भोपाल: मध्य प्रदेश में एयर पॉल्यूशन तेजी से बढ़ रहा है. प्रदेश की वायु गुणवत्ता भी दिल्ली की तरह खतरनाक श्रेणी में पहुंचती जा रही है. भोपाल, सागर, देवास और सिंगरौली में एक्यूआई 300 पार कर चुका है. यह प्रदूषण यहां के रहवासियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है. इसी तरह पीथमपुर, रतलाम और मंडीदीप की वायु गुणवत्ता भी बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है. हालांकि प्रदेश में नगरीय निकायों द्वारा हवा में प्रदूषण कम करने के लिए वाटर फॉगर मशीनों और टैंकरों से पानी का सड़कों पर छिड़काव किया जा रहा है. इसके बाद भी एक्यूआई दिनों दिन बढ़ रहा है.
0 से 50 एक्यूआई तक स्वस्थ हवा
हवा में जब नमी बढ़ती है तो प्रदूषक तत्व वजनी हो जाते हैं और जमीन से ज्यादा ऊपर नहीं जा पाते. जिससे हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है और लोगों को लिए ऐसी हवा में सांस लेना कई बीमारियों का कारण बन सकता है. बता दें कि 0 से 50 तक एक्यूआई को अच्छा माना जाता है. जबकि 51 से 100 तक एक्यूआई वाली हवा को संतोषजनक माना जाता है. वहीं 101 से 200 तक एक्यूआई को मध्यम खराब और 201 से 300 तक एक्यूआई को बहुत खराब श्रेणी में माना जाता है. इसी तरह 300 से ऊपर एक्यूआई होने के बाद उस हवा को खतरनाक श्रेणी में माना जाता है. यानि ये हवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है.
भोपाल, सागर, देवास और सिंगरौली में बढ़ा प्रदूषण
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्डसे मिले आंकड़ों के अनुसार 25 दिसंबर को क्रिसमस के मौके पर प्रदेश के चार शहरों की वायु गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में पहुंच गई. इनमें भोपाल में 317, देवास में 325, सागर में 346 और सिंगरौली का एक्यूआई 312 दर्ज किया गया.
रीवा, कटनी, सतना और खरगोन की हवा शुद्ध
वहीं प्रदेश के कुछ शहर ऐसे भी हैं, जहां की वायु गुणवत्ता अभी शुद्ध है. इनमें रीवा का एक्यूआई 37, खरगोन का 63, कटनी का 63, सतना का 68, जबलपुर का 80, इंदौर का 82, अनूपपुर का 85, नरसिंहपुर का 91, पन्ना का 92 और मैहर का एक्यूआई 97 दर्ज किया गया. वहीं मंडीदीप का एक्यूआई 276, पीथमपुर का 276 और रतलाम का एक्यूआई 244 है, जो बेहद खराब श्रेणी में है.
ठंड में बढ़ता है प्रदूषण
सर्दियों में उंचाई पर तापमान बढ़ने लगता है, जिससे गर्म हवा ठंडी हवा को नीचे दबा देती है. ये ठंडी हवा बहुत धीमे गति से चलती है, जिससे प्रदूषण हवा में रह जाता है और ये स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है. इसके साथ ही सर्दियों में लोग घरों में और बाहर लकड़ी जलाते हैं, जिससे धुंआ अधिक निकलता है. इधर सर्दियों में लोग परिवहन के लिए कार का इस्तेमाल करते हैं, जिससे हवा में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है. एक अन्य कारण उद्योगों से होने वाला औद्योगिक प्रदूषण भी है.