विकासनगर: देहरादून जिले का कालसी पशु प्रजनन प्रक्षेत्र लगातार भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से नस्ल सुधार में नए आयामों को स्थापित कर रहा है. यही वजह है कि इसे देश में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन इंडीजीनस ब्रीड नाम किया गया है. यहां पर भ्रूण प्रत्यारोपण की तकनीक से नस्ल सुधार में काम किया जा रहा है. इस केंद्र में देसी गाय सिंधी, साहीवाल, गिरी, थारपारकर का संवर्धन और संरक्षण भी किया जा रहा है. खास बात ये है कि भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से उत्पन्न नर और सीमेन को देश के विभिन्न राज्यों में प्रजनन के लिए भेजा जा रहा है.
पशु प्रजनन प्रक्षेत्र कालसी के डॉक्टर अजय पाल सिंह असवाल ने कहा कि यह केंद्र उत्तराखंड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड की ओर से संचालित किया जाता है. जहां भ्रूण प्रत्यारोपण के काम को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है. साथ ही डेयरी के क्षेत्र में भी काम किया जा रहा है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन परियोजना के तहत देशी गोवंश में नस्ल सुधार के लिए एक प्रायोजित कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है. इसमें सिंधी, साहिवाल, गिरी, थारपारकर नस्ल की गोवंश पर कार्य किया जा रहा है.
सुधार सकते हैं देशी गोवंश की नस्ल:उन्होंने बताया कि यहां ओवम पिक-अप आईवीएफ तकनीक यानी परखनली निषेचन पशुओं में की जाती है. ताकि, ज्यादा दूध देने वाली गायों से ज्यादा से ज्यादा बच्चे एक साल में मिल सके. जिसके जरिए उन्नत नस्ल को बढ़ावा देकर किसानों को लाभान्वित किया जा सके. उनका उद्देश्य ब्रिडिंग इंप्रूवमेंट करना है. देश और प्रदेश में किस तरह से एक देशी गोवंश की नस्ल सुधार कर सकते हैं, इस पर काम किया जा रहा है.