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गाजीपुर में सॉलवर गैंग के 4 सदस्य गिरफ्तार, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मार्कशीट और ब्लैंक चेक बरामद - GHAZIPUR NEWS

इससे पहले आजमगढ़ में भी सॉल्वर गिरोह के 4 सदस्य पकड़े जा चुके हैं

गाजीपुर में सॉल्वर गैंग के 4 सदस्य गिरफ्तार.
गाजीपुर में सॉल्वर गैंग के 4 सदस्य गिरफ्तार. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 7, 2025, 7:21 PM IST

गाजीपुर :स्वाट, सर्विलांस और सदर कोतवाली पुलिस की टीम ने अन्तरराज्जीय सॉल्वर गैंग के 4 सदस्यों को सदर कोतवाली के राय कॉलोनी से गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है. दरअसल, ये सॉल्वर गैंग प्रतियोगी परीक्षा में पास कराने के नाम अभ्ययर्थियों से पैसा लेकर पेपर सॉल्व कराने का काम कर रहे थे. ये गैंग अभी हाल ही में हाईकोर्ट द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में सक्रिय था, लेकिन सफल नहीं हो पाया. पकड़े गए सॉल्वर गैंग के सदस्यों के पास से 3 वाईफाई राउटर, 20 सिमकार्ड, छोटा व बड़ा वॉकी टॉकी, स्कैनर आदि उपकरण बरामद हुए हैं. साथ ही अभ्यर्थियों के मूल प्रमाण पत्र, ब्लैंक हस्ताक्षरित चे, ब्लैंक हस्ताक्षरित स्टॉम्प पेपर भी मिले हैं.

गाजीपुर में सॉल्वर गैंग के 4 सदस्य गिरफ्तार. (Video Credit; ETV Bharat)

एसपी डॉ. ईरज राजा ने पुलिस लाइन सभागार में मीडिया को बताया कि अपराधियों के विरुद्ध अभियान के तहत स्वाट, सर्विलांस और प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली की संयुक्त टीम ने भर्ती परीक्षाओं में नकल कराने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह के चार अभियुक्तों सर्वजीत सिंह पुत्र उमाशंकर यादव निवासी हरिबल्लभपुर थाना मोहम्मदाबाद गाजीपुर, श्रवण यादव पुत्र सत्यनारायण यादव निवासी मरदानपुर लक्ष्मन वाजिदपुर थाना बिरनो गाजीपुर, श्रवण कुमार पुत्र रविन्द्र यादव निवासी बिहरा थाना बिरनो गाजीपुर और पंकज कुमार राय पुत्र अवधबिहारी राय निवासी सारंगपुर थाना कोचस जिला रोहतास सासाराम, बिहार को राय कॉलोनी में किराये के मकान से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है.

पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे सार्वजनिक परीक्षाओं में परीक्षार्थियों को फर्जी तरीके से पास कराने में इलेक्ट्रानिक उपकरण, डिवाइस का प्रयोग करते हैं. परीक्षार्थियों के मूल अंकपत्र, ब्लैंक चेक, ब्लैक स्टाम्प पेपर, आधार कार्ड ले लेते थे और फोटो व नाम परीवर्तित कर फर्जी आधार कार्ड तथा किसी स्कूल का प्रमाण पत्र कूटरचित मुहर के माध्यम से तैयार कर प्रमाणित कर लेते थे. उसके बाद परीक्षार्थियों के परीक्षा पास करने के उपरान्त उनके प्रमाण पत्रों को कम से कम दस लाख रुपये लेने के बाद वापस दिया जाता था. मिले रुपयों को आपस में बांट लेते थे.

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