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UN में यूक्रेन से युद्ध मुद्दे पर अमेरिका ने दिया रूस का साथ, जानें भारत का क्या रहा रुख - INDIA ON UNGA RESOLUTION

संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया. इसे लेकर हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया.

UNGA
संयुक्त राष्ट्र महासभा (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 25, 2025, 9:32 AM IST

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इस प्रस्ताव में तनाव कम करने, शत्रुता को जल्द समाप्त करने तथा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान करने का आह्वान किया गया था. इस मुद्दे पर सबसे अहम रहा अमेरिका की भूमिका. अमेरिका ने अपने पिछले रुख से एक आश्चर्यजनक बदलाव करते हुए प्रस्ताव के खिलाफ रूस के पक्ष में मतदान किया.

193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सोमवार को यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों द्वारा पेश किए गए ‘यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति को आगे बढ़ाना’ के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान किया.

प्रस्ताव के पक्ष में 93 मत पड़े जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया. इसी तरह 65 सदस्य मतदान में शामिल नहीं हुए. इसी के साथ प्रस्ताव को पारित किया गया. इसमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप यूक्रेन युद्ध तुरंत समाप्त करने का आह्वान किया गया है. भारत उन 65 देशों में शामिल था, जिन्होंने प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया. जैसे ही प्रस्ताव पारित हुआ, यूएनजीए हॉल में तालियां बजने लगी और सदस्य देशों ने प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने का स्वागत किया.

यह प्रस्ताव रूस-यूक्रेन संघर्ष के तीन साल पूरे होने पर आया. इसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन में युद्ध न केवल यूरोप की शांति और सुरक्षा के लिए बल्कि संयुक्त राष्ट्र की नींव और मूल सिद्धांतों के लिए भी एक गंभीर खतरा है.

अमेरिका ने एक संक्षिप्त प्रतिद्वंद्वी प्रस्ताव 'शांति का मार्ग' भी पेश किया. इसमें 'रूसी संघ-यूक्रेन' संघर्ष के दौरान हुई दुखद जनहानि पर शोक व्यक्त किया गया. संशोधित प्रस्ताव को 93 मतों के साथ पारित किया गया. इसके पक्ष में 8 मत पड़े तथा 73 मत अनुपस्थित रहे. भारत ने अमेरिका द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया.

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मसौदा प्रस्ताव पर अमेरिकी मिशन की अंतरिम प्रभारी राजदूत डोरोथी शिया ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के कई प्रस्तावों में मांग की गई है कि रूस यूक्रेन से अपनी सेना वापस ले, लेकिन प्रस्ताव युद्ध को रोकने में विफल रहे हैं. उन्होंने कहा, 'यह बहुत लंबे समय से चल रहा है और यूक्रेन, रूस और अन्य स्थानों के लोगों को इसकी बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है.'

शीया ने कहा कि हमारा मसौदा संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने की अपील करता है और यूक्रेन और रूस के बीच स्थायी शांति का आग्रह करता है. यूक्रेन द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में इस वर्ष युद्ध को समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता को दोहराया गया.

इसमें राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उचित, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच और अभियोजन के माध्यम से यूक्रेन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किए गए सबसे गंभीर अपराधों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने और सभी पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और भविष्य में अपराधों की रोकथाम की आवश्यकता पर बल दिया गया.

ये भी पढ़ें- रूस-यूक्रेन युद्ध की अहम घटनाएं, जानें कब क्या हुआ? - RUSSIAN INVASION OF UKRAINE

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इस प्रस्ताव में तनाव कम करने, शत्रुता को जल्द समाप्त करने तथा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान करने का आह्वान किया गया था. इस मुद्दे पर सबसे अहम रहा अमेरिका की भूमिका. अमेरिका ने अपने पिछले रुख से एक आश्चर्यजनक बदलाव करते हुए प्रस्ताव के खिलाफ रूस के पक्ष में मतदान किया.

193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सोमवार को यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों द्वारा पेश किए गए ‘यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति को आगे बढ़ाना’ के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान किया.

प्रस्ताव के पक्ष में 93 मत पड़े जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया. इसी तरह 65 सदस्य मतदान में शामिल नहीं हुए. इसी के साथ प्रस्ताव को पारित किया गया. इसमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप यूक्रेन युद्ध तुरंत समाप्त करने का आह्वान किया गया है. भारत उन 65 देशों में शामिल था, जिन्होंने प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया. जैसे ही प्रस्ताव पारित हुआ, यूएनजीए हॉल में तालियां बजने लगी और सदस्य देशों ने प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने का स्वागत किया.

यह प्रस्ताव रूस-यूक्रेन संघर्ष के तीन साल पूरे होने पर आया. इसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन में युद्ध न केवल यूरोप की शांति और सुरक्षा के लिए बल्कि संयुक्त राष्ट्र की नींव और मूल सिद्धांतों के लिए भी एक गंभीर खतरा है.

अमेरिका ने एक संक्षिप्त प्रतिद्वंद्वी प्रस्ताव 'शांति का मार्ग' भी पेश किया. इसमें 'रूसी संघ-यूक्रेन' संघर्ष के दौरान हुई दुखद जनहानि पर शोक व्यक्त किया गया. संशोधित प्रस्ताव को 93 मतों के साथ पारित किया गया. इसके पक्ष में 8 मत पड़े तथा 73 मत अनुपस्थित रहे. भारत ने अमेरिका द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया.

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मसौदा प्रस्ताव पर अमेरिकी मिशन की अंतरिम प्रभारी राजदूत डोरोथी शिया ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के कई प्रस्तावों में मांग की गई है कि रूस यूक्रेन से अपनी सेना वापस ले, लेकिन प्रस्ताव युद्ध को रोकने में विफल रहे हैं. उन्होंने कहा, 'यह बहुत लंबे समय से चल रहा है और यूक्रेन, रूस और अन्य स्थानों के लोगों को इसकी बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है.'

शीया ने कहा कि हमारा मसौदा संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने की अपील करता है और यूक्रेन और रूस के बीच स्थायी शांति का आग्रह करता है. यूक्रेन द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में इस वर्ष युद्ध को समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता को दोहराया गया.

इसमें राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उचित, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच और अभियोजन के माध्यम से यूक्रेन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किए गए सबसे गंभीर अपराधों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने और सभी पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और भविष्य में अपराधों की रोकथाम की आवश्यकता पर बल दिया गया.

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