नई दिल्ली:दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों के चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद चुनाव आयोग की ओर से फाइनल डेटा जारी कर दिया गया है. चुनाव परिणामों के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद साफ हुआ है कि जिन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को उतारा गया था, वहां पर आम आदमी पार्टी के विधायकों या कार्यकर्ताओं ने उनके लिए कोई ज्यादा काम करने की जरूरत महसूस नहीं की. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच अंदरूनी लड़ाई भी हार के बड़े कारणों के रूप में देखी जा रही है. कई सीटों पर आम आदमी पार्टी के नेताओं और कांग्रेस के नेताओं ने खुलकर बगावत की थी इसको चुनाव में बड़े नुकसान के तौर पर देखा जा रहा है.
दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट की बात करें तो इसके अंतर्गत आने वाली 10 विधानसभाओं में से तीन विधानसभा बल्लीमारान, मटिया महल और चांदनी चौक अकेली ऐसी तीन विधानसभा हैं जहां पर कांग्रेस के प्रत्याशी जेपी अग्रवाल को अच्छे वोट पड़े थे. यह तीनों विधानसभा मुस्लिम बाहुल्य सीट हैं. बल्लीमारान में 64.08 पर्सेंट, मटिया महल में 77.29 पर्सेंट और चांदनी चौक में 59.93% वोट जेपी अग्रवाल के पक्ष पड़े थे. इन तीनों विधानसभा में बीजेपी के प्रत्याशी प्रवीण खंडेलवाल को बल्लीमारान सीट से 34.37 पर्सेंट, मटिया महल से 21.45 पर्सेंट और चांदनी चौक सीट पर 38.25 पर्सेंट वोट पड़ा था. बाकी सभी सात विधानसभा में बीजेपी को कांग्रेस के मुकाबले अच्छा वोटिंग पर्सेंट हासिल हुआ है.
जेपी अग्रवाल को गैर मुस्लिम बहुल इलाकों में नहीं मिली वोट:इन सभी सातों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी जेपी अग्रवाल को बीजेपी के मुकाबले बड़े मार्जिन के साथ कम वोट हासिल हुए हैं. इनमें सदर बाजार सीट पर 44.09%, आदर्श नगर में 34.92 पर्सेंट, शालीमार बाग में 31.08 पर्सेंट, शकूर बस्ती सीट पर 31.37 पर्सेंट, त्रिनगर में 36.72 पर्सेंट, वजीरपुर में 37.61 पर्सेंट और मॉडल टाउन सीट पर 35.13 पर्सेंट वोट ही मिला जबकि बीजेपी कैंडिडेट को इन वोट पर्सेंटज के मुकाबले डबल वोट हासिल हुआ है. इससे साफ नजर आता है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस कैंडिडेट को कोई खास तवज्जो तीन सीटों को छोड़कर बाकी पर नहीं दी है. इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि जिन तीन सीटों पर कांग्रेस को अच्छा वोट मिला है वहां पार्टी की खुद की पैठ भी अच्छी रही है. सत्येंद्र जैन की शकूरबस्ती विधानसभा से बीजेपी के प्रवीण खंडेलवाल को 66.31 पर्सेंट वोट हासिल हुआ.
नॉर्थ ईस्ट लोकसभा सीट पर भी आम आदमी पार्टी के विधायकों ने कांग्रेस के कैंडिडेट को लेकर कोई खास तवज्जो नहीं दी है. चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी के मनोज तिवारी को इस लोकसभा क्षेत्र की जिन विधानसभाओं में बीजेपी के विधायक हैं, वहां उनको अच्छा वोट मिला है. साथ ही जिन सीटों पर आम आदमी पार्टी के विधायक हैं, वहां पर भी उनको बंपर वोटिंग हुई है. आप विधायक वाली सीटों पर भी कांग्रेस कैंडिडेट को कोई खास वोट हासिल नहीं हुआ है.
कन्हैया कुमार को मुस्लिम बहुल इलाकों में मिली अच्छी वोट:कांग्रेस कैंडिडेट कन्हैया कुमार को सिर्फ मुस्लिम बहुल इलाकों वाली विधानसभा में ही अच्छा वोट हासिल हुआ है. कन्हैया को सीलमपुर में 69.07 फ़ीसदी, बाबरपुर में 55.02 फीसदी, मुस्तफाबाद में 55. 63 फ़ीसदी, सीमापुरी में 50. 57 फ़ीसदी वोट हासिल हुआ है जबकि बीजेपी के विधायकों वाली सीटों पर मनोज तिवारी के पक्ष में बंपर वोटिंग हुई है. मनोज तिवारी को रोहतास नगर से 63.78 फ़ीसदी, घोंडा से 70.38 फ़ीसदी, करावल नगर से 59.48 फीसदी वोट हासिल हुआ है. कन्हैया कुमार को रोहतास नगर सीट से सिर्फ 33.53 फ़ीसदी, घोंडा से 27.37 फीसदी और करावल नगर से 37.80 फीसदी वोट ही मिल पाया है. दिलचस्प बात यह है कि बुराड़ी विधानसभा में भी कन्हैया कुमार को सिर्फ 33.11 फ़ीसदी वोट ही मिला है जबकि मनोज तिवारी को यहां पर 63.40 पर्सेंट वोट मिले हैं.
