रांची: रांची नगर निगम की दो बार मेयर रहीं आशा लकड़ा को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी मिली है. उन्हें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का सदस्य बनाया गया है. केंद्र सरकार के जनजाति मामलों के मंत्रालय ने राष्ट्रपति की स्वीकृति से उनकी नियुक्ति का पत्र जारी कर दिया है. पदभार ग्रहण करने की तारीख से उनकी नियुक्ति प्रभावी होगी.
राष्ट्रीय जनजाति आयोग एक संवैधानिक संस्था है जो अनुसूचित जनजाति के अधिकार, सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक विकास की योजनाओं में अहम भूमिका निभाता है. संविधान के अनुच्छेद 338 में संशोधन कर अनुच्छेद 338A के तहत मार्च 2004 को एनसीएसटी का गठन किया गया था. आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होता है. अध्यक्ष का ओहदा केंद्रीय मंत्री, उपाध्यक्ष का केंद्रीय राज्य मंत्री और सदस्य की भूमिका केंद्र सरकार के सचिव के रूप में होती है.
कौन हैं आशा लकड़ा
आशा लकड़ा मूलरुप से गुमला की रहने वाली हैं. उनके पिता सीआरपीएफ में जवान थे. परिवार से कोई भी राजनीति में नहीं था. इसके बावजूद उन्होंने राजनीति में एक मुकाम हासिल की है. वह सबसे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ीं. वह अपनी आवाज उठाने से कभी पीछे नहीं रहीं. समय के साथ उन्होंने राजनीति में अपनी जगह बनाई. इसी की बदौलत लगातार दो बार रांची नगर निगम की मेयर निर्वाचित हुईं. इस दौरान कई मसलों पर नगर आयुक्त के साथ उनके टकराव भी हुए.
आशा लकड़ा प्रदेश भाजपा में मंत्री और महिला मोर्चा में राष्ट्रीय मंत्री भी रहीं. कुछ समय पहले जब रघुवर दास को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया तो आशा लकड़ा को पार्टी ने राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी. पिछले दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनावी नतीजा आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद के चयन के लिए तीन पर्यवेक्षकों में शामिल किया गया था. उन्हें पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव को लेकर बनी इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी में भी शामिल किया गया है.