डायरेक्टर, प्रधानाचार्य एवं शिक्षा अधिकारियों ने भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने की.
कैटेगिरी सिस्टम खत्म, सिर्फ एक्रेडिटेड या नॉट एक्रेडिट कहेंगे :प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ज्यादातर विश्वविद्यालय ने नैक से मूल्यांकन तो कराया है पर डिग्री कॉलेज के आने की रफ्तार बहुत कम है. अब हमने अभी ग्रेडिंग सिस्टम हटा दिया है. अभी कॉलेज को या यूनिवर्सिटी को एक्रेडिटेड या नॉट एक्रेडिट ही कहेंगे. अब कोई ए, बी, सी कैटेगरी नहीं होंगे. इससे जो कॉलेज सामने आने से डर रहे हैं जो उनके मन में डर है वह बाहर हो जाएगा. इसके बाद सभी लोग पहले ही दौर में ही एक्रेडिटेड होंगे या नहीं होगा. अगर उनके पास क्वालिटी नहीं है तो वह एक्रीडिटेशन नहीं होंगे.
प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि कई बार ऐसे विश्वविद्यालय नेट मूल्यांकन के लिए सामने नहीं आते हैं जो सिर्फ एक्रीडिटेशन और एग्जाम करने के लिए ही बने हैं. ऐसे विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन में शामिल होने के लिए विश्वविद्यालय लेवल पर पोस्ट ग्रैजुएट कोर्सेज का संचालन कर सकता है या फिर वह ऑनलाइन कोर्सेज भी संचालित कर सकते हैं. जिसके आधार पर वह अपने मानक को पूरा करने मूल्यांकन में शामिल हो सकते हैं. ऐसे विश्वविद्यालय को अपने यहां कोई न कोई प्रावधान तो करना ही पड़ेगा.