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नॉर्थ वेस्ट में कांग्रेस कैंडिडेट पर आप का नहीं टिका भरोसा:इंडिया गठबंधन के कांग्रेस के प्रत्याशी उदित राज को नॉर्थ वेस्ट लोक सभा सीट पर भी कोई खास तवज्जो आम आदि पार्टी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने नहीं दी है. इस लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 10 सीटों में से रोहिणी को छोड़ दें तो बाकी 9 पर आम आदमी पार्टी के विधायक काबिज हैं. बावजूद इसके वह कांग्रेस कैंडिडेट को वोट दिलाने में कामयाब नहीं हो सके. चुनाव आयोग के आंकड़ों की माने तो कांग्रेस कैंडिडेट को नरेला में 40.17 पर्सेंट,बादली में 39.85 पर्सेंट, रिठाला में 32.56 पर्सेंट, बवाना में 40.03%, मुंडका में 39. 95 पर्सेंट, किराड़ी में 38.55 पर्सेंट, सुल्तानपुर माजरा में 52.29 पर्सेंट, नांगलोई में 35.47 पर्सेंट, मंगोलपुरी में 43.18 पर्सेंट वोट ही मिल पाया है जबकि भाजपा के पक्ष में इन आम आदमी पार्टी वाली विधानसभाओं में खूब बंपर वोटिंग हुई है.
नई दिल्ली की इन विधानसभाओं में मिला इतना वोट:नई दिल्ली सीट पर सोमनाथ आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट सोमनाथ भारती को मंत्री सौरभ भारद्वाज की विधानसभा से विधानसभा ग्रेटर कैलाश से बीजेपी की बांसुरी स्वराज को मिले 58.19 पर्सेंट के मुकाबले सिर्फ 40.49 पर्सेंट वोट ही मिल पाया है. दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद की पटेल नगर सीट पर भी आम आदमी पार्टी को 45.93% वोट हासिल हुआ है. सोमनाथ भारती की विधानसभा आरके पुरम जहां से वो विधायक हैं, में 49.64 फ़ीसदी वोट हासिल हुआ है जबकि भाजपा को यहां 48.38 फ़ीसदी वोट मिले हैं. वहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल की विधानसभा नई दिल्ली सीट से भी आम आदमी पार्टी प्रत्याशी को सिर्फ 51.41 फ़ीसदी वोट हासिल हुआ है जबकि भाजपा को यहां 47.16 पर्सेंट वोट मिला है.
महाबल मिश्रा को बीजेपी के मुकाबले काफी कम वोट मिला:इसके अलावा वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर बात की जाए तो आम आदमी पार्टी की जीत वाली 10 विधानसभाओं में महाबल मिश्रा को बीजेपी के मुकाबले काफी कम वोट मिला है. इनमें उत्तम नगर से 37.79 फ़ीसदी, मटियाला से 39.43 पर्सेंट और नजफगढ़ से 39.76 पर्सेंट वोट ही मिल पाया है.
ईस्ट सीट पर बीजेपी को अपने कब्जे वाली विधानसभाओं में मिली बंपर वोट:बात अगर ईस्ट दिल्ली संसदीय सीट की करें तो 10 में से 7 सीटों पर आम आदमी पार्टी और तीन सीटों पर बीजेपी के विधायक काबिज हैं. बीजेपी के कब्जे वाली लक्ष्मी नगर विधानसभा से आम आदमी पार्टी कैंडिडेट को 37.04% जबकि भाजपा को 61.11 पर्सेंट, विश्वास नगर से आप पार्टी को 32.07% जबकि बीजेपी को 65.63 पर्सेंट और गांधीनगर से आप पार्टी को 43.40 पर्सेंट जबकि भाजपा को 54.82 पर्सेंट वोट मिला है. इसी तरीके से देखा जाए तो बाकी आम आदमी पार्टी के वर्चस्व वाली सीटों पर आप पार्टी कैंडिडेट कुलदीप कुमार को कोई खास वोट हासिल नहीं हुआ है.
मनीष सिसोदिया की पटपड़गंज विधानसभा सीट से कुलदीप कुमार को सिर्फ 37.82 फ़ीसदी वोट ही मिला है जबकि भाजपा को यहां से 59.97% वोट हासिल हुए हैं. आम आदमी पार्टी को सिर्फ मुस्लिम बहुल विधानसभा ओखला से सबसे ज्यादा वोट 67.70 पर्सेंट मिला है जबकि भाजपा को यहां 30.40 पर्सेंट वोट ही हासिल हुए हैं. जंगपुरा में भी आम आदमी पार्टी को 50.28% वोट मिला है जबकि भाजपा को 47.21 पर्सेंट वोट पड़े हैं. कुलदीप कुमार को खुद की कोंडली विधानसभा से भी मात्र 47.53 फ़ीसदी वोट हासिल हुए हैं जबकि भाजपा को इससे ज्यादा 48.81 फ़ीसदी वोट मिले हैं. इन आंकड़ों से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि कांग्रेस के नेताओं ने भी गठबंधन को कोई खास तवज्जो नहीं दी है.