बक्सरः पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे सोमवार 5 अगस्त को दो दिवसीय दौरे पर बक्सर पहुंचे. ऐतिहासिक किला मैदान में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर जोरदार हमला किया. चौबे ने कहा कि जो लोग आज मेरा बुराई कर रहे हैं, उनको यह बात याद रखनी चाहिए कि 1966 में जब पहली बार मुझे जेल जाना पड़ा था, गरम सलाखों से भागलपुर की जेल में मुझे दागा जा रहा था, उस समय ये नेता चम्मच से दूध भी नहीं पीते होंगे, जो चुनाव के दौरान खुद को मेरा उत्तराधिकारी बताकर पोस्टर से मेरी ही तस्वीर को गायब करा दिए थे.
मेरा उत्तराधिकारी मैं ही हूंःअश्विनी चौबे ने कहा कि मेरा उत्तराधिकारी कोई नहीं है. न मेरा पुत्र और न ही सगे सम्बन्धी, मेरा उत्तराधिकारी मैं ही हूं. पूरे जीवन में टिकट के लिए कभी राजनीतिक गलियारे का परिक्रमा नहीं किया हूं. न ही किसी के सामने हाथ पसारा हूं. आज जो लोग तरह तरह की बाते कर रहे हैं, उनको शायद यह नहीं पता है कि 1996 में कैलाशपति मिश्रा और अटल बिहारी बाजपेयी मुझे सांसद का चुनाव लड़ाने की कोशिश की थी. उस समय भी हमने कहा था कि सांसद का चुनाव मैं कभी नहीं लड़ूंगा. मुझे लालच नहीं रहा है.
चुनाव के दौरान बक्सर से दूरी थी मजबूरीः अश्विनी चौबे ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान मैं एक बार भी बक्सर नही आ सका. ना तो केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे बक्सर जाने के लिए आदेश दिया और न ही स्थानीय प्रत्याशी ने मुझे बुलाया. उस समय भी संगठन मंत्री से कहा था कि भगवान उसको सद्बुद्ध दे. यहां केवल एक कार्यकर्ता नही हारा है, यहां भाजपा के कई दशक के कार्यकर्ताओं का परिश्रम हारा है. इसलिए सभी कार्यकर्ता अपने आपसी मतभेद को भुलाकर एकजुट हो जाएं.