वाराणसी: तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के नए अध्यक्ष बीआर नायडू ने हाल ही में मंदिर परिसर में काम करने वाले सभी लोगों के हिंदू होने की वकालत करते हुए सुचिता और पवित्रता बनाए रखने की बात कही थी. जिसके बाद सांसद और एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले की आग में मोदी सरकार पर निशान साधा था. उन्होंने इसको लेकर दोहरी राजनीति की बात कही थी. जिसके बाद अब संत समिति ने ओवैसी को नसीहत दी है.
वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने ओवैसी पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा, वक्फ के नाम पर भारत ने पाकिस्तान का एक बड़ा भूभाग मुसलमानों को दे दिया है. अब यह दोहरी राजनीति करके ओवैसी क्या साबित करना चाहते हैं. तिरुमला के नए अध्यक्ष के बयान के बाद ओवैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा है, कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के अध्यक्ष का कहना है कि तिरुमला में केवल हिंदुओं का ही काम होना चाहिए. लेकिन, मोदी सरकार बख्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में गैर मुसलमानों का होना अनिवार्य करना चाहती है. अधिकांश हिंदू बंदोबस्ती कानून इस बात पर जोर देते हैं, कि केवल हिंदू ही इसके सदस्य होने चाहिए, जो नियम एक के लिए सही है. वहीं, दूसरे के लिए भी सही होना चाहिए. ओवैसी के इस बयान के बाद अब अखिल भारतीय संत समिति ने इसपर अपना विरोध दर्ज कराया है.
स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने ओवैसी को दी नसीहत (ETV BHARAT) इसे भी पढ़े-स्वामी जितेन्द्रानंद ने राहुल गांधी को बताया अज्ञानी, अफजाल अंसारी को हद में रहने की दी नसीहत - Swami Jitendranand Saraswati
वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा, कि तिरुमला देव स्थानम के संदर्भ में मौलाना ओवैसी के विचार सर्वथा अस्वीकार किए जाते हैं. हमें हमारे मंदिरों में गैर हिंदू कर्मचारियों की एंट्री नहीं होने देनी चाहिए. क्योंकि वह हमारी सुचिता और पवित्रता का ध्यान नहीं रख सकते हैं. क्योंकि अगर चंद्रबाबू नायडू की एनडीए सरकार ने कोई निर्णय लिया है, तो उसका स्वागत योग्य चाहिए.
वक्फ बोर्ड के संदर्भ में तो वक्फ बोर्ड कोई मस्जिद नहीं है, कोई पवित्र स्थल नहीं है. नमाज कहीं भी अता की जा सकती है, क्योकि राम जन्मभूमि के केस में सुप्रीम कोर्ट ने जब पूछा था की नमाज जरूरी है, या मस्जिद? तो इन्होंने नमाज को आवश्यक बताया था. इसलिए मस्जिद और वक्फ संपत्ति की आड़ में हिंदुस्तान के बड़े भूभाग में कब्जे का संयंत्र उचित नहीं है. दुनिया के 56 इस्लामी देशों में वक्फ बोर्ड नहीं है, तो हिंदुस्तान में ही क्यों है? जबकि आजादी की कीमत के रूप में हिंदुस्तान ने पाकिस्तान बनाकर बड़ी संपत्ति को वक्फ के रूप में दे दिया है. इसलिए हिंदुस्तान की संपत्ति में आपका हिस्सा कैसे हो सकता है? इसलिए ओवैसी को ऐसी दोहरी राजनीति नहीं करनी चाहिए.
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