भोपाल।भोपाल रेल मंडल के नर्मदा ऑडिटोरियम में हास्य कविताओं ने ऐसा समां बाधा कि हर रचना पर तालियों की गड़गड़हाट हुई. इसके साथ ही अन्य रस के कवियों ने भी कविताएं सुनाईं. भोपाल रेल मंडल ने शुक्रवार को राजभाषा पखवाड़े के समापन अवसर पर हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया. इसमें रेलवे से रिटायर और वर्तमान में काम कर रहे कर्मचारियों ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया. इस दौरान हिंदी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों का सम्मान भी किया गया.
बेटियों पर हो रहे अत्याचार रोकने के लिए भी कविता सुनाई
"खुश हैं वो एक दूसरे की पगड़ी उछाल के, रखेगा कौन देश की धरती संभाल के, ये सबके सब मुरीद हैं फोकट के माल के, तुम जब भी वोट देना, देना संभाल के"कवि राकेश वर्मा की इस पैरोडी पर खूब तालियां बजीं. वहीं बेटियों पर हो रहे अत्याचार पर पंडित अशोक नागर ने कविता सुनाई. "यदि ऐसे अपराध को रोकना है तो यदि आपको कहीं किसी की बेटी परेशानी में दिखे तो उसका बाप बन जाइए."उन्होंने एक और सुंदर कविता सुनाई."छोड़ दे दुपट्टा मेरा, तोड़ दूंगी दांत तेरे, बिगड़े नवाब को अभी सुधार दूंगी मैं तेरा हुलिया बिगाड़ दूंगी मैं. ये उछल कूद बंद कर, मत छल छंद कर. तुझे यहीं जमीन पर गाड़ दूंगी मैं. मुझ पर क्या मरता है, यदि मर्द है तो वतन के लिए मर, अपना दुपट्टा उतार दूंगी मैं."
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