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छत्तीसगढ़ में पैदावार की कमी से वैज्ञानिकों का इनकार, फिर क्यों परेशान हैं किसान - Chhattisgarh Rainfall

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 19, 2024, 5:28 PM IST

छत्तीसगढ़ में दक्षिण पश्चिम मानसून की एंट्री सुकमा के रास्ते 8 जून को हो गई थी. वहीं 23 जून कर पूरे प्रदेश में मानसून एक्टिव हो गया था. बावजूद इसके प्रदेश में मानसूनी के आंकड़ों को देखें तो बारिश कम हुई है. इस वजह से मानसून की बारिश पर आधारित फसलों को लेकर किसान चिंतित हैं.

CHHATTISGARH RAINFALL
छत्तीसगढ़ में बारिश (ETV Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ में औसत से कम हुई है बारिश (ETV Bharat Chhattisgarh)

रायपुर : छत्तीसगढ़ में नॉर्मल या सामान्य बारिश की बात करें तो 1 जून से 17 जुलाई तक 385.4 मिलीमीटर बारिश होनी थी, लेकिन अब तक 291.5 मिलीमीटर ही बारिश हुई है. मानसून के सीजन में पूरे छत्तीसगढ़ में 75 प्रतिशत क्षेत्र में धान की खेती की जाती है. वहीं खरीफ की फसल के तहत मूंग, उड़द, मक्का, सोयाबीन, तिल, मूंगफली, कोदो, कुटकी, रागी जैसे चीजों की पैदावार होती है. ऐसे में मानसून की बारिश कम होने से इन फसलों को लेकर किसान परेशान हैं.

बारिश कम होने की क्या है वजह ? : मौसम वैज्ञानिक गायत्री वाणी कांचीभोटला ने बताया, "मानसून में कमी की वजह लो प्रेशर नहीं बन रहा है, जिसके चलते मानसून में कमी आई है. जून महीने के आखिरी में लो प्रेशर बना था, जिसके बाद आज या कल में फिर एक बार बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर बन रहा है. इस वजह से आने वाले दो-तीन दिनों तक अच्छी बारिश की उम्मीद है."

"अब तक पूरे छत्तीसगढ़ में नॉर्मल बारिश की तुलना में 26 फीसदी बारिश कम हुई है. आने वाले तीन दिनों तक अच्छी बारिश होने से 4 से 5 फीसदी बारिश की कमी पूरी हो जाएगी. सबसे ज्यादा बारिश जुलाई और अगस्त के महीने में देखने को मिलता है. मौसम में उतार-चढ़ाव होते रहता है. आने वाले समय में मानसून की कमी पूरी हो जाएगी." - गायत्री वाणी कांचीभोटला, मौसम वैज्ञानिक

"पैदावार में कमी का आंकलन जल्दबाजी" : रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम वैज्ञानिक जीके दास ने कहा, "अब तक हुई बारिश के आधार पर छत्तीसगढ़ में 15 से 20 फीसदी पैदावार कम हुई. हालांकि, यह कहना अभी जल्दबाजी होगा, क्योंकि बारिश का मौसम अभी शुरू ही हुआ है. अभी बारिश शुरू हुए एक महीने ही हुए हैं. पूरे बरसात का सीजन 4 महीने का होता है. ऐसे में फसल पैदावार की कमी का आंकलन करना जल्दबाजी होगा."

छत्तीसगढ़ में खरीफ फसल में 75 फीसदी क्षेत्र में धान की फसल ली जाती है. इसके साथ ही मूंग, उडद, मक्का, सोयाबीन, तिल, मूंगफली कोदो, कुटकी, रागी जैसे चीजों की पैदावार होती है. हर वर्ष मानसून में उतार-चढ़ाव का दौर देखने को मिलता है. बारिश कम हुई है, इसलिए रोपा लगाने के लिए कुछ किसानों को इंतजार करना होगा.

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