उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

बिना मलद्वार के पैदा हुए दो बच्चे, केजीएमयू में बाल रोग विशेषज्ञ ऑपरेशन कर बचाई जान - KGMU Pediatrics surgeon

लखनऊ के केजीएमयू बाल रोग विशेषज्ञ (KGMU Pediatrics surgeon) डॉक्टरों ने एक माह के बच्चे का सफल ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई है. बच्चा(baby born without anus) बिना मलद्वार के पैदा हुआ था.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 16, 2024, 8:30 PM IST

पेडियाट्रिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जेडी रावत ने दी जानकारी

लखनऊ:ईश्वर के बाद अगर किसी व्यक्ति को जिंदगी देता है, तो वह डॉक्टर ही है. इसीलिए इन्हें धरती का भगवान कहा जाता है. कई बार जब जीवन की उम्मीद लोग छोड़ देते हैं, उस वक्त डॉक्टर मौत को मात देकर जिंदगी बचा लेते हैं. ऐसा ही एक किस्सा लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक्स सर्जन विभाग में आया है. यहां के डॉक्टर्स ने एक महीने के बच्चे का सफल ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई है.

जन्म के बाद बच्चे का पेट फूलने लगाःबता दें कि फैजाबाद के रहने वाले मोहम्मद शादाब कुरेशी की शादी वर्ष 2019 में हुई थी. वह पिछले छह साल से संतान सुख के लिए अस्पतालों के चक्कर लगा रहा थे. एक समय ऐसा आया जब उन्हें यह जानकारी मिली कि उनकी पत्नी गर्भवती है. खुशी से घर आंगन भर गया. अब इंतजार हो रहा था कि बच्चा जन्म लें और किलकारी से घर आंगन गूंज उठे. शादाब ने बताया कि दो फरवरी को बच्चे का जन्म हुआ. 48 घंटे के बाद जब बच्चे का पेट फूलना शुरू हुआ तो उस समय डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का मलद्वार नहीं बना है. इसके बाद उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. घर में कभी इस तरह का कोई केस नहीं हुआ था. फैजाबाद में बहुत से डॉक्टर को दिखाया, लेकिन बच्चे की दिक्कत को नहीं समझ पाए. पहले लगा कि फैजाबाद में ही बच्चे का इलाज हो जाएगा. लेकिन, बच्चे की तबीयत दिन-ब-दिन बिगड़ रही थी. पता लगाते लगाते हम बच्चे को लेकर केजीएमयू की पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग पहुंचे. यहां के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने जब देखा कि बच्चे का मलद्वार नहीं है. उस स्थिति में उन्होंने तुरंत बच्चे को भर्ती कर लिया. डॉक्टरों की बड़ी मेहरबानी हुई कि उन्होंने तत्परता दिखाते हुए बच्चे का सफल ऑपरेशन किया.



इसे भी पढ़े-KGMU की प्रिसिजन मेडिसिन कांफ्रेंस में ICU में बेहतर इलाज के दिए गए गुर

सांस और खाने की नली को अलग कर बचाई जानःइसी तरह लखीमपुर पलिया की रहने वाली स्वाति ने बताया कि उसके बच्चे का जन्म 12 फरवरी को हुआ था. इसके बाद विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की सांस की और खाने की नली आपस में जुड़ी हुई है. जिसकी वजह से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. बच्चा मां का दूध नहीं पी रहा था. अगर समय पर ऑपरेशन न हो तो बच्चे की जान तक जा सकती है. स्वाति ने बताया कि वह बच्चे को लेकर लखीमपुर से लखनऊ इलाज करने के लिए पहुंची. लोगों ने बताया कि लखनऊ में बच्चे का ऑपरेशन अच्छे से हो जाएगा. स्वाति ने कहा कि जब हम यहां पर बच्चे को लेकर आए थे, उस समय बच्चे की हालत बहुत गंभीर थी. यहां तक की लखीमपुर पलिया के डॉक्टरों ने तो जवाब दे दिया था. लेकिन, यहां पर जब इलाज शुरू हुआ. उस समय बच्चे की हालत गंभीर थी. लेकिन, अब खतरे से बाहर है.

बस्ती के एक दंपत्ति के घर में फिर लौटी खुशियांःइसी तरह बस्ती के रहने वाले महेंद्र पांडे ने बताया कि उनकी पहली संतान ने 3 फरवरी को बच्चे ने जन्म लिया. घर में खुशी का माहौल था. उन्हें कोई अंदाजा नहीं था कि पैदा हुए बच्चे को कोई गंभीर दिक्कत भी हो सकती है. 24 घंटे के बाद ही बच्चे का पेट फूलना शुरू हो गया. बच्चे को लेकर हम डॉक्टर के पास पहुंचे तो उन्होंने बताया कि बच्चे का मलद्वार नहीं है. फिर हमने अनन फनन में निजी अस्पताल में दिखाना शुरू किया. लेकिन, वहां पर कोई भी डॉक्टर इस दिक्कत को समझ नहीं पा रहा था और न ही कोई रिस्क लेना चाह रहा था. इसके बाद हम बच्चे को लेकर केजीएमयू में इलाज करने के लिए लखनऊ पहुंचे. भर्ती करने में थोड़ी सी दिक्कत परेशानी हुई. लेकिन, बच्चे का आज सफल ऑपरेशन हो चुका है. एक बार फिर से घर में खुशियों ने दस्तक दी है. जल्द ही हम अपने बच्चे को लेकर घर वापस लौटेंगे.

जागरूकता की कमी के कारण परिजन होते हैं परेशानःपेडियाट्रिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जेडी रावत ने बताया कि बहुत से ऐसे बच्चे हैं, जो न्यू बोर्न बेबी से लेकर 14 वर्ष तक डिफरेंट कंजेटियल बर्थ डिफेक्ट से ग्रसित होते हैं. जो इस विभाग में इलाज के लिए आते है. इसमें सबसे अधिक न्यूबॉर्न बेबी ऐसे आते हैं, जिनका मलद्वार या मूत्रद्वार विकसित या फिर होता ही नहीं है. ऐसी गंभीर दिक्कत में बच्चे का पेट फूल जाता है, बच्चा उल्टी करता है. यहां तक की मां का दूध भी नहीं पी पता है. इसमें जागरूकता की कमी जरूर कही जाएगी. कुछ केस ऐसे होते हैं, जिसमें महिला का प्रसव किसी अस्पताल में होता है, तो विशेषज्ञ डॉक्टर उन्हें अवगत करा देते हैं कि बच्चे का मलद्वार या मूत्रद्वार नहीं है. लेकिन, बहुत से ऐसे केस होते हैं जिसमें किसी महिला का प्रसव अस्पताल में ना हो कर दूसरी जगह होता है. वहां पर उसे बच्चों को क्या दिक्कत है, इसके बारे में पता नहीं चल पाता. ऐसे में माता-पिता बच्चों को लेकर गंभीर अवस्था में इधर से उधर भागते रहते हैं. बहुत से ऐसे केसे होते हैं, जिसमें बच्चा दम तोड़ देता है. समय पर यदि बच्चे का इलाज कर दिया जाए तो जान बच सकती है.

यह भी पढ़े-केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में वेंटिलेटर न मिलने से दो महिला मरीजों की मौत, सामने आई डॉक्टरों की लापरवाही

ABOUT THE AUTHOR

...view details