भोपाल।बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में गेहूं को 2700 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने की घोषणा की थी. किसान संघ के दवाब में सरकार ने 125 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस देने का एलान किया था, लेकिन अब किसानों की सरकार पर खासतौर से समर्थन मूल्य को लेकर निर्भरता धीरे-धीरे कम होती जा रही है. किसानों ने अपना 13 लाख टन गेहूं बाजार में बेचा है, वो भी 3 सालों में. गेहूं पैदा करने वाले बिसन खेड़ी के किसान रामप्रसाद सिंह का कहना है कि''समर्थन मूल्य पर गेहूं के दाम बाजार दर से कम हैं. उनके अनाज के दाम खुली मंडियों में ज्यादा मिल रहे हैं. कई क्षेत्रों में आईटीसी सहित अन्य आटा बनाने वाली कंपनियां किसानों के खेतों से हो अनाज उठा लेती हैं.''
बार-बार पंजीयन का मौका
इस साल समर्थन मूल्य 2,225 रु. प्रति क्विंटल है जिस पर 125 रुपए बोनस मिल रहा है. इसलिए सरकार को उम्मीद है कि यह संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि गेहूं पर 125 रुपए बोनस की घोषणा की गई है. इस साल किसानों बार-बार पंजीयन का मौका दिया जा रहा है. पहले 29 फरवरी, इसके बाद 6 मार्च, फिर 10 मार्च और अब 16 मार्च अंतिम तारीख है. अब तक 15 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है.
घट रहा है रजिस्ट्रेशन
वर्ष - रजिस्ट्रेशन
2021 - 27.26 लाख
2022 - 21 लाख
2023 - 16.95 लाख
आदिवासी जिले में 21% से भी रजिस्ट्रेशन हुए कम
बड़वानी, बुरहानपुर सहित 9 आदिवासी जिलों में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 21 फीसदी कम रजिस्ट्रेशन हुआ है. वही हरदा, भोपाल और नर्मदापुरम में 5 से 7 फीसदी किसानों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है. मुरैना, भिंड और अशोक नगर जिले में पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुने ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराया है.
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