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NAAC के तहत ग्रेडिंग को लेकर बड़ा बदलाव, नए सिस्टम से मिलेगा सुधार का मौका: अनिल सहस्रबुद्धे - NAAC Assessment - NAAC ASSESSMENT

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने विश्वविद्यालयों, डिग्री कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों की ग्रेडिंग को लेकर बड़ा बदलाव कर दिया है. इसके तहत अब ए, बी, सी और डी कैटेगरी में न रखकर संस्थाओं को बाइनरी कैटेगरी में रखा जाएगा.

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में कार्यशाला का उद्घाटन करते अतिथि.
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में कार्यशाला का उद्घाटन करते अतिथि. (Photo Credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 8:33 PM IST

नैक के नए प्रावधानों की जानकारी साझा करते नैक के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे . (Video Credit : ETV Bharat)

लखनऊ:देशभर के विश्वविद्यालयों, डिग्री कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों के क्वालिटी ऑफ एजुकेशन को सुधारने के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) मूल्यांकन को बढ़ावा देने के लिए अब इसके नियम में व्यापक बदलाव किया गया है. नैक के तहत ग्रेडिंग करने वाले विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थानों को अब ए, बी, सी और डी कैटेगरी में न रखकर, उन्हें बाइनरी कैटेगरी में रखा जाएगा. उन्हें अब केवल नैक से एक्रीडिटेशन या नाॅक एक्रीडिटेशन की ही कैटेगरी में रखा जाएगा. इससे कॉलेज के भीतर नैक को लेकर जो एक डर है वह बाहर आ जाएगा.

यह बात नैक के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे कही. उन्होंने कहा कि यह संस्थाओं के क्वालिटी को सुधारने का तरीका है. प्रो. सहस्रबुद्धे शुक्रवार को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की क्षेत्रीय कार्यशाला में बोल रहे थे. कार्यशाला में 9 राज्यों से कुलपति, आईक्यूएसी डायरेक्टर, प्रधानाचार्य एवं शिक्षा अधिकारियों ने भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने की.





कैटेगिरी सिस्टम खत्म, सिर्फ एक्रेडिटेड या नॉट एक्रेडिट कहेंगे :प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ज्यादातर विश्वविद्यालय ने नैक से मूल्यांकन तो कराया है पर डिग्री कॉलेज के आने की रफ्तार बहुत कम है. अब हमने अभी ग्रेडिंग सिस्टम हटा दिया है. अभी कॉलेज को या यूनिवर्सिटी को एक्रेडिटेड या नॉट एक्रेडिट ही कहेंगे. अब कोई ए, बी, सी कैटेगरी नहीं होंगे. इससे जो कॉलेज सामने आने से डर रहे हैं जो उनके मन में डर है वह बाहर हो जाएगा. इसके बाद सभी लोग पहले ही दौर में ही एक्रेडिटेड होंगे या नहीं होगा. अगर उनके पास क्वालिटी नहीं है तो वह एक्रीडिटेशन नहीं होंगे.



प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि कई बार ऐसे विश्वविद्यालय नेट मूल्यांकन के लिए सामने नहीं आते हैं जो सिर्फ एक्रीडिटेशन और एग्जाम करने के लिए ही बने हैं. ऐसे विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन में शामिल होने के लिए विश्वविद्यालय लेवल पर पोस्ट ग्रैजुएट कोर्सेज का संचालन कर सकता है या फिर वह ऑनलाइन कोर्सेज भी संचालित कर सकते हैं. जिसके आधार पर वह अपने मानक को पूरा करने मूल्यांकन में शामिल हो सकते हैं. ऐसे विश्वविद्यालय को अपने यहां कोई न कोई प्रावधान तो करना ही पड़ेगा.

नैक के डायरेक्टर प्रो. गणेशन कन्नाबिरन ने मूल्यांकन की नई प्रणाली का विवरण देते हुए कहा कि प्रस्तावित सुधार विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के आधार पर तैयार किए गए हैं. मूल्यांकन का नया ढांचा "व्यवसाय करने में आसानी और सिस्टम में विश्वास" का प्रतीक है जो बिना किसी डर या अवरोध के मान्यता के लिए स्व-निर्देशित प्रेरणा को सक्षम बनाता है. नैक सदस्य प्रो. शुचिता पाण्डेय ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में मूल्यांकन हेतु बदलाव की आवश्यकता है. जिससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को गंभीरता से लेते हुए विभिन्न विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थान मूल्यांकन की प्रक्रिया में आगे आये. आगामी 5 वर्षों में देश के 90% छोटे- बडे़ शिक्षण संस्थानों को‌ नैक मूल्यांकन प्रक्रिया में शामिल करना ही इस नये फ्रेमवर्क का उद्देश्य है.



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