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बस्तर के बच्चे जान जोखिम में डालकर पोटा केबिन में भविष्य संवारने को मजबूर - POTA cabin in Bijapur

POTA cabin नक्सलगढ़ बीजापुर में बच्चों का भविष्य खतरे में है. अकेले बीजापुर में 25 से ज्यादा पोटा केबिन चलाए जा रहे हैं. सुरक्षा से लेकर व्यवस्था तक जुटाने में ये पोटा केबिन फेल साबित हो रहे हैं. Bastar Children

bijapur pota cabin
खतरे में संवार रहे बच्चे अपना भविष्य

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 8, 2024, 5:46 PM IST

Updated : Mar 8, 2024, 8:49 PM IST

खतरे में संवार रहे बच्चे अपना भविष्य

बीजापुर:नक्सल प्रभावित इलाके भैरमगढ़, उसूर, भोपालपटनम में करीब 25 से ज्यादा पोटा केबिन चलाए जा रहे हैं. इन पोटा केबिन में नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चे आकर पढ़ते हैं. आवासीय विद्यालयों में रहने वाले छात्र जिन हालातों में यहां पढ़ाई करते हैं उसे देखकर आप दंग रह जाएंगे. बांस से बने पोटा केबिन में सर्दी, गर्मी और बरसात तीनों मौसम से लड़ते हुए बच्चे पढ़ाई करते हैं. जिन अंंधेरें जंगलों में आप जाने से डरते हैं, उन जंगलों के बीच बने इन पोटा केबिन में बच्चे रात के अंधेरे में पढ़ाई कर अपना भविष्य संवारते हैं.

पोटा केबिन आवासीय विद्यालयों की हालत खराब: कई पोटा केबिन के हालत तो इतने खराब हैं कि बारिश के दिनों में पानी अंदर तक आ जाता है, सलवा जुड़ूम हिंसा के बाद बने इन पोटा केबिन में सुरक्षा के भी इंतजाम नहीं हैं. गर्मी के दिनों में इन आवासीय विद्यालयों के बच्चे चंद पंखों से 45 डिग्री टेंप्रेचर में गर्मी को मात देते हैं. सांप और दूसरे जंगली जीव तो आए दिन इन पोटा में रहने वाले बच्चों के लिए मुसीबत का सबब बनते हैं.

जान जोखिम में डालकर बच्चे करते हैं पढ़ाई: बिजली के बल्ब और पंखों के लिए पोटा केबिन में वायरिंग की गई. लेकिन जा हालात यहां हैं वो ये बताने के लिए काफी हैं कि ये सुविधा कम अब बच्चों के लिए खतरा ज्यादा साबित हो रहे हैं. ऐसा नहीं है कि अधिकारियों से पोटा केबिन के हालात को लेकर गुहार नहीं लगाई गई. अफसरों से दर्जनों बार कहा गया लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा. कभी हादसा हो भी जाता है तो अधिकारी लकीर पीटकर चले जाते हैं,.

सालों से जमे अधिकारी खा रहे मलाई: सालों से इन पोटा केबिनों की हालत ऐसी ही है. कुछ अफसर सालों से मलाईदार पदों पर रहते हुए भी इन बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पाए. कई अफसर ऐसे हैं जो अपनी साठ गांठ के दम पर सालों से एक ही जगह पर जमे हैं.

तिम्मापुर हादसे से नहीं लिया सबक: हाल ही में बीजापुर के तिम्मापुर गांव में पोटा केबिन में आग लगी जिसमें एक बच्ची की मौत हो गई. स्थानीय लोगों की मदद से हादसे के वक्त पोटा केबिन में मौजूद तीन सौ बच्चों को सकुशल बचा लिया गया. आरोप है कि जिस वक्त तिम्मापुर पोटा केबिन में आग लगी उस वक्त हॉस्टल अधीक्षिका वहां मौजूद नहीं रही. पोटा केबिन जलकर खाक हो गया. पोटा केबिन में लगी आग में सिर्फ केबिन नहीं जला तीन सौ से ज्यादा बच्चों की किताबें भी जल गई. पोटा केबिन में अगर हादसों को रोकने के इंतजाम होते तो मासूम लिप्सा आज जिंदा होती.

अफसर कब लेंगे सुध:बांस से बने पोटा केबिन जरूर बच्चों का भविष्य संवारने के लिए बनाए गए. पर अब इन पोटा केबिनों को नए सिरे से रिनोवेट करने की जरूरत है. अगर समय रहते इन पोटा केबिन को दुरुस्त नहीं किया गया तो मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ेंगी.

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Last Updated : Mar 8, 2024, 8:49 PM IST

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