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इस छोटे से गांव में मिल गया कैंसर का इलाज! देश-विदेश से लोग करवाने पहुंच रहे इलाज, निसंतान को भी हो जाती है संतान - Betul Cancer Treatment By Ayurved

बैतूल के छोटे से गांव कान्हावाड़ी में कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का जड़ी बूटियों से मुफ्त में इलाज किया जाता है. यहां देश-विदेश से लोग इलाज कराने आते हैं. इन जड़ी-बूटियों से कई निसंतान दंपत्तियों को संतान हुई है.

BETUL CANCER TREATMENT BY AYURVED
कान्हावाड़ी गांव में जड़ी बूटियों से होता है कैंसर का इलाज (ETV Bharat Graphics)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 26, 2024, 10:56 AM IST

Updated : Aug 26, 2024, 11:06 AM IST

बैतूल: जिले के घोड़ाडोंगरी तहसील के एक छोटे से गांव कान्हावाड़ी में कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का इलाज निशुल्क होता है. इतना ही नहीं यहां आने वाले निसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति भी हो जाती है. कान्हावाड़ी में इलाज करवाने देश भर के लोगों के साथ ही विदेश तक के लोग भी आते हैं. बता दें कि कान्हावाड़ी के कई वर्षों से बाबूलाल भगत सतपुड़ा की वादियों में मिलने वाली जड़ी बूटियां से लोगों का निशुल्क उपचार कर रहे हैं. यहां मिलने वाली जड़ी बूटियों से कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है. बाबूलाल भगत सप्ताह में 2 दिन रविवार और मंगलवार को दवाइयां देते हैं.

बैतूल के गांव में जड़ी बूटियों से होता है कैंसर का इलाज (ETV Bharat)

तीन पीढ़ियों से लोगों का जड़ी बूटियों से किया जा रहा उपचार

कान्हावाड़ी के नाथूराम गोहे ने बताया कि "बाबूलाल भगत कई वर्षों से जड़ी बूटियों से कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का निशुल्क उपचार कर रहे हैं. बाबूलाल भगत के पहले उनके पिताजी और अब उनके भतीजे भी जड़ी बूटियों से लोगों का उपचार कर रहे हैं. यहां हाथ पैर दर्द से लेकर कैंसर तक का उपचार जड़ी बूटियों के माध्यम से होता है. भगत जी के कारण रविवार और मंगलवार को गांव में बहुत भीड़ रहती है. इसके चलते गांव वालों ने रोजगार मिल रहा है."

देश-विदेश में इलाज कराने आते हैं लोग

कान्हावाड़ी के रामशंकर गोहे बताते है कि "बाबूलाल भगत के पास दूर दराज से लोग इलाज कराने आते है. यहां जड़ी बूटियों के माध्यम से कैंसर सहित कई बीमारियों का इलाज करवाने विदेश तक के लोग आते हैं और ठीक भी होते हैं. उनका कहना था कि लोग वापस आकर बताते भी हैं, कि उन्हे यहां आकर काफी आराम मिला है. साथ ही बीमारी भी ठीक हुई है."

ऑपरेशन के बाद दोबारा हुआ ओरल कैंसर, जड़ी-बूटी से हुए फिट

नागपुर से आई मेघा टांडेकरने बताया कि "मेरे पति को 3 स्टेज का ओरल कैंसर हो गया था. जिसका बड़े अस्पताल में इलाज करवाया. डॉक्टर ने ऑपरेशन भी किया, लेकिन एक साल बाद में दोबारा ओरल कैंसर हो जाने पर डॉक्टर ने इलाज से इनकार कर दिया. जिसके बाद कान्हावाड़ी गांव में भगत जी के पास पहुंचे. भगत जी की जड़ी बूटियों से इलाज करवाना शुरू किया, जिससे मेरे पति अब बिल्कुल ठीक है. वह स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं."

बाबूलाल भगत को पद्म भूषण देने की उठी मांग

महाराष्ट्र के यवतमाल से आई वर्षा इवने ने बताया कि "बीपी और थायराइड की शिकायत लेकर कान्हावाड़ी आई थी. भगत जी की जड़ी बूटियां से 2 माह में ही ठीक हो गई. बाबूलाल भगत जी निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रहे हैं. कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों का निशुल्क उपचार करते हैं. इसलिए सरकार को बाबूलाल भगत को पद्म भूषण पुरस्कार दिया जाना चाहिए."

भगत जी की जड़ी बूटियों से भरी गोद

ग्रामीण नवल सिंह धुर्वे का कहना है कि "शादी के 4 साल बाद भी बहू को बच्चे नहीं हो रहे थे. कई जगहों पर दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. फिर
बहू को बाबूलाल भगत जी के पास ले गए. उन्होंने जो जड़ी बूटियां दीं उसे खाने के बाद मेरी बहू की गोद भर गई. कई निसंतान दंपत्तियों को बाबूलाल भगत की जड़ी बूटियों से संतान की प्राप्ति हुई हैं.''

जड़ी बूटियों से बीमारियों का इलाज संभव

शासकीय जेएच कॉलेज बैतूल की बॉटनी की प्रोफेसर अलका पांडे ने बताया कि "जड़ी बूटियां से इलाज संभव है. दवाइयां का स्रोत ही पेड़ पौधे हैं. हर घर में तुलसी होती है. तुलसी का उपयोग लोग सर्दी जुकाम के इलाज के लिए करते हैं. इसी तरह अन्य पेड़ पौधों की जड़ी बूटियों से भी विभिन्न प्रकार की बीमारियों का उपचार संभव है."

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ऐसे पहुंचे कान्हावाड़ी

कान्हावाड़ी गांव बैतूल जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर और घोड़ाडोंगरी तहसील मुख्यालय से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित है. गांव पहुंचने के लिए रेल और सड़क मार्ग दोनों उपलब्ध है. रेल मार्ग से आने पर नागपुर-इटारसी सेक्शन के घोड़ाडोंगरी रेलवे स्टेशन पर उतना पड़ता है. यहां से ऑटो व टैक्सी कान्हावाड़ी के लिए उपलब्ध रहती है. बैतूल, इटारसी, छिंदवाड़ा, भोपाल से बस के जरिए घोड़ाडोंगरी आना पड़ता है. घोड़ाडोंगरी से ऑटो और टैक्सी कान्हावाड़ी के लिए मिलते हैं.

Last Updated : Aug 26, 2024, 11:06 AM IST

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