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अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में 11 करोड़ रुपए के पशुओं की खरीद फरोख्त, घोड़ों की बिक्री ज्यादा - INTERNATIONAL PUSHKAR FAIR 2024

पुष्कर में लग रहे अंतरराष्ट्रीय पशु मेले का समापन हो गया है. मेले में इस बार घोड़ों की बिक्री ज्यादा हुई है.

International Pushkar Fair 2024
अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में 11 करोड़ रुपए के पशुओं की खरीद फरोख्त (Photo ETV Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 18, 2024, 7:35 PM IST

अजमेर: अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में इस बार पिछले पांच साल की तुलना में पशुओं की जमकर खरीद फरोख्त हुई है. इस बार मेले में ऊंटों की संख्या कम रही है और अश्व वंश की संख्या अधिक रही है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले का समापन हो गया है.

इस बार मेले की खास बात यह रही कि रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंटों की संख्या कम हो गई है. मेले में ऊंटों की खरीद फरोख्त पर भी काफी असर पड़ा है. ऊंटों के भाव कम रहे हैं, जबकि इसके विपरीत अश्व वंश की संख्या विगत 5 वर्षों में सबसे अधिक रही है. अश्व वंश की खरीद भी जमकर हुई है. मेले में 11 करोड़ 5 लाख 83 हजार की हुई पशुओं की खरीद फरोख्त हुई.

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ सुनील घीया . (ETV Bharat Ajmer)

पढ़ें: पुष्कर मेले का समापन: दीया कुमारी ने कहा-अयोध्या और काशी की तर्ज पर विकसित होगा पुष्कर

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ सुनील घीया ने बताया कि मेले में 8 हजार 366 पशु आए थे. इनमें 3 हजार 202 ऊंट, 5 हजार 16 अश्व वंश, 134 गौ वंश और 14 भैंस वंश शामिल है. इनमें गौ वंश और भैंस वंश प्रदर्शनी और प्रतियोगिता के लिए आए थे, जबकि ऊंट और अश्व वंश का मेले में खरीद फरोख्त हुई है. उन्होंने बताया कि मेले में ऊंट सर्वाधिक 37 हजार 500 में बिका है. जबकि अश्व वंश में पंजाबी नुकरी नस्ल की घोड़ी 4 लाख 30 हजार की बिकी है. डॉ घीया ने बताया कि मेले में 274 ऊंट बिके हैं. वहीं, 1 हजार 157 अश्व वंश की बिक्री हुई है. मेले में 11 करोड़ 5 लाख 83 हजार का सौदा हुआ है. इनमें 274 ऊंट 76 लाख 10 हजार में बिके है, जबकि 883 अश्व वंश का कारोबार 10 करोड़ 29 लाख 73 हजार 625 हुआ है.

ऊंट की आवक और कीमत घटी: ऊंट की घट रही संख्या और अश्व वंश की बढ़ रही संख्या मेले में पशुओं के आंकड़ों को बरकरार रखे हुए है, लेकिन वास्तविकता यह है कि ऊंट की आवक के साथ ऊंट की कीमत भी काफी कम हुई है. इसका प्रमुख कारण ऊंट को राज्य के बाहर ले जाने पर पाबंदी है. ऊंट की उपयोगिता कम होने से पशु पालकों का मोह ऊंट पालन के प्रति कम हो गया है, जबकि मेले में अश्व वंश की संख्या विगत दशकों में सबसे ज्यादा इस बार रही है.

इसलिए प्रभावित हुई ऊंटों की बिक्री:पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक घीया बताते हैं कि मशीनरी का उपयोग बढ़ने से ऊंटों की उपयोगिता कम हो गई है. कृषि और परिवहन में भी ऊंटों का उपयोग कम हो गया है. अब केवल पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को घूमाने में ही ऊंट काम आ रहे हैं. बातचीत में उन्होंने बताया कि ऊंट को राज्य धरोहर घोषित करने के बाद उन्हें राज्य के बाहर नहीं ले जाया जा सकता. लिहाजा राज्य के बाहर से ऊंट के खरीदार मेले में नहीं आते है.

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