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WATCH: उत्तराखंड के इस गांव में आई आमों की बहार, पेड़ कर रहे खाने वालों का इंतजार - Uttarakhand Mango Production

Trees laden with mangoes in Seema village of Uttarakhand उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों आमों की बहार है. लेकिन दुर्भाग्य ये है कि इन आमों को खाने वाले नौकरी और रोजगार के चक्कर में घर छोड़कर मैदानी इलाकों में पलायन कर चुके हैं. गर्मी की छुट्टियों में लखनऊ से अल्मोड़ा के अपने गांव पहुंचे एक सज्जन ने आमों को लेकर वीडियो बनाया और ईटीवी भारत को भेजा है. इस वीडियो में देखिए पहाड़ पर आमों की रंगत.

mangoes in Seema village of Uttarakhand
उत्तराखंड में आम की बहार (Photo- Local Citizen)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 16, 2024, 1:58 PM IST

आमों से लदे हैं गांव के पेड़ (Video- Local Citizen)

मासी (अल्मोड़ा):उत्तराखंड में कई तरह के आम पाए जाते हैं. इनमें बॉम्बे ग्रीन, लंगड़ा, दशहरी, चौसा, आम्रपाली, मल्लिका, रामकेला और यहां का छोटा देसी आम प्रमुख है. राज्य में करीब 36 हजार हेक्टेयर में आम की फसल होती है. करीब डेढ़ लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है. इन दिनों पहाड़ों में आम के पेड़ फलों से लदे हैं.

आमों से लदे गांवों में पेड:पेड़ तो फलों से लदे हैं, लेकिन इन्हें खाने वाले गिने-चुने लोग ही गांवों में मौजूद हैं. गर्मियों में स्कूलों की छुट्टियों में लोग हर साल अपने घर जाते हैं. महीना भर गांव और नाते-रिश्तेदारी में बिताते हैं. इस दौरान गांव में चहल-पहल हो जाती है. महीने भर बाद ये लोग जब शहर वापस लौट जाते हैं तो फिर गांवों में सन्नाटा पसर जाता है. इन दिनों गर्मियों की छुट्टियों में लोग घर गए हैं.

आम खाने वाला कोई नहीं:लखनऊ से अल्मोड़ा जिले के मासी स्थित सीमा गांव पहुंचे एक सज्जन ने जब यहां पेड़ों पर आम लदे देखे तो उनसे रहा नहीं गया. उन्होंने जेब से मोबाइल निकाला और कई सारे वीडियो बना डाले. उन्होंने जो वीडियो बनाए उनमें दिख रहा है कि सीमा गांव में पेड़ आमों से लदे हैं. आंधी तूफान में आम पेड़ों से नीचे गिर रहे हैं तो उन्हें उठाने और खाने वाला कोई नहीं है. ऐसे असंख्य पेड़ हैं जिनके नीचे आमों के ढेर लगे हैं.

ये वीडियो आपको गांव की ओर खींच लेगा:वीडियो बनाने वाले सज्जन साथ में कमेंट्री कर रहे हैं और बता रहे हैं कि आम की बहुत अच्छी फसल आई है. आम खाने वाले कोई नहीं हैं. गांव में बुजुर्ग और बच्चे हैं. वो भी आखिर कितने आम खाएंगे. वीडियो बनाने वाले सज्जन को कहते सुना जा रहा है कि अगर ये आम किसी शहर के नजदीक होते तो अब तक मंडी में पहुंच गए होते और इनके अच्छे दाम मिल जाते. लेकिन पहाड़ के गांव तो पलायन के कारण खाली हो गए हैं. यहां न तो लोग बचे हैं और न ही साधन हैं. कुल मिलाकर ये वीडियो बहुत भावुक करने वाला है कि देवभूमि की संस्कृति के वाहक गांव आज खाली पड़े हैं. गांव से मैदानी इलाकों में आए लोग कार्बाइड से पके आम महंगे दामों पर खरीदने को मजबूर हैं, लेकिन ऑर्गेनिक तरीके से पके आम खाने वाला कोई नहीं है.
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