गया: बिहार के गया जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है, इस में बेलागंज विधानसभा क्षेत्र भी है. बिहार का उपचुनाव 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है. बेलागंज में त्रिकोणीय मुकाबला बताया जा रहा है, लेकिन ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी लड़ाई को चतुष्कोणीय बनाने में जुटे हैं. 13 नवम्बर आते-आते सीधे लड़ाई किस से होगी, यह बताने से अभी वोटर पीछे हट रहे हैं. प्रचार प्रसार में सभी पार्टियों के प्रत्याशी पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं.
पत्ते नहीं खोल रहे वोटरः सभी पार्टी के प्रत्याशी अल्पसंख्यक वोटरों को साधने में जुटे हैं. लेकिन अल्पसंख्यक समाज में उपचुनाव को लेकर मुद्दे क्या हैं? बेलागंज विधानसभा क्षेत्र का अल्पसंख्यक समाज क्या सोचता है और उनके चुनावी मुद्दे क्या हैं? इस सवाल पर बेलागंज क्षेत्र के अल्पसंख्यकों ने कहा कि अभी समय है. समीकरण बनेंगे और टूटेंगे, अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं. जो खुलकर अपने प्रत्याशियों के समर्थन में हैं वह तो बोल रहे हैं, लेकिन आम वोटर अभी प्रत्याशी या गठबंधन को लेकर अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं.
जदयू ने दी थी चुनौतीः बेलागंज विधानसभा क्षेत्र के निवासी तारीक अनवर ने कहा कि पिछले पांच चुनाव से देखा जा रहा है कि यहां बेलागंज क्षेत्र से जीतने वाले प्रत्याशी को अल्पसंख्यक समाज का व्यापक समर्थन मिला है. पिछले पांच चुनाव में राजद प्रत्याशी डॉ सुरेंद्र यादव की जीत हुई, लेकिन यह भी सही है कि कई चुनाव ऐसे भी हुए जिस में क्लोज फाइट हुआ. सुरेंद्र यादव हारते हारते बचे. वर्तमान में जन सुराज के प्रत्याशी मो अमजद ने ही जदयू के टिकट पर 2010 और 2004 में कड़ी चुनौती दी थी.
"बेलागंज में विकास मुद्दा कम ही होता है. कई चुनाव में देखा गया है कि मुसलमानों का सिर्फ एक ही एजेंडा रहा है भाजपा हराओ. गिरिराज सिंह का समाज को बांटने वाला बयान को भी मुद्दा बनाया जा रहा है. राजद प्रतायाशी विश्वनाथ यादव के लिए अल्पसंख्यक समाज में मददगार साबित होगा."- सेराज अनवर, वरिष्ठ पत्रकार
डिसाइडिंग फैक्टर है अल्पसंख्यक वोटः माना जाता है कि यहां के चुनाव में अल्पसंख्यक वोट डिसाइडिंग फैक्टर होता है. अल्पसंख्यक समाज का बड़ा हिस्सा अगर इस क्षेत्र में किसी एक प्रत्याशी के समर्थन में हुआ तो उसकी जीत हुई है. पहले भी यहां अल्पसंख्यक प्रत्याशी चुनाव लड़ चुके हैं. 2005 से लेकर 2020 तक पांच चुनाव में अल्पसंख्यक प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिसमें इस उपचुनाव में जन सुराज के प्रत्याशी रहे मोहम्मद अमजद तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं.
मोहम्मद अमजद की चुनावी यात्राः मोहम्मद अमजद लोजपा के टिकट से 2005 में पहला चुनाव लड़ा था. इस में राजद के उम्मीदवार डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव को 59157 वोट मिले, जबकि मोहम्मद अमजद को इस चुनाव में 35911 वोट मिले. इसी वर्ष 2005 के अक्टूबर में दूसरे चुनाव में मोहम्मद अमजद ने जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा. राजद प्रत्याशी सुरेंद्र यादव को 33457 वोट मिले. अमजद को 27125 वोट मिले. इस चुनाव में एनडीए की लहर थी, राजद सत्ता से बाहर हो गया फिर भी सुरेंद्र यादव ने जीत दर्ज की थी.