देवघर: बाबा बैद्यनाथ मंदिर से जुड़ी कई परंपरा और मान्यताएं हैं. उनमें से एक गठबंधन पूजा भी है. इस खास पूजा का काफी महत्व है. इस पूजा में शिव और शक्ति का गठबंधन करने की परंपरा है. इस परंपरा के तहत बाबा बैद्यनाथ के मंदिर के गुबंद पर लगे पंचशूल पर लाल कपड़ा या धागा बांध कर माता पार्वती मंदिर के गुबंद से मिलाया जाता है.
गठबंधन पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय रहता है
मान्यता यह है कि जो भक्त सच्चे मन से बाबा मंदिर में गठबंधन पूजा करते हैं उनका दांपत्य जीवन सुखमय रहता है और शिव और शक्ति का विशेष कृपा बनी रहती है. इस कारण नवविवाहित जोड़े इस पूजा को जरूर करते हैं. वहीं गठबंधन पूजा से जुड़ी दूसरी मान्यता यह है कि जो भक्त इस खास तरह की पूजा को करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
शिव मंदिर और पार्वती मंदिर के शिखर को धागों से जोड़ने की परंपरा
माना जाता है कि बाबा धाम में आने वाले भक्त यदि भगवान भोलेनाथ की मंदिर के गुंबद पj लगे पंचशूल में लाल धागा बांधकर मां पार्वती के मंदिर के गुंबद में लगे पंचशूल तक जोड़ते हैं तो उसके जीवन से हर विघ्न और कष्ट समाप्त हो जाता है. इसके अलावा भक्त की मनोकामना भी पूरी होती है.
देवघर में एक साथ विराजमान हैं शिव और शक्ति
गठबंधन पूजा के संबंध में बाबा मंदिर के वरिष्ठ पंडा लंबोदर परिहस्त बताते हैं कि पूरे देश में बाबा बैद्यनाथ धाम ही एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां शिव और शक्ति एक साथ स्थापित हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर बाबा बैद्यनाथ से पहले माता पार्वती आई थीं.
माता सती का हृदय गिरा था देवघर में
उन्होंने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार जब शिव के अनादर से क्षुब्ध होकर माता सती ने यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी और शिव ने तांडव करना शुरू किया तो शिव को शांत कराने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के खंड-खंड किए थे. मान्यता है कि माता सती का हृदय देवघर में गिरा था.