रामायणी सांसद के गोद लिए अरमरीकला गांव का हाल बेहाल, मोहन मंडावी ने कांग्रेस को बताया जिम्मेदार
MP Mohan Mandavi Adopted Village सांसद मोहन मंडावी के गोद लिए गांव अरमरीकला का हाल बेहाल है. ग्रामीणों का आरोप है कि सांसद ने इस गांव में एक रुपए का काम नहीं कराया.वहीं सांसद ने गांव की दुर्दशा का जिम्मेदार कांग्रेस को माना है.
बालोद :मोदी सरकार ने देश के गांवों की सूरत बदलने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत सांसदों को गांव का कायाकल्प करना था. गांव को विकास के रास्ते में लाकर अलग पहचान दिलानी थी. लेकिन कांकेर लोकसभा क्षेत्र का अरमरीकला गांव इस मामले में बदनसीब रहा.इस गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि सांसद ने कभी इस गांव की ओर ध्यान नहीं दिया.
सांसद निधि से नहीं हुआ काम :अरमरीकला गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि सांसद मोहन मंडावी रास्ते से कई बार गुजरते हैं.लेकिन जिस गांव को गोद लिया,उसमें कदम तक नहीं रखते.गांववालों की माने तो सांसद निधि से गांव में एक भी काम नहीं हुआ है. कई बार सांसद से निवेदन करने के बाद भी इस गांव के लिए कोई काम नहीं किया गया.
सरपंच ने भी जाहिर किया दुख :गांव के सरपंच तीजू राम मंडावी के मुताबिक जब गांव को सांसद आदर्श गांव चुना गया तो खुशी हुई थी. ऐसा लगा था जैसे गांव का बहुमुखी विकास होगा.लेकिन आदर्श ग्राम घोषित होने के बाद तालाब सौंदर्यीकरण, यात्री प्रतीक्षालय से लेकर मूलभूत सुविधाओं को लेकर सांसद को आवेदन दिया.लेकिन आज तक एक काम नहीं हुआ.
''सांसद मोहन मंडावी आसपास के गांव में टीना शेड लगवाते हैं. लेकिन खुद के गोद लिए गांव में विकास की नीव का एक पत्थर नहीं लगा. पता नहीं 4 साल बाद कैसे याद आई. अब आदर्श ग्राम का बोर्ड लगा दिया गया है.'' तीजू राम मंडावी, सरपंच
सांसद के कार्यकाल पर उठे सवाल :वहीं अरमरीकला गांव के निवासी फूलचंद बंजारे ने सांसद के कार्यकाल को निराशाजनक बताया.फूलचंद बंजारे ने आरोप लगाए कि सांसद आसपास के गांव में आते थे.लेकिन अरमरीगांव से उन्होंने दूरियां बना रखी थी.यहां पर एक प्रतीक्षालय बना वो विधायक की देन है. आज तक पानी की समस्या का निवारण नहीं हो सका.
सांसद प्रतिनिधि ने भी कह दी बड़ी बात :सांसद प्रतिनिधिवासुदेव मारकण्डे ने भी आदर्श गांव की तस्वीर पेश की.वासुदेव के मुताबिक सांसद आदर्श ग्राम जैसी पहचान के लिए अरमरीकला गांव तरसता रहा.
''जब सांसद जीत कर आए तो उन्होंने इस गांव को गोद लिया. मुझे प्रतिनिधि बनाया गया. लेकिन उसके बाद उनकी कृपा दृष्टि इस गांव पर बेहद कम रही. गांव का आप सर्वे करके देख सकते हैं. यहां विकास का नामोनिशान नहीं है. सांसद निधि का एक भी काम नहीं हुआ है.'' वासुदेव मारकण्डे, सांसद प्रतिनिधि
सांसद ने रखा अपना पक्ष :ये तो थी सरपंच, ग्रामीण और सांसद प्रतिनिधि की अरमरीकला गांव के बारे में राय.सभी का कहना है कि सांसद ग्राम सिर्फ नाम भर का रह गया है.विकास दूर तक नजर नहीं आता.इस बारे में जब हमारी टीम ने सांसद मोहन मंडावी से जवाब मांगा तो उन्होंने ने भी अपना पक्ष रखा.ये भी बताया कि अरमरीकला गांव के विकास ना हो पाने के पीछे जिम्मेदार कौन है.
''अरमरीकला आदर्श गांव को हमने गोद लिया था. लेकिन यहां सभी चीजों को करना सरपंच का काम है. सरपंच को आना चाहिए. इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होती है.कांग्रेस सरकार ने इसे मोदी का गांव बोलकर जान बूझकर उपेक्षित किया है.'' - मोहन मंडावी, सांसद
रामायणी सांसद के गांव का हाल बेहाल :सांसद मोहन मंडावी को रामायणी सांसद का तमगा मिला है.वजह ये है कि इन्होंने अपने क्षेत्र में सबसे ज्यादा रामचरितमानस बांटा है.लेकिन रामचरितमानस बांटकर क्या मोहन मंडावी जनता की कसौटी पर खरे उतर पाएंगे.क्योंकि अब विरोधी ये भी कहेंगे कि जिस गांव का जिम्मा सांसद के पास था, उसे वो संवार नहीं सकें,ऐसे में पूरे लोकसभा का दायित्व कैसे निभाया जाएगा.
आज यदि अरमरीकला गांव विकसित होता तो आसपास की कई पंचायतों को भी इसका लाभ होता. ये गांव छत्तीसगढ़ समेत देश के नक्शे में अपनी अलग पहचान बनाता. लेकिन अफसोस आदर्श गांव होने के बाद भी इस गांव की पहचान आज टूटी सड़क, प्यासी जनता, गंदी नाली और गलियों के रूप में होती है.