रांची: दुमका से झामुमो विधायक सह पार्टी सुप्रीमो गुरु जी के छोटे पुत्र बसंत सोरेन अब मंत्री बन गए हैं. राजभवन में शपथ लेने के बाद बसंत सोरेन सीधे गुरु जी के आवास पर पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि कौन-कौन सा विभाग मिलेगा. उन्होंने यह भी कहा कि जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसे मैं पूरी निष्ठा से निभाऊंगा.
बसंत ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव, पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. बसंत सोरेन ने यह भी कहा कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा का सुपड़ा साफ हो जाएगा. मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए बसंत सोरेन ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए जो भी काम शुरू किए थे, उसे धरातल पर उतारना सरकार की प्राथमिकता होगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ बंद किए जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अबुआ आवास योजना शुरू की है, इस पर विशेष फोकस होगा. इसके अलावा शिक्षा के साथ-साथ युवाओं के रोजगार पर बोल दिया जाएगा.
आपको बता दें कि 31 जनवरी को लैंड स्कैम मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन के नेतृत्व में 2 फरवरी को सरकार का गठन हुआ था. उनके साथ कांग्रेस कोटे के आलमगीर आलम और राजद से सत्यानंद भोक्ता ने मंत्री पद की शपथ ली थी. इसके बाद कैबिनेट विस्तार के लिए 8 फरवरी की तारीख तय हुई थी लेकिन कांग्रेस के आंतरिक गतिरोध की वजह से 16 फरवरी की तारीख तय हुई. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात रही कि कांग्रेस ने अपने सभी पुराने मंत्रियों को कंटिन्यू किया जबकि झामुमो ने जोबा मांझी को ड्रॉप कर उनकी जगह दीपक बिरुआ को मंत्रिमंडल में जगह दी.
इसके अलावा नई सरकार के गठन के दिन से ही उस कयास पर मोहर लग गई, जिसमें कहा जा रहा था कि बसंत सोरेन का मंत्री बनना तय है. हालांकि शपथ ग्रहण समारोह के बाद इस बात की चर्चा होती रही कि झामुमो ने एससी कोटे को टारगेट करते हुए जिस बैद्यनाथ राम के नाम को मंत्री पद की शपथ के लिए आगे बढ़ाया था, उस फैसले को अचानक क्यों वापस ले लिया. वैसे कहा जा रहा है कि कांग्रेस के आंतरिक गतिरोध की वजह से झामुमो को ऐसा करना पड़ा.