बीजापुर:नक्सल प्रभावित इलाके भैरमगढ़, उसूर, भोपालपटनम में करीब 25 से ज्यादा पोटा केबिन चलाए जा रहे हैं. इन पोटा केबिन में नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चे आकर पढ़ते हैं. आवासीय विद्यालयों में रहने वाले छात्र जिन हालातों में यहां पढ़ाई करते हैं उसे देखकर आप दंग रह जाएंगे. बांस से बने पोटा केबिन में सर्दी, गर्मी और बरसात तीनों मौसम से लड़ते हुए बच्चे पढ़ाई करते हैं. जिन अंंधेरें जंगलों में आप जाने से डरते हैं, उन जंगलों के बीच बने इन पोटा केबिन में बच्चे रात के अंधेरे में पढ़ाई कर अपना भविष्य संवारते हैं.
पोटा केबिन आवासीय विद्यालयों की हालत खराब: कई पोटा केबिन के हालत तो इतने खराब हैं कि बारिश के दिनों में पानी अंदर तक आ जाता है, सलवा जुड़ूम हिंसा के बाद बने इन पोटा केबिन में सुरक्षा के भी इंतजाम नहीं हैं. गर्मी के दिनों में इन आवासीय विद्यालयों के बच्चे चंद पंखों से 45 डिग्री टेंप्रेचर में गर्मी को मात देते हैं. सांप और दूसरे जंगली जीव तो आए दिन इन पोटा में रहने वाले बच्चों के लिए मुसीबत का सबब बनते हैं.
जान जोखिम में डालकर बच्चे करते हैं पढ़ाई: बिजली के बल्ब और पंखों के लिए पोटा केबिन में वायरिंग की गई. लेकिन जा हालात यहां हैं वो ये बताने के लिए काफी हैं कि ये सुविधा कम अब बच्चों के लिए खतरा ज्यादा साबित हो रहे हैं. ऐसा नहीं है कि अधिकारियों से पोटा केबिन के हालात को लेकर गुहार नहीं लगाई गई. अफसरों से दर्जनों बार कहा गया लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा. कभी हादसा हो भी जाता है तो अधिकारी लकीर पीटकर चले जाते हैं,.