पानी की किल्लत को लेकर आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन (ETV BHARAT) नई दिल्ली :दिल्ली पेयजल संकट से जूझ रही है. आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगा रही है कि हरियाणा दिल्ली के हिस्से का पानी यमुना नदी में नहीं छोड़ रहा है जिसकी वजह से यह पेयजल संकट खड़ा हुआ है. इस मुद्दे को लेकर सोमवार को आम आदमी पार्टी दिल्ली ने हरियाणा भवन का घेराव किया. वहीं दूसरी ओर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली की जल मंत्री आतिशी और मंत्री सौरभ भारद्वाज से मुलाकात कर जल संकट पर बातचीत की जिसके बाद एलजी ने हरियाणा सरकार से बातचीत करने का आश्वासन दिया है.
दिल्ली के कई इलाकों में पानी की भारी किल्लत
दिल्ली पिछले एक माह से पेयजल संकट से जूझ रही है. दिल्ली में जिन इलाकों में दो वक्त पानी मिलता था वहां एक वक्त ही पानी दिया जा रहा है. इसके साथ ही पानी की बर्बादी ना हो इसकी निगरानी करने के लिए 200 टीमें गठित की गई हैं. पेयजल की बर्बादी करने वालों को 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा रहा है. आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगा रही है कि हरियाणा सरकार यमुना नदी में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ रही है जिसकी वजह से वजीराबाद में जलस्तर औसत से कम है. जलस्तर कम होने के कारण पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में नहीं पहुंच रहा है. इससे दिल्ली में पेयजल संकट खड़ा हो गया है.
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हरियाणा सरकार पर दिल्ली के हिस्से का पानी कम करने का आरोप
दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने रविवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर मुनक नहर में पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ने की अपील की थी. रविवार को पानी नहीं छोड़े जाने पर सोमवार या मंगलवार तक दिल्ली में बड़ा पेय जल संकट खड़ा हो सकता है. पत्र में आतिशी ने इसकी आशंका जाहिर की थी. लेकिन हरियाणा की तरफ से पानी नहीं छोड़ा गया.
हरियाणा सरकार पर दिल्ली के हिस्से का पानी कम करने का आरोप
इधर उपराज्यपाल ने दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों से वजीराबाद स्थित जलाशय में गार्ड की स्थिति और दिल्ली में पेयजल रिसाव और बर्बादी पर भी रिपोर्ट मांगी है. ऐसे में उपराज्यपाल की तरफ से पेयजल की किल्लत पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की नाकामी को साबित करने का प्रयास किया जा सकता है. वहीं, आम आदमी पार्टी लगातार हरियाणा की भाजपा सरकार पर दिल्ली के हिस्से का पानी रोकने का आरोप लगा रही है. हालांकि दिल्ली में पेयजल संकट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी सोमवार को सुनवाई होनी है हालांकि जलसंकट पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही राजनीति ना करने के निर्देश दिया है.
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