भोपाल। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट यानि एसडब्ल्यूएम रुल्स 2016 का पालन नहीं करने पर एनजीटी ने नगर निगम भोपाल पर 1.80 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाई थी. जिसे नगर निगम के अधिकारियों ने माफ कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर 9 जुलाई को सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में नगर निगम को राहत देने की बजाय जमकर फटकार लगाई. साथ भोपाल नगर निगम के साइंटिफिक लैंडफिल साइट की स्वतंत्र जांच कराने का जिम्मा नागपुर के नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को सौंपी है.
यह है पूरा मामला
आदमपुर खंती में पूरे शहर का नगरीय कचरा वर्ष 2018 से फेंका जा रहा है. गर्मी के दिनों में इसे खत्म करने के लिए इसमें आग लगा दी जाती है. जिससे आसपास पर्यारण प्रदूषण होने के साथ ग्रामीणों पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है. इसको लेकर पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडे ने वर्ष 2023 में एनजीटी में याचिका लगाई थी. एनजीटी ने इस मामले में डॉ. पांडे के तथ्यों को सही मानते हुए भोपाल नगर निगम पर 1.80 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन नगर निगम ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए पेनाल्टी माफ करने का अनुरोध किया था.
जज ने नगर निगम के वकील को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान जज ने नगर निगम के वकील से पूछा कि क्या नगर निगम लैंडफिल साइट पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स 2016 का पालन कर रहा है. इस पर वकील ने बताया कि हां, लैंडफिल साइट में सब नियमानुसार ही हो रहा है. फिर जज ने पूछा कि वर्तमान में शत प्रतिशत कचरे का निष्पादन हो रहा है क्या ? इस पर वकील ने बताया कि 31 मई को संबंधित कंपनी का टेंडर समाप्त हो गया है, इसलिए अभी काम रुका हुआ है. इस पर जज ने कहा कि जब कचरे का निस्तारण ही नहीं हो रहा, तो सब कुछ ठीक कैसे है.
नगर निगम पर लग सकता है भारी जुर्माना
डॉ. सुभाष सी पांडे ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर 2024 को होनी है. इससे पहले 3 महीने के अंदर NEERI द्वारा आदमपुर छावनी स्थित लैंडफिल साइट की बारीकी से जांच की जाएगी. यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी. रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट निर्णय लेगा कि नगर निगम पर कितना जुर्माना लगाया है. बता दें कि इससे पहले डॉ. पांडे ने भानपुर कचरा खंती के लिए भी लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद इसे बंद किया गया था.
नहीं हो रहा था कचरे का वैज्ञानिक निस्तारण