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सावन में देवघर आ रहे हैं तो जरूर करें यह उपाय, बाबा धाम में ये खास पूजा की तो पूरी होगी सभी मनोकामनाएं! - Baba Dham Deoghar

Baidyanath Bham Temple. देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. यहां खास तरह की पूजा की परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है. मंदिर में इस खास तरह की पूजा करने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है.

Baba Dham Deoghar
डिजाइन इमेज (फोटो-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 30, 2024, 8:41 PM IST

देवघर: बाबा बैद्यनाथ मंदिर से जुड़ी कई परंपरा और मान्यताएं हैं. उनमें से एक गठबंधन पूजा भी है. इस खास पूजा का काफी महत्व है. इस पूजा में शिव और शक्ति का गठबंधन करने की परंपरा है. इस परंपरा के तहत बाबा बैद्यनाथ के मंदिर के गुबंद पर लगे पंचशूल पर लाल कपड़ा या धागा बांध कर माता पार्वती मंदिर के गुबंद से मिलाया जाता है.

देवघर के बाबा धाम में गठबंधन पूजा का महत्व (वीडियो-ईटीवी भारत)

गठबंधन पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय रहता है

मान्यता यह है कि जो भक्त सच्चे मन से बाबा मंदिर में गठबंधन पूजा करते हैं उनका दांपत्य जीवन सुखमय रहता है और शिव और शक्ति का विशेष कृपा बनी रहती है. इस कारण नवविवाहित जोड़े इस पूजा को जरूर करते हैं. वहीं गठबंधन पूजा से जुड़ी दूसरी मान्यता यह है कि जो भक्त इस खास तरह की पूजा को करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

शिव मंदिर और पार्वती मंदिर के शिखर को धागों से जोड़ने की परंपरा

माना जाता है कि बाबा धाम में आने वाले भक्त यदि भगवान भोलेनाथ की मंदिर के गुंबद पj लगे पंचशूल में लाल धागा बांधकर मां पार्वती के मंदिर के गुंबद में लगे पंचशूल तक जोड़ते हैं तो उसके जीवन से हर विघ्न और कष्ट समाप्त हो जाता है. इसके अलावा भक्त की मनोकामना भी पूरी होती है.

देवघर में एक साथ विराजमान हैं शिव और शक्ति

गठबंधन पूजा के संबंध में बाबा मंदिर के वरिष्ठ पंडा लंबोदर परिहस्त बताते हैं कि पूरे देश में बाबा बैद्यनाथ धाम ही एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां शिव और शक्ति एक साथ स्थापित हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर बाबा बैद्यनाथ से पहले माता पार्वती आई थीं.

माता सती का हृदय गिरा था देवघर में

उन्होंने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार जब शिव के अनादर से क्षुब्ध होकर माता सती ने यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी और शिव ने तांडव करना शुरू किया तो शिव को शांत कराने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के खंड-खंड किए थे. मान्यता है कि माता सती का हृदय देवघर में गिरा था.

इस कारण देवघर को हृदयपीठ के नाम से भी जाना जाता है. इसके बाद भोलेनाथ यहां आए थे. इसलिए देवघर में शिव और सती दोनों विराजमान हैं. वरिष्ठ पंडा लंबोदर परिहस्त बताते हैं कि जो भी भक्त बाबा मंदिर में गठबंधन पूजा करते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है.

बैजू परिवार के वंशज ही मंदिर में बांधते हैं लाल धागा

वहीं गठबंधन पूजा के दौरान मंदिर के गुंबद के ऊपर लगे पंचशूल में वर्षों से बैजू परिवार के वंशज ही धागा बांधते आए हैं. माना जाता है कि इस परिवार के लोग ही प्राचीन काल से ही मंदिर के गुंबद पर चढ़ कर लाल धागा बांधते रहे हैं.

वहीं देवघर के बाबा मंदिर में गठबंधन पूजा करवाने वाले पंडा अंकित झा बताते हैं कि इस खास पूजा से भक्तों के वैवाहिक जीवन में तो खुशियां आती ही हैं, साथ ही सच्ची श्रद्धा से पूजा करने वाले भक्तों को राजयोग भी प्राप्त होता है.

सावन के महीने में गठबंधन पूजा का विशेष महत्व

सावन के महीने में देवघर आने वाले कई भक्त गठबंधन पूजा करते हैं. भक्तों ने कहा कि सच्ची श्रद्धा के साथ बाबा बैद्यनाथ से मांगने पर मन्नत जरूर पूरी होती है. इसलिए वे सभी मंदिर प्रांगण में प्राचीन काल से गठबंधन पूजा की रस्म निभाते रहे हैं. बता दें कि देवघर के बाबा धाम मंदिर को लेकर अन्य की पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं. सदियों से चली आ रही गठबंधन पूजा की रस्म आज भी यहां निभाई जाती है.

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