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गोद लिए गए दत्तक संतान को पिता की चल-अचल संपत्ति पर पूरा अधिकार, हाईकोर्ट का आदेश - HIGH COURT NEWS

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, 1977 से पूर्व हुए गोदनामे का पंजीकरण अनिवार्य नहीं, 40 वर्ष में निस्तारित हुआ गोदनामे का विवाद

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 24, 2024, 8:44 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक जनवरी 1977 से पहले किए गए गोदनामा का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है. उत्तर प्रदेश में चकबंदी कार्रवाई को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि गोदनामे का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. यह टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति चंद्र कुमार राय ने जगदीश की ओर दा​खिल की गई 40 वर्ष पुरानी याचिका को स्वीकार कर लिया.

याची जगदीश को उसके मामा ने गोद लिया था. ऐसे में याची के मामा (पिता) की मृत्यु के बाद उसकी मौसियों ने उत्तर प्रदेश चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 12 के अंतर्गत आवेदन दायर किया. जगदीश ने 25 अक्तूबर 1974 को किए गए गोदनामा के आधार पर स्वयं को मृतक का दत्तक पुत्र बताया और कहा कि वह अपने पिता की संपत्ति का हकदार है. मौसियों का पिता की संप​त्ति में कोई हक नहीं है. चकबंदी अधिकारी ने याची के पक्ष में आदेश पारित किया.

मौसियों ने इसके विरुद्ध अपील की, जिसे स्वीकार कर लिया गया. याची ने अपील के ​खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया. व्यथित होकर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

याची के अ​धिवक्ता विशाल अग्रवाल ने दलील दी कि एक जनवरी 1977 से पहले किया गया गोदनामा को रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं थी. जब गोदनामा (दत्तक ग्रहण) हुआ तो उसके पिता की पत्नी ने कोई विरोध नहीं किया गया. आदेश रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों पर विचार किए बिना पारित किया गया. वहीं, प्रतिवादी पक्ष ने दलील दी कि गोद लेने की परिस्थितियां संदिग्ध थीं और उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. गोद लेने के समय मृतक की पत्नी जीवित थी. इसके बाद भी सहमति नहीं ली गई. ऐसे में याची का संप​त्ति पर कोई अधिकार नहीं है.

कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि चकबंदी अधिकारी ने सभी साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित किया. उन्हें गोद लेने के कागजात के रजिस्ट्रेशन की कोई आवश्यकता नहीं लगी. न्यायालय ने मुंदर बनाम उप निदेशक चकबंदी व अन्य का संज्ञान लेते हुए माना कि एक जनवरी 1977 से पहले के गोदनामा का पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं है. कोर्ट ने ने कहा कि याची को मृतक की संपूर्ण चल और अचल संपत्ति का अधिकार है.

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