शिमला: हिंदू धर्म में वैदिककाल से ही गाय को पूजनीय माना जाता रहा है. देवभूमि हिमाचल में गौ हत्या और गौ तस्करी के खिलाफ कानून भी बनाया गया है, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में गौ तस्करी के मामले सामने आते रहे हैं.
मानसून सत्र में गौ तस्करी को लेकर सरकार से सवाल भी पूछा गया था कि, 'पिछले दो सालों में 31/07/2024 तक प्रदेश में गौ-तस्करी के कितने मामले पंजीकृत हुए और इसके लिए कार्रवाई की गई. इन मामलों में हुई गिरफ्तारियों और मामलों की वर्तमान स्थिति क्या है. क्या तस्करी किए जा रहे गौ वंश के स्त्रोत और इसके पीछे के मुख्य सरगनाओं की पहचान की गई है. यदि हां, तो कितने गौ-वंश को तस्करी से बचाया गया और गौ-वंश के सरंक्षण के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं.'
सरकार ने अपने जवाब में कहा कि, 'दो सालो में गौ तस्करी के कुल 09 मामले दर्ज हुए, जबकि 23 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. जिला चम्बा मे पंजीकृत एक मामले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया, जिनके खिलाफ चालान तैयार करके कोर्ट में भेजा गया था. कोर्ट ने उक्त मामले को withdraw के रूप से निष्पादित किया है. कुल्लू में पंजीकृत 02 मामलों में 08 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है. इन दोनों मामलों की जांच की जा रही है. लाहौल एवं स्पिति मे पंजीकृत चार मामलों मे 10 व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई. दो मामलों में चालान तैयार करके कोर्ट में पेश किया गया है. दो मामलों की जांच जारी है. जिला मण्डी मे पंजीकृत दो मामलों में तीन व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार करके सम्बंधित ग्राम पंचायत न्यायालयों में विचार के लिए भेजा गया है. गौ वंश की तस्करी से सम्बंधित किसी विशेष स्त्रोत और इसके पीछे किसी सरगना की संलिप्तता नहीं पाई गई है.'