रामगढ़ में पासिंग आउट परेड में शामिल अग्निवीर जवान. (वीडियो-ईटीवी भारत) रामगढ़ः पंजाब रेजिमेंटल सेंटर के किलाहरी ग्राउंड में तीसरे बैच अग्निवीर रिक्रूटर्स का पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया. तीसरे अग्निवीर बैच के 624 अग्निवीर जवानों ने उनके 31 सप्ताह के कठिन शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण के समापन पर यह पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया. अब सभी नौजवान सैनिक राष्ट्र की सेवा के लिए पंजाब रेजिमेंट की विभिन्न यूनिटों में तैनात किए जाएंगे.
कमांडेंट ब्रिगेडियर संजय चंद्र कांडपाल ने अग्निवीरों को दी बधाई
पंजाब रेजिमेंटल सेंटर के कमांडेंट ब्रिगेडियर संजय चंद्र कांडपाल ने अग्नि वीरों को जानदार जोशीली परेड के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि किलाहरी परेड ग्राउंड के प्रांगण में इस भीषण गर्मी के बावजूद आपकी शानदार और जानदार जोशीली ड्रिलिंग ने यह साबित किया है कि पंजाब रेजिमेंट के रिक्रूटर्स में काफी गर्मी है वे आग के शोले बनकर दुश्मन पर बरसने को तैयार हैं. मुझे आप सभी को मुबारक देते हुए काफी गर्व की अनुभूति हो रही है. कमांडेंट ब्रिगेडियर ने अग्निवीर जवानों से कहा कि आप आज के बाद बहुत ही पुरानी और सबसे भरोसेमंद बहादुर पंजाब रेजिमेंट का हिस्सा बनने जा रहे हैं.
पंजाब रेजिमेंट का गौरवशाली इतिहास रहा है
कमांडेंट ब्रिगेडियर संजय चंद्र कांडपाल ने कहा कि आजादी के बाद पंजाब रेजिमेंट का 77 साल का इतिहास बेमिसाल रहा है. पंजाब रेजिमेंट ने 11 युद्ध सम्मान हासिल किए हैं. महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, दर्जनों शौर्य चक्र, वीर चक्र सहित कई सामानों से यह रेजिमेंट सुशोभित है. कई ओहदे अपने नाम पर लिखे हैं.
देश में अलग-अलग स्थानों पर अग्निवीरों की होगी तैनाती
उन्होंने कहा कि फिर एक छोटा सा आयाम बनने जा रहा है. पहली बार किलाहरी ग्राउंड से इतने सारे रिक्रूटर्स इकट्ठे पास आउट हो रहे हैं और यह रिक्रूटर्स अंतिम पग के सफर को पार करेंगे. कमांडेंट ब्रिगेडियर ने कहा कि अंतिम पग का सफर तय करने के बाद आप में से काफी सारे रिक्रूटर्स कश्मीर की पहाड़ियों में, सियाचिन की ऊंचाइयों पर, अंडमान के टापू में, अरुणाचल की पहाड़ियों से लेकर रण ऑफ कच्छ तक मोर्चा संभालेंगे.
नाम, नमक और निशान की अहमियत बताई
कमांडेंट ब्रिगेडियर संजय चंद्र कांडपाल ने कहा हमेशा हमने जो आपको एक बात सिखाई है वह याद रखना है. सबसे बड़ा धर्म हमारे राष्ट्र का धर्म है. पिछले 31 हफ्तों का सफर काफी कठिन था. खासकर एक आम शहरी से एक सिपाही बनने का सफर. 31 सप्ताह की कड़ी मेहनत ने आपको एक हीरे की तरह तराश दिया है. हमेशा एक बात याद रखना है. नाम, नमक और निशान. यह तीन शब्द केवल फौजी की जिंदगी में ही नहीं पर आम और खास की जिंदगी में यह तीन शब्द काफी अहमियत रखते हैं. अंत में मैं यही कहूंगा तेरी हिम्मत सदा तेरे साथ रहे, विजय पताका तेरे हाथ रहे, बीहड़ में भटके राही को रास्ता दिखाता दिखाता चल.
अग्निवीरों के माता-पिता की भी प्रशंसा की
इस दौरान ब्रिगेडियर ने अग्निवीरों के माता-पिता के भी प्रशंसा की और देश के लिए उनके योगदान को स्वीकार किया. पंजाब रेजिमेंट सेंटर के किलाहरी ग्राउंड में (पीओपी) पासिंग आउट परेड में प्रशिक्षकों और अग्निवीरों के माता-पिता ने भाग लिया. इस दौरान पहचान और प्रशंसा के प्रतीक के रूप में और पारंपरिक 'गौरव पदक' अग्निवीरों के माता- पिता को दिया गया, जिन्होंने काम की प्रकृति से जुड़े जीवन के खतरे को जानते हुए स्वेच्छा से अपने बच्चों को देश की सेवा करने की अनुमति दी और प्रेरित किया. वहीं इस दौरान नव प्रशिक्षित अग्निवीर सैनिकों ने कदम से कदम मिलाकर एक शानदार परेड का मुजायरा किया. जिसे देख मौजूद लोगों ने गौरवान्वित महसूस किया.
आपको बता दें कि रामगढ़ जिले में पंजाब रेजिमेंट सेंटर और सिख रेजिमेंट सेंटर है. पंजाब रेजिमेंट सेंटर का गौरवशाली इतिहास रहा है. अपने देश की सेवा में पंजाब रेजिमेंट के बहादुर जवानों ने अपना सर्वस्व बलिदान करते हुए न केवल पंजाब रेजिमेंट का अपितु राष्ट्र के गौरव को भी बढ़ाया है.
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