भोपाल: महाकाल की सवारी और कुंभ के स्नान में शाही शब्द पर बढ़े विरोध के बीच अब इस पूरे मामले में जमीअत उलेमा ने एंट्री ले ली है. जमीयतउलेमा के मध्य प्रदेश प्रमुख हाजी हारून ने कहा है कि 'शब्द किसी मजहब का नहीं होता, लेकिन ये बीमार दिमाग के लोग एक नई मानसिकता को आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब बदल ही रहे हैं, तो हिंदुस्तान ये शब्द भी बदलें, क्योंकि ये मूल रुप में तो अरब से आया है.' इधर इसी मुद्दे पर बीजेपी के राज्यसभा सदस्य बाल योगी उमेश नाथ महाराजका बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि 'जिन भी शब्दों से हमारी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं. अब उन सभी शब्दों को हटाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो बीमार सोच की बात कर रहे हैं, उनकी स्वस्थ सोच है, तो जय श्री राम बोलने तैयार हो जाएं.'
भावनाओं को आहत करने वाले सारे शब्द हटाए जाएं
शाही शब्द को लेकर उठे विरोध में अबराज्यसभा सांसद बाल योगी उमेशनाथ महाराज का बयान आया है. 'इटीवी भारत से बातचीतमें उन्होंने कहा कि भारत में हजारों वर्ष से मुगल शासकों के दबाव में जीवन जिया है. हमारी सनातन धर्म की सत्ता देश में काम कर रही है. तो अब ये होना चाहिए कि जितने भी पुराने शासकों के शब्द हैं, जिनसे भावनाएं आहत होती है, उन्हें तुरंत हटाना चाहिए. अब ये काम शुरु होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग सनातन धर्म में इस्लामिक शब्द हटाए जाने को लेकर बीमार मानसिकता का हवाला दे रहे हैं. उनसे मेरा कहना है कि उनकी स्वस्थ सोच है, तो वे जय श्री राम बोलने तैयार हो जाएं.'
हिंद शब्द भी अरब से आया है, उसे बदलेंगे
ये तो अंदरुनी मामला है, वहां के कुछ लोगों का लेकिन मैं ये कहना चाहूंगा की भाषाएं या जुबाने किसी धर्म की नहीं होती. उर्दू के अंदर भी बड़े-बड़े शायर हिंदू गुजरे हैं. ऐसे ही हिंदी भाषा के अंदर संस्कृत भाषा के अंदर बहुत सारे शायर अदीब मुसलमान गुजरे हैं. भाषाओं को किसी खास मजहब से नहीं जोड़ा नहीं जाना चाहिए. ऊर्दू के अंदर भी हिंदी अल्फाज मौजूद हैं. हिंदी के अंदर भी उर्दू अल्फाज मौजूद है. ये कुछ लोगों की दिमागी बीमारी है. जिनको ये सब नजर आने लगता है. वरना हजारों-लाखों वर्षों से ये शब्द बोले जा रहे हैं. शाही लफ्ज हर जगह बोला जाता है. भारत का नाम हिंदुस्तान है, अरबी के शब्द से हिंद बना हिदू बना हिंदुस्तान बना. कोई हिंदी इस्तेमाल करता है. इंडियन पीनल कोर्ट में ये मत बोलो वो मत बोलो. हजारों सालों से इस्तेमाल होते हैं. अभी इसमें भी दिक्कत है. असल में ये कुछ लोग हर जगह एक ही निगाह और नजरिये से देखना चाहते हैं.