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बीस साल से जुटे हैं अस्थियों के गंगा विसर्जन में, रिश्ता न नाता फिर भी 135 लावारिश शवों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार - Cremating Unclaimed Bodies - CREMATING UNCLAIMED BODIES

मेड़ता के अनिल थानवी इंसानियत को जिंदा रखने का काम कर रहे हैं. वे लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करते हैं और हरिद्वार जाकर उनकी अस्थियों का विसर्जन भी करते हैं.

Cremating Unclaimed Bodies
अनिल थानवी बीस साल से जुटे हैं अस्थियों के गंगा विसर्जन में (Photo ETV Bharat Kuchamancity)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 2, 2024, 6:06 PM IST

कुचामनसिटी:कहते हैं कि इंसानियत अनमोल होती है. जहां जिंदा इंसानों के लिए किसी को सोचने की फुर्सत नहीं, वहीं कोई किसी मरे हुए व्यक्ति को अपना मानकर सालों से उनका अंतिम संस्कार कर रहा है. हम बात कर रहे हैं मेड़ता सिटी के अनिल थानवी की. पिछले 20 साल वे इंसानियत के धर्म को बखूबी निभा रहे हैं. थानवी ने अब तक 135 से अधिक लावारिस व्यक्तियों का अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार करवाया है. उन्होंने पांच मुस्लिम और 130 हिंदुओं के लावारिस शवों का धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करवाया है.

जिले में प्रत्येक थाने में अनिल थानवी के नंबर हैं. कहीं कोई अज्ञात शव मिलता है तो थानवी को याद किया जाता है. वे वहां पहुंचकर धर्म के अनुसार एक रिश्तेदार की भांति अंतिम संस्कार करते हैं और अस्थियों को भी हरिद्वार ले जाकर गंगाजी में उनका तर्पण करवाते हैं, ताकि उस व्यक्ति का मोक्ष हो सके. थानवी पिछले 20 वर्षों से यह काम कर रहे हैं.

अनिल थानवी बीस साल से जुटे हैं अस्थियों के गंगा विसर्जन में (Video ETV Bharat Kuchamancity)

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गयाजी जाकर पिंडदान किया :अनिल थानवी पेशे से एडवोकेट हैं और मेड़ता नगर पालिका के चेयरमैन रहे हैं. थानवी बताते हैं कि यह कार्य उन्हें आत्म संतुष्टि देता है. गरुड़ पुराण में भी लिखा है कि किसी भी व्यक्ति का अगर रिश्तेदार नहीं है तो ब्राह्मण का दायित्व है कि वह यह कार्य करे, इसलिए वे अंतिम संस्कार के बाद हरिद्वार में गंगाजी में अस्थियां प्रवाहित कर श्राद्ध के तर्पण भी करते हैं. पुराणों में लिखा है कि गयाजी में पिंडदान से मोक्ष मिलता है तो वहां जाकर भी मैंने इन सभी अज्ञात व्यक्तियों का पिंडदान करवाया. अब इन सभी मृत आत्माओं के लिए मेड़ता शहर में आने वाले दिनों में भागवत कथा करवाएंगे.

इस तरह मिली प्रेरणा:मेड़ता के थानवी वर्ष 2001 से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. थानवी बताते हैं कि जब वे एक केस के सिलसिले में चेन्नई गए थे तो मेड़ता का व्यक्ति चेन्नई में काम करता था. वहां पर उसकी मृत्यु हो जाने पर पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया था. इसके चलते घरवालों को बेटे का शव नहीं मिला. तब उन्होंने निश्चय किया कि ऐसे शवों का खुद अंतिम संस्कार करेंगे.

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