प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर निगम गोरखपुर द्वारा दुकानदारों की बेदखली पर रोक लगा दी है. कहा है कि उनसे पहले से तय किराया ही लिया जाएगा.
यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने अनुराधा कक्कड़ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने नगर निगम के अधिवक्ता को करार के विपरीत दुकानों का किराया बढ़ाने के विरुद्ध दाखिल याचिका की पोषणीयता पर की गई. उनकी आपत्ति पर बेहतर जानकारी प्राप्त करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.
कोर्ट ने कहा कि करार के तहत नगर आयुक्त आर्बीट्रेटर होगा जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है. याचिका में कहा गया है कि नगर निगम व दुकानदार के बीच हुई संविदा के अनुसार किराया अवधि 15 साल होगी और हर पांच साल में 25 प्रतिशत किराया बढ़ाने की शर्त है, लेकिन नगर निगम मनमाने तरीके से किराया बढ़ा दिया है, जो करार का उल्लघंन है. निगम की ओर से याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गई कि याची को करार के तहत आर्बिट्रेशन में जाना चाहिए. इस पर कोर्ट ने वैधानिक मुद्दे के लिए बेहतर जानकारी लेकर पक्ष रखने का समय दिया है.
2070 दुकानें है गोरखपुर मेंःबता दें कि नगर निगम की 2070 दुकानें गोरखपुर में हैं. इन दुकानों से न्यूनतम 500 रुपए तक का किराया लिया जाता है. कुछ दिनों पहले किराए पर कई गुना तक की बढ़ोत्तरी कर दी गई थी. इसे लेकर दुकानदारों ने आपत्ति जताई थी. कई दुकानदार हाईकोर्ट चले गए थे. दुकानदारों का कहना था कि एक साथ कई गुना तक किराया बढ़ाना उचित नहीं है. इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है.