भोपाल: राजधानी में शनिवार को भोपाल शहर को स्वच्छ बनाने और जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से स्वच्छ भोपाल वार्तालाप का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बीते एक दशक में स्वच्छता द्वारा किए गए नवाचार और उन्नति की चर्चा हुई. साथ ही आगामी स्वच्छ सर्वेक्षण में जनता के बीच स्वच्छता को लेकर जागरुकता बढ़ाने और भागीदारी तय करने पर भी चर्चा हुई. इसमें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री एल मुरुगन समेत भोपाल सांसद आलोक शर्मा, महापौर मालती राय, पत्र सूचना कार्यालय भोपाल के अपर महानिदेशक प्रशांत पाठराबे और नगर निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण उपस्थित रहे.
'साल 2014 से बदली स्वच्छता की तस्वीर'
केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि "साल 2014 के पहले तक लोग खुले स्थान और रेलवे ट्रैक पर कचरा फेंकते थे. आज से 10 साल पहले तक 50 प्रतिशत घरों में टायलेट नहीं थे. लेकिन आज लोग पेपर या पैकेट फेंकने से पहले डस्टबिन की जगह देखते हैं. ये सब संभव हो पाया है, स्वच्छता के प्रति लोगों में आई जागरुकता की वजह से. आज हम देश के 60 लाख से अधिक गांवों को ओडीएफ फ्री बना चुके हैं. हर घर में टायलेट बन गए हैं. प्रधानमंत्री आवास भी जो बनाए जा रहे हैं, उसमें टॉयलेट और पानी का प्रबंध किया जा रहा है."
अभियान से बना देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर
भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने बताया कि जब वो महापौर थे उस समय उन्होंने जनता को स्व्च्छता के प्रति जागरुक करने और शहर को स्वच्छ बनाने के लिए कई काम किए. सुबह जब लोग खुले में शौच के लिए निकलते थे, उस समय रोको-टोको अभियान चलाया. नगर निगम की टीम सुबह 5 बजे से ही फील्ड में निकल जाती थी और खुले में गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ चालानी कार्रवाई की जाती थी. करीब 60 से अधिक सालों का कचरा जिस भानपुर खंती में पड़ा था, उसे आज हराभरा सुंदर मैदान बना दिया है. इन्हीं कारणों से भोपाल साल 2017 और 2018 में 2 बार देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर चुना गया.