राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

स्थाई लोक अदालतों में रिक्त पदों को लेकर राज्य सरकार व विधि विभाग से मांगा हलफनामा - vacant posts in Lok Adalat

स्थाई लोक अदालतों में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं दिए जाने और रीडर तथा तृतीय श्रेणी के स्टेनोग्राफर की पदोन्नति का कोई प्रावधान नहीं किए जाने को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और विधि विभाग से 10 जुलाई तक हलफनामा मांगा है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 21, 2024, 10:23 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ पुष्पेन्द्रसिंह भाटी और न्यायाधीश योगेंद्र कुमार पुरोहित ने राज्य के स्थाई लोक अदालतों में रिक्त पदों की भर्ती नहीं किए जाने वाली याचिका पर सुनवाई की. पिछले 8 साल से स्वीकृत पदों की पूर्ण भर्ती नहीं किए जाने, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद पर नियुक्ति नहीं दिए जाने तथा रीडर और तृतीय श्रेणी के स्टेनोग्राफर की पदोन्नति का कोई प्रावधान नहीं होने पर हलफनामा मांगा है. कोर्ट ने राज्य सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को आगामी पेशी 10 जुलाई तक हलफनामा दायर किए जाने के निर्देश दिए हैं. याचिकाकर्ता एडवोकेट वी डी दाधिच की ओर से दायर जनहित याचिका पर अधिवक्ता अनिल भंडारी ने पैरवी की.

अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि 25 अप्रैल, 2016 को राज्य में कार्यरत स्थाई लोक अदालत के लिए रीडर और आशुलिपिक के एक एक पद, लिपिक के 3 पद और साइकिल सवार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के दो पद स्वीकृत किए गए. पद स्वीकृत होने के बावजूद 8 साल बाद भी कई जगह पद रिक्त हैं तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की तो भर्ती ही नहीं की जा रही है. इसकी वजह से न्यायिक कारवाई बाधित हो रही है. उन्होंने कहा कि इन अदालतों में रीडर और आशुलिपिक तृतीय श्रेणी में कार्यरत कर्मियों की पद्दोन्नति का कोई भी प्रावधान नहीं होने से कर्मचारी कुछ साल बाद नौकरी छोड़ने को विवश हो रहे हैं. इनके लिए पद्दोन्नति का प्रावधान किया जाना चाहिए.

पढ़ें:रुकी हुई भर्तियों को पूरा करेगी भजन सरकार, शिक्षा विभाग में रिक्त पदों की मांगी सूची

उन्होंने कहा कि स्थाई लोक अदालत में अभी तक निर्णय या आदेश ऑनलाइन उपलब्ध नहीं किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्थाई लोक अदालत जोधपुर महानगर में तीन कर्मियों के मध्य सिर्फ एक ही टेबल आवंटित की हुई है और प्राधिकरण ने शौचालय को लगभग स्टोर में तब्दील कर दिया है. इसीलिए पूर्ण संसाधन की सुविधा मुहैया कराई जाए. राज्य सरकार और प्राधिकरण की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता महावीर बिश्नोई, हाइकोर्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सचिन आचार्य और भारत सरकार की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल मुकेश राजपुरोहित ने पैरवी की.

ABOUT THE AUTHOR

...view details