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आशा लकड़ा ने उपायुक्त पर लगाया प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप, पूर्व निर्धारित मीटिंग में नहीं पहुंचे थे डीसी - Asha Lakra accused Dumka DC

DC Break Protocol. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य आशा लकड़ा ने दुमका उपायुक्त ए. दोड्डे के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है. उपायुक्त पर प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप है.

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आशा लकड़ा (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 22, 2024, 9:21 PM IST

दुमका: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य आशा लकड़ा ने दुमका उपायुक्त ए. दोड्डे के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है. आशा लकड़ा ने बताया कि वह पिछले 24 घंटों से दुमका में है और सोमवार को दोपहर में उपायुक्त के साथ उनकी पहले से निर्धारित मीटिंग थी. इसके बावजूद उपायुक्त मीटिंग में नहीं पहुंचे और न ही कल से एक बार भी कॉल पर कुछ जानकारी दी कि उनकी कोई व्यस्तता है. एसटी आयोग की सदस्य ने कहा कि यहां प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई गई है. इसलिए मैंने उपायुक्त के खिलाफ कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को पत्र लिखा. आयोग ने यह पत्र झारखंड के मुख्य सचिव भेज दिया, जिसकी जानकारी दुमका के उपायुक्त को मिल चुकी है.

आशा लकड़ा का बयान (ETV BHARAT)

सरकारी योजना की स्थिति काफी दयनीय: आशा

आशा लकड़ा ने कहा कि आदिवासियों के हित में चल रही सरकारी योजना का हाल जीरो बटा सन्नाटा है. उन्होंने कहा मैंने दुमका के एसटी छात्र-छात्राओं के लिए संचालित आदिवासी कल्याण छात्रावास को देखा जिसकी स्थिति काफी दयनीय है. साथ ही कल्याण विभाग के द्वारा आदिवासियों के हित में जो विकास योजनाएं चलाई जा रही है, वह सही ढंग से जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है. यहां के हालात को देखते हुए मैंने जिला प्रशासन के साथ बैठक रखी थी तय समय तक न तो जिला के उपायुक्त पहुंचे, न ही अधिकारी. जबकि उन्हें इससे संबंधित पत्राचार कर पहले से ही सूचित किया गया था. प्रशासन द्वारा किसी तरह कर समन्वय नहीं किया गया. इसके चलत मैंने उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है. उन्होंने यह बात दुमका परिसदन में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कही.

जिला प्रशासन ने किया आयोग का समय बर्बाद

पत्रकारों से बातचीत में डॉ. आशा लकड़ा ने बताया कि जिला प्रशासन ने आयोग का समय बर्बाद किया है. आयोग की सदस्य का आरोप है कि प्रशासन ने प्रोटोकॉल का ख्याल नहीं रखा. एक कल्याण पदाधिकारी को लगा दिया गया. विभाग के वरीय अधिकारी जो आइटीडीए के निदेशक है, वे भी नहीं आए. कमिशन के अधिकारी और पीएस के साथ उनका व्यवहार सही नहीं था. जब आयोग के साथ जिला प्रशासन का यह रवैया है तो किसी समस्या को लेकर उम्मीद से पहुंचने वाले आदिवासियों के साथ कैसा सलूक होता होगा, यह समझा जा सकता है.

आयोग की सदस्य आशा लकड़ा ने कहा कि राज्य में आदिवासियों के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन के मामले में भी बेहद ही स्थिति खराब है. आशा लकड़ा ने कहा कि संथाल परगना के पाकुड़, साहिबगंज जिले में आदिवासियों की जमीन को मुस्लिम समाज के लोग हड़प रहे हैं. यहां की कई ऐसी महिला जनप्रतिनिधि है जिनके पति मुस्लिम समाज के हैं.

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